मुखबिर तंत्र नहीं होने से आपराधिक मामलों के पर्दाफाश में दरभंगा पुलिस विफल
दरभंगा पुलिस आपराधिक मामलों के खुलासे में मुखबिर तंत्र की कमी के कारण विफल हो रही है। पुलिस की निर्भरता तकनीकी सेल और सीसीटीवी फुटेज पर है। बाहरी राज् ...और पढ़ें

बिहार के दरभंगा में एसएसपी भवन। जागरण
राहुल कुमार गुप्ता , दरभंगा। अपराध और अपराधी, दो ऐसे शब्द हैं जिसे सुनते ही पुलिस के प्रति लोगों का आक्रोश बढ़ जाता है। आपराधिक घटनाओं के पर्दाफाश और अपराधियों पर नकेल लगाने के लिए ऐसे पुलिस भी काफी कसरत करती है। लेकिन, बुनियाद कमजोर होने से मेहनत सफल नहीं हो रहा है।
मसलन, पुलिस का सूचना तंत्र ही फेल हो चुका है। पुलिस के पास जब अपना मुखबिर ही नहीं है तो अपराधियों की सूचना कैसे मिलेगी। पुलिस अपनी तकनीकी सेल पर टिकी हुई है। सीसी कैमरे के फुटेज और मोबाइल टावर के लोकेशन के आधार पर बदमाशों तक पहुंचने का विकल्प रह गया है।
ऐसे में बेखौफ अपराधी पर लगाम लगाने के लिए पुलिस संघर्ष तो कर रही है, लेकिन सूचना तंत्र की कमजोरियों के कारण कार्रवाई प्रभावी नहीं हो पाती है। दरभंगा जिले में आपराधिक घटनाओं को अंजाम देने वाले बदमाशों ने अपने दायरा को बढ़ा दिया है।
पहले सीमावर्ती जिले के बदमाशों से पुलिस को चुनौती मिलती थी। अब तो यूपी, उड़ीसा, मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र, कोलकाता, दिल्ली आदि राज्यों से बदमाश आराम से आते हैं और सरलता से घटना को अंजाम देकर चले जाते हैं। हाल के दिनों में इस तरह के कई बदमाशों को स्थानीय लोगों की मदद से दबोचा गया है। बावजूद, पुलिस गंभीर नहीं हो रही है।
साल के अंत में आपराधिक घटनाओं में हो गई वृद्धि
2025 में अपराध और अपराधियों पर पुलिस को विगत वर्ष की तुलना में क्या सफलता मिली है, यह कहना तो मुश्किल है। लेकिन, साल के अंत में दिसंबर माह में जो आपराधिक घटनाओं में वृद्धि हुई है, उससे लोगों में अधिक आक्रोश है।
बहादुरपुर के नवटोलिया में पूर्व केंद्रीय मंत्री सह भाजपा एमएलसी संजय पासवान के बंद घर सहित लहेरियासराय थाना स्थित पांच दुकानों में एक ही रात में सेंधमारी , टावर चौक स्थित दवा दुकान में आठ लाख की चोरी, लक्ष्मीपुर और बलभद्रपुर मोहल्ले में बंद घर में चोरी पुलिस की गश्त व्यवस्था पर सवाल खड़ा कर दिया है।
पुलिस की वर्दी में बदमाश मचा रहे तांडव
अब तो बदमाश पुलिस की वर्दी में तांडव मचा रहे हैं। नगर, लहेरियासराय, कोतवाली और विश्वविद्यालय थाना क्षेत्र में चेकिंग के बहाने कई महिलाओं से आभूषणों से ठगी कर ली है। लेकिन, असली पुलिस वालों को इसकी भनक तक नहीं लग रही है।
ऐसे में वरीय अधिकारियों के निर्देश बैठक तक ही सीमित रह जाता है। ना तो नियमित गश्त होती है और ना ही मुखबिर का लाभ लिया जा रहा है। अगर कभी गश्त होती भी है तो पुलिस अधिकारी गाड़ी से नीचे उतरना मुनासिब नहीं समझते है। बिना हेलमेट वाले बाइक चालकों से सिर्फ मतलब रखा जाता है।
पुलिस लगातार गश्त कर रही है। इसका परिणाम है कि आपराधिक मामलों पर काफी हद तक नकेल लगा है। तेज गति से कई मामलों का पर्दाफाश भी हुआ है। कुछ बड़ी घटनाओं में टेक्निकल सेल की टीम अनुसंधान कर रही है। मुखबिर तंत्र को मजबूत करने की दिशा में काम चल रहा है।
- अशोक कुमार चौधरी, प्रभारी एसएसपी, दरभंगा

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