बिहार में संयुक्त B.Ed प्रवेश परीक्षा सत्यपाल मलिक की देन, कहा था- अब पढ़ाई में नहीं चलेगा पैसे का खेल
दरभंगा में सत्यपाल मलिक के निधन (Satyapal Malik Passed Away) पर शोक की लहर है। उन्होंने 2018 में ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह में बीएड शिक्षा में मनमानी के खिलाफ सख्त निर्देश दिए थे। उनके प्रयासों से बीएड प्रवेश परीक्षा केंद्रीकृत हुई और निजी कॉलेजों की धांधली पर रोक लगी।

प्रिंस कुमार, दरभंगा। बिहार के तत्कालीन राज्यपाल सह कुलाधिपति सत्यपाल मलिक के निधन की सूचना पर मिथिला क्षेत्र में भी शोक की लहर दौड़ गई। वे ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय के आठवें दीक्षांत समारोह में एक अप्रैल 2018 को दरभंगा पहुंचे थे। तब डॉ. नागेंद्र झा स्टेडियम में आयोजित दीक्षांत समारोह को संबोधित किया था।
इस दौरान राज्य में चल रहे बीएड एजुकेशन में मनमानी के खिलाफ खुलकर सख्त निर्देश जारी किए थे। उन्होंने कहा था कि सूबे में बीएड एजुकेशन का बड़ा कारोबार फैला हुआ है। यहां बीएड में पैसे का खेल होता है। इसमें सफेदपोश नेतागण भी शामिल रहते हैं। परीक्षा में बड़े पैमाने पर गड़बड़ी होती है। अब यह नहीं चलेगा।
बीएड में प्रवेश के लिए केंद्रीकृत परीक्षा होगी। इसमें उत्तीर्ण छात्रों को ही दाखिला मिलेगा। ऐसा ही हुआ। राज्य में बीएड में नामांकन के लिए वर्ष 2018 में ही संयुक्त प्रवेश परीक्षा का आयोजन शुरू हो गया। बिहार के निजी बीएड कॉलेजों में धांधली के खिलाफ नकेल कसने के लिए एडवाइजरी जारी किया गया था। इसका बेहतर परिणाम भी देखने को मिल रहा है।
पिछले पांच छह वर्षों से ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय को बीएड संयुक्त प्रवेश परीक्षा आयोजित करने के लिए राजभवन की ओर से राज्य नोडल केंद्र नामित किया जा रहा है। राज्य में बड़े पैमाने पर निजी बीएड कॉलेजों की मनमानी पर रोक भी लगी है। बीएड में नामांकन के लिए प्रवेश परीक्षा, रजिस्ट्रेशन, मेधा सूची से लेकर काउंसिलिंग तक की प्रक्रिया अब राज्य नोडल केंद्र की ओर से ही पूरी की जाती है।
इसमें निजी या सरकारी बीएड कालेजों का रोल काफी सीमित रहता है। नामांकन के लिए कॉलेज भी राज्य नोडल केंद्र की ओर से आवंटित किए जाते हैं। यह सब बदलाव तत्कालीन कुलाधिपति सत्यपाल मल्लिक की ही देन मानी जाती है।
डब्ल्यूआईटी के निदेशक प्रो. अजय नाथ झा ने कहा कि दीक्षांत में सत्यपाल मल्लिक मिथिला विश्वविद्यालय पहुंचे थे। इस दौरान उन्होंने मंच से ही कई अहम निर्देश जारी किया था। बीएड में क्रांतिकारी बदलाव उन्हीं की देन है।
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