Bihar Bhumi: जमीन के डॉक्युमेंट नहीं हैं तो कैसे होगा सर्वे? बंटवारे को लेकर भी सामने आई जानकारी
बिहार सरकार के भूमि सर्वेक्षण अभियान में जमीन के असली हकदारों को उनका हक दिलाने के लिए मौखिक साक्ष्य मान्य नहीं होंगे। जमीन मालिकों को अपने कागजात दिखाने होंगे। जिनके पास पुश्तैनी जमीन है और उसका बंटवारा सिर्फ मौखिक तौर पर हुआ है उन्हें सर्वे के दौरान दिक्कत हो सकती है। सर्वे के लिए सिर्फ बातों वाला बंटवारा मान्य नहीं है। हस्ताक्षर वाले डॉक्युमेंट दिखाने होंगे।
जागरण संवाददाता, दरभंगा। ग्रामीण क्षेत्रों में बढ़ते जमीन विवाद को कम करने के लिए लेकर नीतीश सरकार भूमि सर्वेक्षण (Bihar Bhumi Survey) अभियान लेकर आई। इससे भूमि के असली हकदार का पता चलेगा। भूमि की बढ़ती कीमतों के कारण ग्रामीण क्षेत्र में 90 प्रतिशत विवाद की जड़ में भूमि ही है।
सैकड़ों लोग तो इस धंधे से जुड़कर करोड़ों का वारा-न्यारा कर रहे हैं। इसी अनुपात में कभी-कभी छोटे-मोटे विवाद भी बड़े दंगे का रूप धारण कर लेते हैं। इसका सीधा प्रभाव कानून व्यवस्था पर भी पड़ता है। यही कारण है कि इस सर्वे से सरकार जमीन के असली मालिक को उनका हक दिलाना चाहती है।
जमीन मालिकों को दिखाने होंगे कागजात
राज्य सरकार का मकसद है कि जमीन को लेकर लोगों के बीच झगड़े खत्म हों। इसके साथ ही, सरकार के पास गांवों की जमीन का पूरा रिकॉर्ड होगा। इससे भविष्य में जमीन लेने में कोई परेशानी नहीं होगी।
सर्वे के दौरान, जमीन के मालिकों को अपने कागजात दिखाने होंगे, लेकिन कई लोगों के पास पुश्तैनी जमीन है।जिसका बंटवारा सिर्फ मौखिक तौर पर घरेलू बंटवारे से हुआ है। उनके पास इसका कोई कागज नहीं है।
ऐसे में उन्हें सर्वे के दौरान दिक्कत हो सकती है। सबसे बड़ी समस्या उन लोगों को हो रही है, जिनके पास पुश्तैनी जमीन का बंटवारा मौखिक तौर से हुआ है। सर्वे के लिए सिर्फ बातों वाला बंटवारा मान्य नहीं है।
हस्ताक्षर वाले डॉक्युमेंट दिखाने होंगे
इसके लिए सभी भाइयों और बहनों के हस्ताक्षर वाला एक दस्तावेज देना होगा। अगर किसी भाई की मृत्यु हो चुकी है, तो उसके सभी बच्चों के हस्ताक्षर जरूरी हैं। सर्वे करने वाले अधिकारी सिर्फ कागजों को ही मानेंगे। अगर बंटवारा सिर्फ मौखिक तौर पर हुआ है, तो वे उसे नहीं मानेंगे।
अगर किसी व्यक्ति के पिता की मृत्यु हो गई है, उनके तीन बेटे हैं और उन्होंने जमीन का बंटवारा सिर्फ मौखिक तौर पर किया है। ऐसे में सर्वे अधिकारी उस बंटवारे को नहीं मानेंगे और जमीन को सभी भाइयों के नाम कर देंगे, इसलिए जरूरी है कि जमीन के बंटवारे का एक लिखित दस्तावेज बनाया जाए।
अगर लिखित दस्तावेज नहीं होगा, तो जमीन सभी भाइयों के नाम हो जाएगी। फिर इसमें ये नहीं देखा जाएगा कि मौखिक बंटवारे के बाद किसी भाई ने जमीन बेची है या नहीं। पिता के नाम जितनी जमीन होगी। उसमें तीनों भाइयों का नाम डाल दिया जाएगा।
ऑनलाइन भी कर सकते हैं आवेदन:
- बिहार के लोग जमीन सर्वे के लिए ऑनलाइन आवेदन भी कर सकते हैं।
- इससे दूसरे राज्यों में रहने वाले लोगों को भी आसानी होगी।
- आवेदन करने के लिए भूमि सुधार एवं राजस्व विभाग की वेबसाइट पर जाना होगा।
- आवेदन के साथ ही, जरूरी कागजात भी वेबसाइट पर अपलोड करने होंगे।
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