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    UP-बिहार का अजब-गजब गांव, आधे जगहों पर छलकते हैं जाम तो कुछ इलाकों में कानून की लगाम

    बक्सर के जवही गांव की कहानी बेहद दिलचस्प है जहां एक ही गांव दो अलग-अलग राज्यों में पड़ता है। जवही गांव बिहार और उत्तर प्रदेश में बंटा हुआ है। इस गांव में चलते-चलते कानून बदल जाता है। बिहार वाले हिस्से में शराबबंदी है तो यूपी वाले हिस्से में शराब की दुकान। इसका असर गांव के सामाजिक ताने-बाने पर पड़ता है।

    By Shubh Narayan Pathak Edited By: Divya Agnihotri Updated: Sun, 22 Dec 2024 03:58 PM (IST)
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    यूपी और बिहार दोनों राज्यों के बीच बसा जवही गांव

    शुभ नारायण पाठक, बक्सर। यह गांव बेहद खास है। बस्ती एक, लेकिन जिले दो, विकास खंड, थाना और राज्य सब कुछ अलग-अलग। किसी का घर बिहार में है तो सामने का आंगन यूपी में। इसी तरह किसी का घर यूपी में है, लेकिन जाने का रास्ता बिहार से होकर। कुछ तो घर ऐसे भी हैं, जिनके कुछ कमरे बिहार में पड़ते हैं, तो कुछ यूपी में। आगे का दरवाजा यूपी में खुलता है तो पीछे का बिहार में।

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    यह कहानी है गंगा के किनारे बसे जवही गांव की

    • आधे गांव में बिजली बिहार की तरफ से आई है, वहीं आधे गांव में उत्तर प्रदेश से।
    • इसका आधा हिस्सा बिहार के बक्सर जिले के ब्रह्मपुर थाना और प्रखंड की जवहीं पंचायत के अंतर्गत आता है।
    • गांव का दूसरा आधा हिस्सा उत्तर प्रदेश के बलिया जनपद के बेलहरी विकास खंड की जवही पंचायत का हिस्सा है।
    • यहां एक गली लांघते ही कानून बदल जाता है।
    • बिहार वाले हिस्से में शराबबंदी है तो इसके आगे कुछ सौ मीटर बढ़ने पर ही यूपी की सीमा में शराब की दुकान है।
    • दो राज्यों के नियमों का असर गांव के सामाजिक ताने-बाने पर पड़ता है।

    बक्सर-कोईलवर तटबंध इस गांव के बीच से होकर गुजरता है। इसी तटबंध पर बनी सड़क गांव तक जाने का सुगम रास्ता भी है। मैं अपने सहयोगियों के साथ तटबंध पर ही स्थित उस चौराहे पर पहुंचा, जहां से सामने का रास्ता नैनीजोर और अगल-बगल के दोनों रास्ते जवही गांव में जाते हैं।

    तटबंध से दक्षिण की पूरी बस्ती बिहार में है, लेकिन इसके उत्तर की बस्ती का कुछ हिस्सा बिहार में तो कुछ यूपी में है। हमें इस बात का पता था। हम जानना चाह रहे थे कि गांव के बीचोबीच वह कौन सी जगह है, जहां से बिहार और यूपी की सीमा रेखा गुजरती है?

    चौक पर मौजूद एक ग्रामीण ने हमारा मार्गदर्शन किया- सड़क किनारे बिजली के खंभों पर लगे तार को देखते हुए चलते जाइए। जहां जाकर इधर वाला बिजली तार खत्म होता है, वही बिहार की सीमा है। उसके आगे बिजली के खंभे और तार यूपी की ओर से आए हैं।

    घरों के बीच से होकर गुजरती है बिहार-यूपी की सीमा

    यहां हमें जवही के बुजुर्ग त्रिलोकी चौबे मिले, जिनका घर बिहार में है, लेकिन घर के सामने जो खुला फर्श है वो यूपी में है। उन्होंने बताया कि मुख्य सड़क के पश्चिम जो व्यावसायिक परिसर दिख रहा है, बिहार-यूपी की सीमा उसके बीच से जाती है। गांव के कई ऐसे घर हैं, जिनके एक ही कमरे का कुछ हिस्सा बिहार में तो कुछ यूपी में पड़ता है।

    उनके घर के ठीक सामने ही यूपी सरकार की निधि से सड़क बन रही है। यह सड़क यूपी के हिस्से वाली जवही पंचायत की मुखिया पूजा देवी के घर तक जाने के लिए बन रही है। यहां उनकी ससुराल है।

    उनका मायका बिहार के ब्रह्मपुर में है। उनके पति संजीत ओझा उर्फ डब्लू स्थानीय निवासी हैं। उनकी सड़क भले ही यूपी सरकार की निधि से बन रही है, लेकिन उनके खेत तक बिजली बिहार की ओर से गई है।

    दोनों राज्यों की सीमा को पहचानना आसान नहीं

    सरकार ने यहां सीमांकन के लिए बहुत दूर-दूर पर खंभे लगाए हैं, लेकिन ये खंभे किसी खेत के किनारे नहीं होकर बीच में हैं। ऐसी ही स्थिति बस्ती के बीच है। इसके कारण बिहार-यूपी सीमा को लेकर बहुत स्पष्टता नहीं हो पाती है।

    यहां उत्तर की तरफ यूपी और दक्षिण की तरफ बिहार है, लेकिन हमें एक ऐसी सड़क मिली, जिसे यूपी ने बनवाया है और उसके उत्तर दिशा में बिहार की ओर से बिजली के खंभे लगाए गए हैं।

    एक ग्रामीण ने बताया कि बिहार सरकार की योजना से यूपी की सीमा में एक किलोमीटर अंदर तक सड़क बनी है। कानूनी मसलों पर यहां बिहार और यूपी की सीमा की पहचान करना मुश्किल हो जाता है और अक्सर इसके लिए भूमापी का सहारा लेना पड़ता है।

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