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बिहार का अनोखा मंदिर, जहां मूर्तियां करती हैं आपस में बातें

बिहार के बक्सर जिले में राज राजेश्वरी त्रिपुर सुन्दरी मंदिर की मूर्तियां आपस में बात करती हैं। ये अब वैज्ञानिक भी मानने लगे हैं।

By Kajal KumariEdited By: Published: Tue, 04 Apr 2017 12:30 PM (IST)Updated: Wed, 05 Apr 2017 11:57 PM (IST)
बिहार का अनोखा मंदिर, जहां मूर्तियां करती हैं आपस में बातें
बिहार का अनोखा मंदिर, जहां मूर्तियां करती हैं आपस में बातें

पटना [काजल]। बिहार में एक एेसा मंदिर भी है, जहां भगवान की मूर्तियां आपस में बातें करती हैं। आपको विश्वास ना हो, लेकिन अब वैज्ञानिकों ने भी इसे माना है। यह मंदिर बिहार के बक्सर में स्थित है, जहां आपको भगवान के होने पर यकीन हो जाएगा। यहां मूर्तियां बातें करती हैं और वैज्ञानिक भी इस बात की पुष्टि कर चुके हैं।

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बिहार के इस इकलौते राज राजेश्वरी त्रिपुर सुंदरी मंदिर में साधकों की हर मनोकामना पूरी होती है, यह मंदिर तंत्र साधना के लिए प्रसिद्ध है। यहां देर रात तक साधक इस मंदिर में साधना में लीन रहते हैं। मंदिर में प्रधान देवी राज राजेश्वरी त्रिपुर सुंदरी के अलावा बंगलामुखी माता, तारा माता के साथ दत्तात्रेय भैरव, बटुक भैरव, अन्नपूर्णा भैरव, काल भैरव व मातंगी भैरव की प्रतिमा स्थापित है।

मंदिर में काली, त्रिपुर भैरवी, धुमावती, तारा, छिन्न मस्ता, षोडसी, मातंगड़ी, कमला, उग्र तारा, भुवनेश्वरी आदि दस महाविद्याओं की भी प्रतिमाएं हैं। इस कारण तांत्रिकों की आस्था इस मंदिर के प्रति अटूट है। कहा जाता है कि यहां किसी के नहीं होने पर भी आवाजें सुनाई देती हैं।

राज राजेश्वरी त्रिपुर सुंदरी मंदिर की सबसे अनोखी मान्यता यह है कि निस्तब्ध निशा में यहां स्थापित मूर्तियों से बोलने की आवाजें आती हैं। मध्य-रात्रि में जब लोग यहां से गुजरते हैं तो उन्हें आवाजें सुनाई पड़ती हैं। वैज्ञानिकों की मानें, तो यह कोई वहम नहीं है। इस मंदिर के परिसर में कुछ शब्द गूंजते रहते हैं।

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यहां पर वैज्ञानिकों की एक टीम भी गई थी, जिन्होंने रिसर्च करने के बाद कहा कि यहां पर कोई आदमी नहीं है। इस कारण यहां पर शब्द भ्रमण करते रहते हैं। वैज्ञानिकों ने यह भी मान लिया है कि हां पर कुछ न कुछ अजीब घटित होता है, जिससे कि यहां पर आवाज आती है।

यह मंदिर 400 वर्ष पुराना है। प्रसिद्ध तांत्रिक भवानी मिश्र ने करीब 400 वर्ष पहले इस मंदिर की स्थापना की थी। तब से आज तक इस मंदिर में उन्हीं के परिवार के सदस्य पुजारी बनते रहे हैं। तंत्र साधना से ही यहां माता की प्राण प्रतिष्ठा की गई है।

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