राजपुर की जनता ने BJP और JDU को दिया सबसे अधिक मौका, क्या तेजस्वी की पार्टी का इस बार खुलेगा खाता?
बक्सर के राजपुर विधानसभा क्षेत्र का राजनीतिक इतिहास उतार-चढ़ाव भरा रहा है। यहां जनता पार्टी कांग्रेस भाजपा सीपीआई बसपा जद(यू) और राजद जैसे दलों ने समय-समय पर जीत हासिल की है। 2020 में कांग्रेस के विश्वनाथ राम ने जद(यू) के संतोष कुमार निराला को हराया। इस क्षेत्र में जद(यू) को सबसे अधिक बार जीत मिली है पर कई नेता जैसे सीपीआई के धर्मराज पासवान चुनाव जीतने से चूक गए।

शुभ नारायण पाठक, बक्सर। राजपुर (अजा सुरक्षित) विधानसभा क्षेत्र का राजनीतिक इतिहास उतार-चढ़ाव से भरा हुआ है। इसका गठन नावानगर (अजा) को समाप्त करने के बाद नए परिसीमन के तहत हुआ था।
इससे पहले क्रमश: नावानगर सामान्य और उससे भी पहले इटाढ़ी निर्वाचन क्षेत्र अस्तित्व में थे, जिन्हें बाद में समाप्त कर नए क्षेत्र बनाए गए। इन सभी निर्वाचन क्षेत्रों की सीमाएं भी समय के साथ बदलती रहीं।
वर्तमान में इस सीट के अंतर्गत राजपुर और इटाढ़ी प्रखंड पूरी तरह शामिल हैं। साथ ही डुमरांव प्रखंड की लगभग छह पंचायतें भी इस क्षेत्र का हिस्सा हैं। नावानगर सीट पर लगातार वाम दलों का वर्चस्व रहा था, लेकिन राजपुर का माहौल लगातार ही बदलता रहा।
इस क्षेत्र में किसी एक दल का लंबे समय तक वर्चस्व नहीं रहा। विभिन्न दलों जैसे जनता पार्टी, कांग्रेस, भारतीय जनता पार्टी (भाजपा), भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (सीपीआई), बहुजन समाज पार्टी (बसपा), जनता दल (यूनाइटेड) और राष्ट्रीय जनता दल (राजद) ने समय-समय पर इस क्षेत्र में जीत हासिल की। हालांकि, सबसे अधिक जीत यहां जदयू को मिली है।
पहले चुनाव में जनता पार्टी की जीत
राजपुर सीट के अस्तित्व में आने के बाद पहला चुनाव वर्ष 1977 में हुआ, जिसमें जनता पार्टी के नंद किशोर प्रसाद ने 19,009 वोटों के साथ जीत हासिल की और भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (सीपीआई) के धर्मराज पासवान (16,805 वोट) को 2,204 वोटों के अंतर से हराया।
इस जीत ने आपातकाल के बाद कांग्रेस विरोधी लहर को दर्शाया। लेकिन केवल तीन साल बाद 1980 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (आई) के चतुरी राम ने 26,081 वोट पाकर सीपीआई के धर्मराज पासवान (23,268 वोट) को 2,813 वोटों से हरा दिया।
1985 और 1990 में रहा भाजपा का दबदबा
1985 में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के राम नारायण राम ने 43,180 वोट हासिल कर कांग्रेस (आई) के चतुरी राम (29,098 वोट) को 14,082 वोटों से हरा दिया। 1990 के चुनाव उन्होंने 28,975 वोटों के साथ सीपीआई के राम विलास राय ‘विमल’ (26,863 वोट) को 2,112 वोटों के अंतर से हराकर दोबारा जीत हासिल की।
1995 में सीपीआई की मजबूत जीत
भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (सीपीआई) के अर्जुन राम ने 38,436 वोटों (40.12%) के साथ जीत हासिल की, बसपा के छेदी लाल राम (14,240 वोट) को 24,196 वोटों के बड़े अंतर से हराकर। यह जीत क्षेत्र में वामपंथी विचारधारा की मजबूती को दर्शाती है।
इस चुनाव में क्षेत्र का बदला राजनीतिक रुझान देखने को मिला। 2000 में बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के छेदी लाल राम ने 21,604 वोटों (24.09%) के साथ जीत दर्ज की, राजद के कामाख्या नारायण (19,989 वोट) को 1,615 वोटों से हराया।
2005 से 2015 तक जद(यू) का दबदबा
जनता दल (यूनाइटेड) ने 2005 (अक्टूबर) में श्याम प्यारी देवी (32,137 वोट) के साथ जीत हासिल की, बसपा के संतोष कुमार निराला (26,437 वोट) को 5,700 वोटों से हराया। 2010 में संतोष कुमार निराला जदयू के साथ आ गए और 2010 और 2015 में दो बार जीत हासिल की।
2010 में संतोष कुमार निराला ने 54,802 वोटों के साथ लगातार जीत हासिल की, दोनों बार लोजपा के छेदी लाल राम (39,563 वोट) को 15,239 वोटों से हराया।
2020 में कांग्रेस की वापसी
भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के विश्वनाथ राम ने 67,871 वोटों (36.76%) के साथ जीत दर्ज की, जद(यू) के संतोष कुमार निराला (46,667 वोट) को 21,204 वोटों के बड़े अंतर से हराया।
किस दल को कितनी बार मौका, किसका सपना नहीं हुआ पूरा
राजपुर में जनता पार्टी, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी और बहुजन समाज पार्टी को एक-एक बार, भाजपा-कांग्रेस को दो-दो बार, जद(यू) को तीन बार जीत मिली है।
यहां से जदयू के संतोष कुमार निराला और भाजपा के राम नारायण राम दो-दो बार विधायक बने। इनके अलावा कोई अपनी जीत को दोहरा नहीं पाया है। सीपीआई के धर्मराज पासवान 1977 और 1980 में उपविजेता रहे, लेकिन जीत हासिल नहीं कर सके।
राजद के कामाख्या नारायण 2000 में बसपा के छेदी लाल राम से मात्र 1,615 वोटों से हारे। वहीं, बसपा के संजय राम 2020 में 43,836 वोटों के साथ तीसरे स्थान पर रहे।
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