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    Operation Sindoor: युद्ध हुआ तो.. बक्सर पावर प्लांट; रेलवे स्टेशन और गंगा पुल पर खतरा, बचने के क्या होंगे रास्ते?

    बक्सर में ऑपरेशन सिंदूर और युद्ध अभ्यास के बाद लोगों में चिंता है। हालांकि पूर्व सैनिकों के अनुसार बक्सर की भौगोलिक स्थिति इसे युद्ध के लिए कम जोखिम वाला शहर बनाती है। फिर भी संभावित हवाई हमलों से बचाव के लिए ब्लैक आउट जैसे अभ्यास महत्वपूर्ण हैं। वायु रक्षा प्रणालियां शहर को सुरक्षा प्रदान करती हैं लेकिन सावधानी बरतना आवश्यक है।

    By Shubh Narayan Pathak Edited By: Rajat Mourya Updated: Wed, 07 May 2025 03:54 PM (IST)
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    युद्ध की स्थिति में पावर प्लांट, रेलवे स्टेशन और गंगा पुल पर खतरा अधिक

    जागरण संवाददाता, बक्सर। भारतीय सेनाओं के संयुक्त अभियान 'ऑपरेशन सिंदूर' और उसकी पृष्ठभूमि में युद्ध की स्थिति को लेकर मॉक ड्रिल, ब्लैक आउट का अभ्यास और पहलगाम की घटना ने संभावित युद्ध की आशंका को बल दिया है। हालात ऐसे नाजुक मोड़ पर हैं, जहां किसी एक पक्ष से छोटी-सी गलती युद्ध की शुरुआत कर सकती है।

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    भारत सरकार की ओर से पूरे देश में मॉक ड्रिल को ऐसी ही संभावित स्थिति के लिए तैयारी माना जा रहा है। अपना जिला बक्सर मॉक ड्रिल के लिए चिह्नित शहरों की सूची में नहीं है, लेकिन स्थानीय नागरिकों के मन में भी इसको लेकर तमाम सवाल हैं।

    भारत के पड़ोसी देशों, खासकर पाकिस्तान और चीन, के साथ तनाव की स्थिति में बक्सर पर हवा, जमीन और पानी के रास्ते से खतरा कितना गंभीर हो सकता है? यह सवाल शहरवासियों के मन में कौतूहल और चिंता दोनों जगा रहा है।

    मॉक ड्रिल के लिए बक्सर शहर को क्यों नहीं चुना?

    पूर्व सैनिक सूबेदार मेजर ईश्वर दयाल सिंह, सूबेदार जंग बहादुर सिंह, सूबेदार मेजर द्वारिका पांडेय, नायब सूबेदार बलिराम मिश्रा आदि कहते हैं कि यूं तो बक्सर के लोग सेना में अपना दमखम दिखाने के लिए सदैव तत्पर रहते हैं, लेकिन आम नागरिक के दृष्टिकोण से देखें तो यहां की भौगोलिक, औद्योगिक और सामाजिक स्थिति इसे पड़ोसी देशों से युद्ध की स्थिति में न्यूनतम जोखिम वाला यानी अपेक्षाकृत काफी सुरक्षित शहर बनाती है। शायद यही वजह है कि सरकार ने इस शहर को माक ड्रिल के लिए नहीं चुना है।

    उन्होंने बताया कि युद्ध की स्थिति में दुश्मन देश अपने प्रतिद्वंदी के आर्थिक रूप से मजबूत शहरों, औद्योगिक नगरों और नागरिक एवं सैन्य आपूर्ति के लिए मददगार परिवहन एवं संचार सेवाओं को निशाना बनाने की प्राथमिकता रखते हैं। दुश्मन का लक्ष्य हमेशा कम से कम ताकत का इस्तेमाल कर अधिक से अधिक नुकसान पहुंचाना होता है। अगर दुश्मन देश किसी भी उम्मीद से बहुत अधिक आक्रामक होता है, तो हवाई हमले बक्सर शहर के लिए सबसे बड़ा जोखिम हो सकते हैं। 

    पूर्व सैनिकों ने यह भी बताया कि पड़ोसी देशों के पास आधुनिक ड्रोन और मिसाइलें हैं, जो बिजली घर, रेलवे स्टेशन या पुल जैसे लक्ष्यों को निशाना बना सकती हैं। हालांकि, बक्सर बिजली घर अभी निर्माणाधीन है और इस पर प्रहार करने से दुश्मन को कुछ खास हासिल नहीं होगा।

    मिसाइल सिस्टम कम करता है हवाई हमले का खतरा

    पूर्व सैनिक विद्यासागर चौबे कहते हैं कि भारत की एस-400 और आकाश जैसी वायु रक्षा प्रणालियां देश के अंदरुनी हिस्सों में बसे बक्सर जैसे शहरों को सुरक्षा कवच देती हैं। फिर भी, रात में ब्लैकआउट जैसे अभ्यास जरूरी हैं, ताकि दुश्मन के लिए लक्ष्य ढूंढना मुश्किल हो।

    जमीनी हमले का खतरा बक्सर के लिए कम है। भारत की मजबूत सैन्य तैनाती और बक्सर की आंतरिक स्थिति किसी भी बड़े हमले को रोकने में सक्षम है। शांति के इस शहर में युद्ध की आहट दूर की कौड़ी लगती है, लेकिन तैयारियां ही सुरक्षा की गारंटी हैं।

    बक्सर में ब्लैक आउट का महत्व

    मेजर डॉ. पीके पांडेय ने बताया कि ब्लैक आउट युद्ध की स्थिति में राहत और बचाव की दृष्टि से महत्वपूर्ण होता है। रात के वक्त हवाई हमलों से बचने के लिए हर तरह की रोशनी को बुझा देना इसका हिस्सा है, क्योंकि शहरों में रात की चकाचौंध दुश्मन के फाइटर जहाजों को निशाना चुनने में मददगार हो सकती है।

    ऐसी स्थिति में स्वचालित सोलर लाइटों को बंद करना चुनौतीपूर्ण कार्य हो सकता है। सेना से जुड़े लोगों का कहना है कि स्वचालित लाइटिंग सिस्टम को भी आपात स्थिति में कंट्रोल करने के लिए वैकल्पिक इंतजाम होना चाहिए।

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