Holi 2025: इस बार 3 दिनों की होली, जानिए रंग खेलने की तारीख; पंडित जी बोले- भद्रा का साया भी रहेगा
होली इस वर्ष 15 मार्च को शनिवार को मनाई जाएगी जो तीन दिनों तक चलेगी। होलिका दहन 13 मार्च को रात 1037 बजे भद्रा काल समाप्त होने के बाद होगा। पंचांग के अनुसार काशी में होली 14 मार्च को और अन्य स्थानों पर 15 मार्च को मनाई जाएगी। ग्रामीण क्षेत्रों में फगुआ गायन की परंपरा भी जारी है जिसमें लोग घर-घर जाकर पारंपरिक गीत गाते हैं।

संवाद सूत्र, उदवंतनगर (आरा)। चैत्र कृष्ण पक्ष प्रतिपदा तिथि को होली मनाने की परंपरा रही है। उदया तिथि के अनुसार, इस वर्ष होली 15 मार्च (Holi Date 2025) को शनिवार को मनाई जाएगी। इस वर्ष होली तीन दिनों की होगी।
दरअसल, जिस दिन होलिका दहन (Holika Dahan 2025) होता है, उसके अगले दिन होली मनाई जाती है, लेकिन इस साल होलिका दहन के बाद एक दिन गैप करके होली मनाई जाएगी। वैदिक पंचांग के अनुसार, 13 मार्च की रात को अगजा (होलिका) जलेगा और 15 मार्च को होली मनेगी।
होली की तारीख को लेकर दूर करें कन्फ्यूजन
इस बार होलिका दहन किए जाने और बसंतोत्सव को लेकर द्वंद की स्थिति बनी हुई है। वाराणसी मुद्रित ऋषिकेश पंचांग विश्व पंचांग महावीर पंचांग आदि के अनुसार-
- फाल्गुन मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि गुरुवार 13 मार्च की प्रातः 10.02 बजे से आरंभ होकर 14 मार्च शुक्रवार दिन में 11.11 बजे तक रहेगी।
- 13 मार्च को रात्रि 10.37 बजे तक भद्रा काल है। उसके बाद होलिका दहन किया जाएगा।
- चैत्र कृष्ण पक्ष प्रतिपदा तिथि का आगमन 14 मार्च शुक्रवार को 11.11 बजे से शुरू हो रहा है, जो शनिवार 15 मार्च दिन में 12.48 बजे तक रहेगा।
- उदयातिथि में 15 मार्च शनिवार को होली मनाई जाएगी।
शास्त्र मत के अनुसार, होलिका दहन फाल्गुन शुक्ल पक्ष के पूर्णिमा तथा चैत्र कृष्ण पक्ष के प्रतिपदा तिथि को होली मनाने की परम्परा है। पंचांग के अनुसार, काशी में 14 मार्च तथा अन्यत्र 15 मार्च को होली मनाई जाएगी।
कब करें होलिका दहन?
पंडित दिनेश पांडेय, पंडित विवेकानंद पांडेय, पंडित विश्वनाथ तिवारी, पंडित ध्रुप पाठक जैसे विद्वान पंडितों ने बताया कि होलिका दहन फाल्गुन शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि में प्रदोष रात्रि के समय भद्रा काल समाप्ति के बाद किया जाता है।
इसी वजह से होलिका दहन 13 मार्च गुरुवार को रात्रि 10:37 बजे भद्रा काल की समाप्ति के बाद किया जाएगा। वहीं, 15 मार्च को उदय व्यापनी प्रतिपदा होने के कारण होली शनिवार को ही मनाई जाएगी।
देहाती क्षेत्र में फगुआ गायन की परंपरा
ग्रामीण क्षेत्रों में बसंत पंचमी से चैत्र प्रतिपदा तक फगुआ गायन की परंपरा रही है, जो वर्तमान में भी जारी है। फगुआ के दिन देहात में सभी वर्ग के लोग टोली बनाकर घर-घर घूम कर फगुआ गाते हैं। सीताराम, राधे कृष्ण, और भगवान शिव, भगवती से संबंधित फाग गीतों की परंपरा शुरू हुई।
बाद में देवर, भौजाई, और वर्तमान में द्वीअर्थी गीतों ने फुहड़ता की हदें पार कर पारंपरिक गीतों का गला घोट दिया। कुंवर सिंह जैसे योद्धाओं के ऊपर गाये गए जो जनमानस पर अपना छाप छोड़ गये।
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