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    यहां भाईयों को खूब कोसती हैं बहनें, मर जाने तक का देती हैं श्राप; जानिए बिहार-झारखंड की एक अनोखी परंपरा

    Bihar News बुधवार को यानी कल भाई दूज है बहन-भाई बड़े धूम-धाम से यह त्योहार मनाएंगे। हालांकि बिहार और झारखंड में एक अनोखी परंपरा है। इस दौरान गोधन के मौके पर बहनें भाइयों को खूब कोसेंगी। परम्परा के पीछे मान्यता है कि द्वितीया के दिन भाइयों को गालियां व शाप देने से भाई को यमराज का भय नहीं होता हैं।

    By Rakesh Kumar TiwariEdited By: Aysha SheikhUpdated: Tue, 14 Nov 2023 04:33 PM (IST)
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    यहां भाईयों को खूब कोसती हैं बहनें, मर जाने तक का देती हैं श्राप; जानिए बिहार की एक अनोखी परंपरा

    राकेश कुमार तिवारी, बड़हरा। आज कार्तिक महीना के शुक्ल पक्ष की द्वितीय तिथि पर भैया दूज का त्योहार बुधवार को धूमधाम से मनाया जाएगा। इस दिन बहनें अनोखी परंपरा का निर्वहन करेंगी और गोधन कूटते भाई को श्राप देकर उनके लिए लंबी उम्र की कामना करेंगी।

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    मान्यता है कि इस श्राप से भाइयों को मृत्यु का डर नहीं होता। इस दौरान बिहार व झारखण्ड में गोधन के मौके पर बहनें भाइयों को खूब कोसती हैं। इस दौरान उन्हें गालियां भी देती हैं। यहां तक कि भाइयों को मर जाने तक का श्राप दिया जाता है।

    इस दौरान विशेष पौधे रेंगनी के कांटें को भी बहनें अपनी जीभ में चुभाती रहती हैं। इसे शापना कहा जाता है। गोधन पूजा करने वाली महिलाएं सभी उम्र की होती हैं। हर साल गोधन पूजा करने वाली बड़हरा की रामवती देवी ने बताया कि इस दिन मुहल्ले में एक घर के बाहर महिलाए सामूहिक रूप से यम व यमी की गोबर से ही प्रतिमा बनाती हैं।

    महिलाएं करती हैं पूजा

    सांप व बिच्छु आदि की आकृति भी बनाई जाती है। इस दौरान महिलाएं पहले इसकी पूजा करती हैं। फिर इन्हें डंडे से कूटा जाता है। महिलाओं ने बताया कि आकृति के भीतर चना, ईंट, नारियल, सुपारी व कांटा भी रख दिया जाता है। इसे बाद में बहनें अपनी जीभ में चुभाकर भाइयों को कोसती हैं।

    इस दौरान महिलाएं गीत भी गाती हैं। गोबर के गोधन कूट लेने के बाद इसमें डाले गए चने को निकाल लिया जाता है। इस दौरान सभी बहनें अपने-अपने भाइयों को तिलक लगाकर इसे खिलाती हैं। इस दौरान भाई अपनी बहनों को उपहार भी देते हैं।

    यमराज के भय से मिलती है मुक्ति

    महिलाओं का कहना है कि यह परम्परा काफी प्राचीन है। उसे वह पूरी आस्था से मनाती हैं। पंडित लक्ष्मीकांत उपाध्याय ने बताया कि इस परम्परा के पीछे मान्यता है कि द्वितीया के दिन भाइयों को गालियां व शाप देने से भाई को यम (यमराज) का भय नहीं होता हैं।

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