Bihar Politics: 'जब कुछ मंत्रियों पर...', BJP से निष्कासित होने पर गुस्साए आरके सिंह; बोले- मैंने इस्तीफा भेज दिया
बिहार चुनाव के बाद बीजेपी ने पूर्व केंद्रीय मंत्री आरके सिंह को पार्टी से निलंबित कर दिया है। आरके सिंह पर पार्टी लाइन से हटकर बयानबाजी करने का आरोप है। निलंबन के बाद आरके सिंह ने पूछा कि उनकी कौन सी गतिविधि पार्टी विरोधी है? आरके सिंह ने पार्टी को अपना त्यागपत्र भेज दिया है।
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आरके सिंह का पहला बयान आया सामने। (जागरण)
डिजिटल डेस्क, भोजपुर। बिहार चुनाव के नतीजों के तुरंत बाद भारतीय जनता पार्टी ने बड़ा एक्शन लिया है। बीजेपी ने पूर्व केंद्रीय मंत्री आरके सिंह को पार्टी से निलंबित कर दिया है। पार्टी ने आधिकारिक पत्र जारी कर स्पष्ट किया कि सिंह की लगातार विवादित और पार्टी-लाइन से परे की गई बयानबाजी के कारण उनपर यह कार्रवाई की गई है।
आरके सिंह कई दिनों से NDA नेतृत्व, उम्मीदवारों और बिहार सरकार पर गंभीर आरोप लगा रहे थे। अब इस पर पूर्व केंद्रीय मंत्री आरके सिंह का रिएक्शन आया है।
आरके सिंह ने सोशल मीडिया पर पोस्ट करते हुए लिखा कि आज मुझे प्रदेश मुख्यालय भाजपा बिहार से एक पत्र प्राप्त हुआ है जिसके द्वारा मुझे पार्टी से निलंबित करते हुए कारण पूछा गया है की मुझे पार्टी से क्यों नहीं निष्काषित किया जाये।
आरके सिंह ने सवाल उठाया कि मुझे जो लेटर मिला है उसमें मेरे द्वारा कौन सी पार्टी विरोधी गतिविधि की गयी यह स्पष्ट नहीं है। आरके सिंह ने लेटर लिख पूछा है कि आपने बताया नहीं है की मेरी कौन सी गतिविधियां पार्टी के विरोध में है।

उन्होंने कहा कि मैंने कहा था कि आपराधिक पृष्ठभूमि के व्यक्तियों को टिकट नहीं दिया जाए। क्या यह पार्टी विरोधी है? आपराधिक पृष्ठभूमि के लोगों को टिकट देना न तो राष्ट्रहित में है और न तो लोकहित में है न ही पार्टी के हित में। जब कुछ मंत्रियों पर भ्रष्टाचार तथा आपराधिक पृष्ठभूमि के होने का आरोप एक पार्टी ने लगाया तो इससे पार्टी की छवि धूमिल हो रही थी।
उन्होंने कहा कि यह पार्टी विरोधी कार्य नहीं है। ऐसा प्रतीत हो रहा है कि मेरे द्वारा आपराधिक पृष्ठभूमि तथा भ्रष्टाचार में लिप्त लोगों के विरुद्ध बयान देना कुछ लोगों को नागवार गुजरा। उन्होंने कहा कि मैंने पार्टी को अपना त्यागपत्र भेज दिया है।
इस बयान के बाद उठे सवाल
आरके सिंह कई दिनों से NDA नेतृत्व, उम्मीदवारों और बिहार सरकार पर गंभीर आरोप लगा रहे थे। उन्होंने न सिर्फ गठबंधन के कुछ उम्मीदवारों की साख पर सवाल उठाए बल्कि सार्वजनिक मंचों से लोगों से अपील की कि 'ऐसे लोगों को वोट देने से अच्छा है, चुल्लू भर पानी में डूब मरना।' इस बयान ने भाजपा के भीतर और बाहर तीखी प्रतिक्रिया पैदा की थी।

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