Bihar Jamin Jamabandi: 1958 में अधिग्रहित जमीन की अवैध खरीद-बिक्री, आरा में जमाबंदी रद करने की तैयारी
आरा सदर अंचल में 1958 से अधिग्रहित भूमि की अब तक कई बार अवैध ढंग से खरीद-बिक्री किए जाने का खुलासा हुआ है। इस पर जमाए गए अवैध कब्जे को हटाने के लिए इसकी जमाबंदी रद की जा रही है। आरा सदर अंचलाधिकारी ने जमीन की जमाबंदी रद करने का प्रस्ताव भेज दिया है। भेजे गए प्रस्ताव में मौजा आरा और धरहरा थाना नंबर 166 के 12 खाताधारी शामिल हैं।

धर्मेंद्र कुमार सिंह, आरा। भोजपुर जिले के आरा सदर अंचल क्षेत्र में 1958 से अधिग्रहित भूमि की अब तक कई बार अवैध ढंग से खरीद बिक्री किए जाने का खुलासा हुआ है। लगभग 67 वर्षों से कई लोगों के द्वारा इस पर जमाए गए अवैध कब्जे को हटाने के लिए इसकी जमाबंदी रद की जा रही है।
इसे लेकर आरा सदर अंचलाधिकारी ने जमीन की जमाबंदी रद करने का प्रस्ताव भेज दिया है। भेजे गए प्रस्ताव में मौजा आरा और धरहरा थाना नंबर 166 के 12 खाताधारी शामिल हैं, जिनके नाम पर तेरह खेसरा शामिल है। तेरह खेसरा में 19 जमाबंदी शामिल हैं।
कब हुआ मामले का खुलासा?
मामले का खुलासा कायमनगर-जीरो माइल मुख्य सड़क से अतिक्रमण हटाने के दौरान हुआ। रैयतों के द्वारा अतिक्रमण नहीं हटाया जा रहा था और कहा जा रहा था कि यह जमीन हम लोगों की रैयती है। जमीन से जुड़े कागजात और रजिस्ट्री डीड के साथ-साथ ऑनलाइन या ऑफलाइन दाखिल-खारिज रसीद भी दिखाई गई।
इस मामले को देखकर आरा सदर अंचलाधिकारी पल्लवी गुप्ता का माथा ठनका। मामले को गंभीरता से लेते हुए उन्होंने पूरे मामले की जांच राजस्व कर्मचारी और राजस्व पदाधिकारी से कराई। जांच में यह पता चला कि इस जमीन को भू-अर्जन कार्यालय के द्वारा 1958 में ही अधिग्रहित कर ली गई थी। इस कारण इस जमीन पर किसी भी प्रकार के रैयत का दवा नहीं बनता है।
CO ने की जमाबंदी रद करने की अनुशंसा
इसे देखते हुए आरा अंचलाधिकारी ने सभी की जमाबंदी रद करने की अनुशंसा एडीएम से कर दी है। कायमनगर-जीरो माइल मुख्य सड़क के किनारे कई बड़े प्रतिष्ठान और बड़ी-बड़ी बिल्डिंग बनी हुई है।
दूसरी तरफ इन सभी के कारण ही कायमनगर-जीरो माइल सड़क का निर्माण कार्य तेजी से पूरा नहीं हो पा रहा है, क्योंकि अब ये लोग ही केवल अतिक्रमण किए हुए हैं। इन सभी के हट जाने के बाद पूरे सड़क मार्ग से लगभग अतिक्रमण सफाया हो जाएगा, जिसके बाद सड़क का निर्माण कार्य भी तेजी से पूरा हो जाएगा।
जमाबंदी कायम नहीं करने से हुई गलतफहमी कई लोग हुए पीड़ित
जिला भू अर्जन कार्यालय के द्वारा 1958 में इस जमीन को अधिग्रहित कर लेने के बाद जिसके नाम से जमीन अधिग्रहित की गई उसके नाम से रजिस्टर टू के साथ-साथ जमाबंदी कायम करना चाहिए था।
उसके बाद सभी कागजातों को अपडेट कर देना चाहिए था। विभाग की इस भूल या लापरवाही के कारण कई लोग इस जमीन को खरीदते और बेचते रहे। अब यह मामला न्यायालय में भी जा सकता है?
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