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    सोन नदी के किनारे लहलहाते सरसों के खेत में मनाएं नए साल का जश्न, परिवार के साथ पिकनिक के लिए परफेक्ट स्पॉट

    Updated: Fri, 26 Dec 2025 03:26 PM (IST)

    नए साल का जश्न मनाने के लिए कोईलवर में सोन नदी का किनारा एक शानदार विकल्प है। सुरौधा टापू और सरसों के पीले फूल जुहू चौपाटी जैसा अनुभव कराते हैं। हरिया ...और पढ़ें

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    सोन नदी के किनारे लहलहाते सरसों के खेत में मनाएं नए साल का जश्न

    नीरज कुमार,कोईलवर (आरा)। नववर्ष दस्तक देने वाला है और माहौल परिवार एवं स्वजनों के साथ उत्सव का है। ऐसे में मस्ती के लिए जगह ढूंढ़ रहे हैं, तो ज्यादा दूर जाने की जरूरत नहीं है। अपने जिले में ही सोन तट का किनारा इंतजार कर रहा है। 

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    कोईलवर सोन नदी के पूरब दिशा में बसा सुरौधा टापू और आसपास दूर-दूर तक खिले सरसों के पीले फूल मुंबई के जुहू चौपाटी का अहसास को जीवंत कर रहे हैं। चारों ओर पानी से घिरा यह टापू किसी आइलैंड से कम नहीं लगता। हरियाली, खुला आकाश और सुनहरी रेत यहां आने वाले सैलानियों को सहज ही अपनी ओर आकर्षित करती है।

    पीली चादर से लिपटा नदी का किनारा

    बाढ़ के दौरान आई उपजाऊ मिट्टी पर लहलहाते सरसों के खेत सोन नदी के तट को पीली चादर में ढक देते हैं, जो प्राकृतिक सौंदर्य को और भी मनमोहक बना देता है। यही कारण है कि परिवार और दोस्तों के साथ सोन की खूबसूरती का आनंद लेने के लिए लोग पूरे साल नए साल का इंतजार करते हैं। 

    हालांकि आबादी वाले क्षेत्र के सामने मानकों के ताक पर रख बालू के अंधाधुंध खनन ने सुनहले रेत की परिभाषा ही बदल दी है। अंग्रेजी हुकूमत के दौरान वर्ष 1862 में निर्मित रेल-सह-सड़क लोहा पुल आज भी स्थापत्य कला की उत्कृष्ट मिसाल का उद्धरण है। पुल से सटे उत्तर दिशा में स्थित बाबा गोरया मठ, सोनभद्र मंदिर और बाबा दिनेश्वरनाथ धाम में आम दिनों में भी श्रद्धालुओं और सैलानियों की खासी भीड़ जुटती है। 

    वहीं, पुल से करीब तीन किलोमीटर दक्षिण बहियारा के पास अंग्रेजी काल की पानी टंकी और 42 एकड़ में फैला सुरम्य जंगल पर्यटकों को खूब लुभाता है।

    परिवार संग पिकनिक के लिए आदर्श स्थान

    नववर्ष के अवसर पर सोन नदी के तट पर सुनहरी रेत पर बैठकर लोग अपने परिवार के साथ तरह-तरह के व्यंजनों का आनंद लेते हैं। आस्था से जुड़े लोग नदी में तैरती मछलियों को चावल, मुढ़ी, काले तिल और आटे की गोलियां चारे के रूप में खिलाते नजर आते हैं। 

    वहीं, नदी तट पर साइबेरियन पक्षियों के झुंड पर्यटकों का मन मोह लेते हैं। इस बार भी यहां बड़ी संख्या में नववर्ष पर लोगों के आने की उम्मीद है। प्रशासन भी नववर्ष पर यहां सुरक्षा प्रदान करने की तैयारी कर रहा है।

    कैसे पहुंचे सोन तट

    जिला मुख्यालय से कोईलवर सोन तट तक निजी वाहन, पैसेंजर ट्रेन या सवारी गाड़ी से आसानी से पहुंचा जा सकता है। रेलवे स्टेशन और एनएच-922 से कुछ ही कदम की दूरी पर गोरया घाट, बाबा दिनेश्वरनाथ धाम, सोनभद्र मंदिर और विशाल रेलवे पुल स्थित हैं। 

    सुरौधा टापू जाने के लिए स्थानीय छोटी नावों की सुविधा उपलब्ध है, जबकि बहियारा और बिंदगांवा संगम स्थल तक सवारी गाड़ी या निजी वाहन से पहुंचा जा सकता है।