बिहार के इस शहर में मिल सकता है प्राकृतिक गैस का भंडार, गंगा तट पर शुरू हुई खुदाई; उमड़ी लोगों की भीड़
बिहार के शाहपुर में प्राकृतिक गैस और पेट्रोलियम उत्पादों की खोज के लिए खुदाई शुरू हो गई है। उपग्रहीय डेटा के विश्लेषण और शुरुआती जांच में प्राकृतिक संसाधनों का पता चला है। पूर्व में खुदाई के दौरान मिले संकेतों के आधार पर भारत सरकार द्वारा खुदाई कराई जा रही है। यदि खुदाई में प्राकृतिक संसाधन प्राप्त हो जाता है तो क्षेत्र का नाम भी माइनिंग क्षेत्र में जुड़ जाएगा।
संवाद सूत्र, शाहपुर(आरा)। जिले के गंगानदी के तटवर्ती इलाके में धरती के भूगर्भ से प्राकृतिक संसाधनों को दोहन करने के उद्देश्य से खुदाई शुरू कर दी गई है। जिस स्थान पर खुदाई हो रही है, वह पूर्व में गंगानदी का बहाव क्षेत्र था।
वर्तमान में गंगा नदी की दूरी तीन किलोमीटर हैं। उपग्रहीय डेटा के विश्लेषण में यहां प्राकृतिक तेल एवं गैस के बड़े भंडार का पता चला था। इसके बाद तीन साल पहले सतही खुदाई कर मिट्टी के नमूने लिए गए थे।
भारत सरकार द्वारा कराई जा रही खुदाई
पूर्व में खुदाई के दौरान भूगर्भ से प्राप्त तरत पदार्थ व मिट्टी के लिए गए नमूनों को तेल एवं प्राकृतिक गैस के कुएं की खुदाई करने वाली कंपनी हैदराबाद के अल्फा जियो के प्रयोगशाला में जांच की गई थी। जिसके आधार प्राकृतिक गैस तथा पेट्रोलियम उत्पाद की खोज के लिए भारत सरकार द्वारा खुदाई कराई जा रही है।
क्षेत्र के विकास के लिए अहम
यदि संकेत के आधार पर हो रही खुदाई में प्राकृतिक संसाधन प्राप्त हो जाता है तो क्षेत्र का नाम भी माइनिंग क्षेत्र में जुड़ जाएगा। जिसके साथ ही क्षेत्र के विकास में अहम भूमिका भी निभाएगा। हालांकि, ये बातें फिलहाल धरती के भूगर्भ में है।
आत्मनिर्भर भारत प्रोग्राम के तहत किया जा रहा कार्य
उक्त परियोजना पर भारत सरकार व बिहार सरकार के आत्मनिर्भर भारत प्रोग्राम के तहत यह कार्य कराया जा रहा है। पहले करीब तीन वर्ष पूर्व हैदराबाद की अल्फा जियो कंपनी द्वारा तीन किलोमीटर तक खुदाई की गई थी, जो करीब दो से तीन किलोमीटर भूमि के भीतर तक हुई थी।इसकी जांच आधार पर कुछ संकेत मिले हैं, जिसको लेकर भोजपुर जिले के शाहपुर प्रखंड के देवमलपुर गांव के मौजा में खुदाई का कार्य चल रहा है।
खुदाई करने वाली कंपनी के अधिकारी
सतह से तीन से छह किलोमीटर नीचे तक होगी खुदाई
कंपनी के क्रॉप अधिकारी द्वारा बताया गया कि यह कार्य धरती से तीन से छह किलोमीटर नीचे तक खुदाई कर उसकी जांच की जाएगी। खुदाई के दौरान भूगर्भ में प्रत्येक बीस मीटर पर हल्का डाइनामाइट लगाकर हल्के विस्फोट कर निचले स्तर पर ड्रिलर को पहुंचाया जा रहा है।
विस्फोटक के बाद धरती पर जो हलचल होती है, उसके डेटा को करीब में लगे एक विशेष यंत्र द्वारा संग्रह किया जाता है।
गंगानदी के बेसिन में यह खुदाई लोगों के लिए कौतुहल का विषय बना हुआ है। अचानक से चिन्हित प्लॉट पर जाकर खड़ी फसल के बीच खुदाई करने को लेकर पहले तो जमीन मालिक से संपर्क किया गया।
जमीन मालिक को बताया गया है कि खुदाई से उसकी फसल की जितना नुकसान होगा उसकी भरपाई की जाएगी। जिसके बाद उक्त प्लॉट में खुदाई का कार्य शुरू कराया गया।
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