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    Bihar Land Survey: दाखिल-खारिज में मनमानी, अफसरों के निर्देश और आपत्तियां नजरअंदाज कर रहे राजस्व कर्मी

    Updated: Mon, 07 Apr 2025 01:21 PM (IST)

    बिहार के बिहटा अंचल कार्यालय में दाखिल-खारिज के मामले में अनियमितता का मामला सामने आया है। सरकार द्वारा की जा रही घोषणाओं का अंचल कार्यलयों में कई असर नहीं दिख रहा है। महज दो दिन में एक आवेदन को मंजूरी दे दी गई जबकि प्रतिवादी के आपत्ति को नजरअंदाज कर दिया गया। अपर समाहर्ता राजस्व एवं भूमि सुधार जगदीशपुर ने बिहटा अंचल के राजस्व अधिकारी और कर्मचारी से जवाब मांगा है।

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    पक्षकार के पक्ष को विधिवत संज्ञान में लिए बिना दे दी वाद की स्वीकृति

    संवाद सूत्र, बिहिया। दाखिल-खारिज के मामले को सहज और पारदर्शी बनाने के लिए सरकार लगातार नई-नई घोषणाएं कर रही है, लेकिन अंचल कार्यालयों में वही हो रहा है जो मंजूरे 'खुदा' होता है। बिहिया अंचल कार्यालय में दाखिल-खारिज का एक ऐसा ही मामला सामने आया है।

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    आपत्ति को नहीं दी प्राथमिकता

    दाखिल-खारिज के मामले में कर्मियों ने आवेदन करने के बाद न केवल महज दो दिन में प्रक्रिया को आमजन तक पहुंचा दिया, जो अक्सर होता नहीं है। बल्कि प्रतिवादी के आपत्ति को कूड़े में डालकर वरीय अधिकारियों के निर्देश को अपने हिसाब से परिभाषित कर दाखिल-खारिज वाद की स्वीकृति दे दी।

    जिलाधिकारी तक पहुंचा मामला

    अब मामला एक बार फिर सीधे जिलाधिकारी के पास पहुंचने पर अपर समाहर्ता राजस्व एवं भूमि सुधार जगदीशपुर द्वारा बिहिया अंचल के राजस्व अधिकारी तथा राजस्व कर्मचारी से कारण बताते हुए जवाब देने के लिए कहा है। मामला दाखिल-खारिज वाद संख्या 1967 /24 - 25 से जुड़ा है।

    बिहिया मौजा में स्थित है जमीन

    संबंधित जमीन बिहिया मौजा में स्थित है। जानकारी के अनुसार संबंधित जमीन पर स्वत्व को लेकर विवाद चल रहा है, जिसको लेकर पक्षकार उच्च न्यायालय से लेकर बीएलटी तथा निचली अदालत तक का चक्कर लगा रहे है। इसी बीच एक पक्ष ने एक तीसरे पक्ष को उस जमीन को बेच दिया है।

    तीसरे पक्ष ने किया आवेदन

    जमीन खरीदने वाले तीसरे पक्ष ने अपने नाम दाखिल-खारिज के लिए अंचल कार्यालय बिहिया में आवेदन दिया, जिसका नंबर दाखिल-खारिज वाद संख्या 3190/23-24 है। इस वाद को इस आधार पर खारिज कर दिया गया कि संबंधित भूखंड पर स्वत्व वाद संख्या 43/2024 व्यवहार न्यायालय में लंबित है।

    सीओ के आदेश के विरुद्ध तीसरे पक्ष ने डीसीएलआर के यहां अपील की तो उन्होंने सीओ के फैसले को निरस्त कर अपील वाद को प्रतिप्रेषित करते हुए दखल कब्जा सहित सभी कागजातों की जांच करते हुए बिहार दाखिल- खारिज अधिनियम 2011 अनुरूप नियमानुकूल आदेश पारित करने का निर्देश दिया।

    फिर दायर किया दाखिल-खारिज वाद

    डीसीएलआर ने यह भी कहा कि यह आदेश टी एस नंबर 43/2024 एवं बीएलटी वाद संख्या 194/2024 के अंतिम निर्णय से प्रभवित होगा। इस आधार पर तीसरे पक्ष ने पुनः अंचल कार्यालय में दाखिल-खारिज वाद संख्या 1967 /2425 दाखिल किया था।

    जिसे कर्मचारी और राजस्व अधिकारी ने महज दो दिन में न केवल आमजन तक पहुंचा दिया, बल्कि एक पक्षकार के पक्ष को बिना विधिवत संज्ञान में लिए बाद में वाद की स्वीकृति दे दी। राजस्व एवं भूमि सुधार उप समाहर्ता ने कारण पृच्छा में कहा है कि उक्त दाखिल-खारिज वाद में पक्षकार के पक्ष को विधिवत संज्ञान में लिए बिना हीं निर्णय पर पहुंचा गया है।

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