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    Shweta Mishra: आरा में भी उजागर हुए थे श्वेता मिश्रा के कारनामे, बिहार विधान परिषद तक पहुंचा था मामला

    Updated: Thu, 05 Jun 2025 09:10 PM (IST)

    कटिहार में लोक शिकायत निवारण पदाधिकारी श्वेता मिश्रा के ठिकानों पर विशेष निगरानी इकाई ने छापा मारा। आय से अधिक संपत्ति के मामले में यह कार्रवाई हुई। छापेमारी में नकदी जेवरात और कई शहरों में अचल संपत्ति के प्रमाण मिले हैं। पहले भी श्वेता मिश्रा पर आरा में डीसीएलआर रहने के दौरान भ्रष्टाचार के आरोप लग चुके हैं जिसकी शिकायत विधान परिषद तक पहुंची थी।

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    आरा में भी उजागर हुए थे श्वेता मिश्रा के काले कारनामे

    जागरण संवाददाता, आरा/पटना। कटिहार में अनुमंडल लोक शिकायत निवारण पदाधिकारी श्वेता मिश्रा के कारनामे भोजपुर जिले के आरा सदर अनुमंडल में डीसीएलआर रहने के दौरान भी उजागर हुए थे। तब इनका मामला जिला मुख्यालय से होते हुए बिहार विधान परिषद तक भी पहुंच चुका था।

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    कार्यालय में खुलेआम वसूली की शिकायत के बाद उनके कार्यालय से तत्कालीन डीएम राजकुमार ने दलाल को गिरफ्तार करवाया था। दलाल की गिरफ्तारी के बाद तत्कालीन डीसीएलआर के रूप में श्वेता मिश्रा का संदेहजनक कार्य उजागर होने के बाद तत्कालीन डीएम ने उनके खिलाफ विभाग को कार्रवाई करने के लिए भी लिख दिया था।

    उनपर कार्यालय में दलालों के माध्यम से जमीन संबंधी अवैध कार्यों की बात सामने आई थी। इसके विरुद्ध कई स्थानीय लोगों ने डीएम से शिकायत की थी।

    वहीं, विधान परिषद सदस्य नवल किशोर राय ने भी सदन में आवाज उठाई थी। आरा के पहले मुजफ्फरपुर शेल्टर होम का भी एक मामला उजागर हुआ था, उसमें कई पदाधिकारी दोषी पाए गए थे, जिनमें कैमूर की तत्कालीन जिला प्रोग्राम पदाधिकारी रहीं श्वेता मिश्रा भी शामिल थीं।

    मनिहारी की लोक शिकायत पदाधिकारी के ठिकानों पर छापा

    बता दें कि राज्य की विशेष निगरानी इकाई ने मनिहारी (कटिहार) में लोक शिकायत निवारण पदाधिकारी के पद पर पदस्थापित श्वेता मिश्रा के ठिकानों पर छापा मारा है। आय से अधिक संपत्ति अर्जित करने के मामले में हुई इस कार्रवाई में अब तक साढ़े छह लाख नकद, 16 लाख रुपये के जेवरात के साथ ही पटना, प्रयागराज और गाजियाबाद में अचल संपत्ति के भी प्रमाण मिले हैं।

    छापेमारी की यह कार्रवाई मनिहारी (कटिहार) के अलावा पटना कटिहार एवं प्रयागराज में भी की गई। जांच के दौरान इनके पास अकूत संपत्ति होने के प्रमाण मिले हैं। विशेष निगरानी इकाई से मिली जानकारी के अनुसार श्वेता मिश्रा पर आरोप है कि सरकारी सेवा में रहते हुए उन्होंने गलत तरीके से अकूत सम्पत्ति अर्जित की है जो कि उनके द्वारा प्राप्त वेतन एवं अन्य ज्ञात स्रोत की तुलना में बहुत ही अधिक है।

    श्वेता मिश्रा पर कुल 80,11,659 रुपये की गैरकानूनी और नाजायज संपत्ति अर्जित करने के कारण अगल अगल धाराओं में कांड दर्ज किया गया है। मिश्रा पर वर्णित आरोपो के आधार पर लगभग 84.34 प्रतिशत से अधिक आय से अधिक संपत्ति का मामला बनता है। एसवीयू ने कांड के दर्ज करने के बाद न्यायालय में आवेदन देकर मिश्रा के ठिकानों पर तलाशी के लिए वारंट प्राप्त किया इसके बाद गुरुवार की सुबह इनके अलग-अलग ठिकानों पर एक साथ छापा मारा गया।

    एसवीयू के अनुसार श्वेता मिश्रा के ठिकानों से अब तक 6.51 लाख नकद, 16 लाख रुपये के जेवरात, बैंक खातों और बैंक एफडी में करीब 20 लाख की जानकारी मिली है। इन संपत्तियों के अलावा श्वेता मिश्रा की कई अचल संपत्ति की भी पुष्टि हुई है। इनमें अराध्या मेंशन, एजी कालोनी, शेखपुरा में फ्लैट, एक प्रयागराज के तहसील सदर में एक आलीशान मकान के दस्तावेज भी मिले हैं।

    इस मकान की साज सज्जा पर 30-35 लाख रुपये खर्च किए गए हैं। श्वेता मिश्रा के नाम पर गौर हाई स्ट्रीट राजनगर एक्टेंशन एनएच 58 गाजियाबाद में एक शापिंग स्पेस भी है। विशेष निगरानी के अनुसार श्वेता मिश्रा के नाम कई जमीन होने के प्रमाण भी मिले हैं। जिस पर अलग से विस्तृत जांच की जाएगी। जांच के दौरान आय से अधिक अर्जित आय से अधिक संपत्ति और बिहार उत्तर प्रदेश में मिलने की संभावना है। एसवीयू ने इन्हें जांच के बाद एक भ्रष्ट अधिकारी बताया है।

    नोट गिनने के लिए मंगाई गई मशीन

    मनिहारी स्थिति लोक शिकायत निवारण पदाधिकारी श्वेता मिश्रा पर की गई कार्रवाई के बाद बरामद नकद को गिनने के लिए जांच एजेंसी को मशीन भी मंगानी पड़ी। हालांकि जांच एजेंसी ने अब तक की कार्रवाई में महज साढ़े छह लाख रुपये ही बरामद किए हैं।

    इसके पूर्व भी श्वेता पर लगे हैं आरोप

    श्वेता मिश्रा पर यह कोई पहली बार मामला दर्ज नहीं हुआ है। इसके पूर्व जब वह भोजपुर के आरा के सदर अनुमंडल ब्लाक में डीसीएलआर के पद पर पदस्थापित थी उसे वक्त भी उन पर गंभीर भ्रष्टाचार के आरोप लगे थे। इस मामले की बाकायदा जांच भी कराई गई थी। इतना ही नहीं श्वेता मिश्रा पर लगे आरोपों का मामला बिहार विधान परिषद तक उठाया गया था।