Bhojpur News: भोजपुर का स्वर्णिम इतिहास खो रहा विरासत, आरा कोर्ट और बाबू बाजार समेत कई धरोहर का बुरा हाल
Ara News भोजपुर का गौरवशाली इतिहास उपेक्षा के अंधकार में खो रहा है। जिले में कई ऐतिहासिक और सांस्कृतिक स्थल हैं जो कि इसके महत्व को दर्शाते हैं। इनमें आरा कोर्ट नागरी प्रचारिणी हॉल बाबू बाजार एंग्लिकन चर्च पार्श्वनाथ मंदिर आरा हाउस कुंवर सिंह का किला और देव वरुणार्क सूर्य मंदिर शामिल हैं। इन स्थलों को सहेजने की आवश्यकता है।

जागरण संवाददाता, भोजपुर। Bhojpur News: हर साल 18 अप्रैल को विश्व विरासत दिवस मनाया जाता है, जिसका उद्देश्य सभ्यता से जुड़े ऐतिहासिक और सांस्कृतिक स्थलों के महत्व को समझना और उनके संरक्षण के प्रति जागरुकता लाना है। भले ही भोजपुर जिले का कोई भी स्थल विश्व या राष्ट्रीय विरासत की सूची में शामिल न हो, फिर भी यहां कई प्राचीन स्थल मौजूद हैं जो जिले के सांस्कृतिक, ऐतिहासिक और सामाजिक महत्व को दर्शाते हैं।
आरा कोर्ट का 160 साल पुराना इतिहास
शाहाबाद के मुख्यालय के रूप में आरा में स्थापित जिला न्यायालय का इतिहास लगभग 160 साल पुराना है। इस ऐतिहासिक कोर्ट के रिकॉर्ड ऑफिस में एक ऐसा बल्ब लगा है जो लगभग 80 साल पुराना है। कहा जाता है कि यह टंगस्टन फिलामेंट वाला बल्ब आजादी से पहले से लगा है और आज तक फ्यूज नहीं हुआ है।
नागरी प्रचारिणी हॉल, आरा
जब ब्रिटिश सरकार में हिंदी की उपेक्षा हो रही थी, तब नागरी लिपि के प्रचार और हिंदी साहित्य के विस्तार के लिए काशी और आरा में नागरी प्रचारिणी सभा की स्थापना की गई। आरा में इसकी स्थापना 12 अक्टूबर 1901 को हुई थी। अब इस भवन के जीर्णोद्धार की आवश्यकता है।
बाबू बाजार स्वतंत्रता संग्राम का प्रतीक
आरा का बाबू बाजार 1857 के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम का गवाह है। यहां बाबू कुंवर सिंह की हवेली थी, जहाँ वे अदालत लगाते थे और लोगों से मिलते थे। अंग्रेजों को इस हवेली से जलन थी। यहीं पर विद्रोही सिपाहियों ने उन्हें मुख्य संचालक का पद स्वीकार करने का आग्रह किया था।
एंग्लिकन चर्च राजधानी परिवर्तन का साक्षी
रमन मैदान के सामने बना एंग्लिकन चर्च देश की राजधानी कोलकाता से दिल्ली स्थानांतरित किए जाने का गवाह है। 1911 में जॉर्ज पंचम के आरा प्रवास के दौरान उनके प्रार्थना के लिए इस चर्च का निर्माण हुआ था। यहीं से जाने के बाद उन्होंने दिल्ली को राजधानी बनाने की घोषणा की थी।
पार्श्वनाथ मंदिर जैन धर्म का अनमोल धरोहर
भोजपुर जिले का मसाढ़ गांव जैन संस्कृति का अद्भुत संगम स्थल है। यहां 23वें तीर्थंकर भगवान पार्श्वनाथ ने धर्मोपदेश दिया था। मंदिर के निर्माण में लाहौरी ईंट का इस्तेमाल किया गया है। यह प्राचीन मंदिर जीर्णोद्धार की बाट जोह रहा है।
आरा हाउस स्वतंत्रता संग्राम का मौन गवाह
1857 के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम का आरा हाउस मौन गवाह है। महाराजा कॉलेज परिसर स्थित इस इमारत में वीर कुंवर सिंह की फौज ने अंग्रेज पदाधिकारियों और सैनिकों को बंधक बनाकर रखा था। आज यहां पढ़ने वाले छात्र भी इस ऐतिहासिक स्थल से अनजान हैं।
कुंवर सिंह का किला और संग्रहालय
जगदीशपुर में बाबू कुंवर सिंह का किला बिहार की गौरवशाली विरासत का प्रतीक है। यहां उनके नाम से बना संग्रहालय भी देखने योग्य है, जहाँ उनके जीवन और 1857 के विद्रोह से संबंधित कलाकृतियां प्रदर्शित हैं। इस स्थल को पर्यटन से जोड़ने की घोषणा कई बार हुई है, लेकिन अभी भी पहल का इंतजार है।
देव वरुणार्क सूर्य मंदिर गुप्तकालीन धरोहर
तरारी के देव में सूर्य मंदिर का निर्माण गुप्त वंश के राजा समुद्रगुप्त ने कराया था। मंदिर में सूर्य देव को समर्पित कई प्राचीन मूर्तियां हैं। इस ऐतिहासिक धरोहर को सहेजने के लिए प्रभावी कदम का आज भी इंतजार है।

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