Ara News: लौकी की खेती से चमकी आरा के किसान की किस्मत, कर रहे लाखों की कमाई
भोजपुर के बड़हरा प्रखंड के धुसरीया गांव के किसान लोरिक पासवान पारंपरिक खेती से हटकर लौकी की खेती कर रहे हैं। वे इससे अच्छी कमाई कर रहे हैं और अन्य किसानों को भी प्रेरित कर रहे हैं। लोरिक पासवान आरा छपरा के बाजार में लौकी की सप्लाई करते हैं। उनका कहना है कि सब्जी की खेती अच्छी कमाई का जरिया है।

संवाद सूत्र, बड़हरा (आरा)। भोजपुर जिले के बड़हरा प्रखंड अंतर्गत धुसरीया गांव के किसान लोरिक पासवान अपनी पारंपरिक खेती से अलग नवाचार के सहारे लौकी की खेती कर रहे हैं। किसान लोरिक पासवान लौकी की खेती कर न सिर्फ अच्छी कमाई कर रहे हैं बल्कि और किसानों को भी इसके लिए प्रेरित कर रहे हैं।
बारिश की वजह से नुकसान
किसान ने बताया कि वे करीब दस वर्षों से सब्जी की खेती करते आ रहे हैं। इस वर्ष चार बीघा में लौकी की खेती की है। चार बीघा में लौकी की खेती में जुताई, बुवाई और पटवन समेत अन्य खर्च करीब 80 हजार रुपया आया है।
इस वर्ष बारिश और ओले पड़ने से काफी नुकसान हुआ हैं, जिसकी वजह से इस वर्ष खेतों में खर्च किये गए रुपये भी वापस आने की उम्मीद नहीं है।
उन्होंने बताया कि इसके पहले लौकी की खेती करके उन्होंने शादी-विवाह के दौरान चार लाख रुपये तक की आमदनी की है। उन्होंने किसानों को पड़े पैमाने पर सब्जी की खेती करने की सलाह दी।
आरा-छपरा के बजार में करते हैं लौकी की सप्लाई
किसान बताते हैं कि हम आरा, छपरा और कायमनगर बाजार में लौकी सब्जी की सप्लाई करते हैं। इसके अलावा कई व्यापारी हमारे खेतों तक आकर लौकी की खरीद करते हैं। प्रत्येक दो दिन बाद चार बीघा खेत से करीब छह सौ से आठ सौ तक लौकी निकलती है। शादी विवाह के सीजन में अच्छा भाव मिलता हैं। इस दौरान आमदनी भी अच्छी होती है।
बड़े पैमाने पर खेती करने की सलाह
किसान लोरिक पासवान ने बताया कि सब्जी की खेती करना चाहते हैं तो छोटे पैमाने पर न करके बड़े पैमाने पर सब्जी की खेती करें तो बाजार मिलने की समस्या नहीं होगी। बड़े पैमाने पर सब्जी की खेती करने से आरा, छपरा, लकायमनगर और पटना तक के बड़े व्यापारी अपने वाहनों से खेत से ही सब्जी खरीदारी कर लेते हैं।
चौदह बीघा में खेती करते हैं लोरिक पासवान
लोरिक पासवान ने बताया कि वे कुल चौदह बीघा में सब्जी की खेती करते हैं, जिसमें चार बीघा में केवल लौकी का खेती होता हैं। उनका कहना है कि धान, गेहूं, मक्का इत्यादि की फसल से केवल जीवन यापन किया जा सकता है। अच्छी कमाई के लिए सब्जी की खेती उपयुक्त है।
सरकारी अनुदान की बात पूछे जाने पर उन्होंने बताया कि सरकारी अनुदान के चक्कर में पड़ने पर बुवाई का सीजन निकल जाता है। और लेट बुवाई से कमाई पर बुरा प्रभाव पड़ता है। इसलिए अपनी जमापूंजी की मदद से वे सब्जी की खेती को आगे बढ़ा रहे हैं।

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