Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    Ara News: आरा के 69.5 प्रतिशत बच्चे और 63.6 प्रतिशत महिलाएं एनीमिया की चपेट में, डॉक्टरों की रिपोर्ट ने बढ़ाई चिंता

    Updated: Tue, 12 Nov 2024 03:53 PM (IST)

    आरा जिले में 69.5 प्रतिशत बच्चे और 58.3 प्रतिशत गर्भवती महिलाएं एनीमिया से पीड़ित हैं। स्वास्थ्य विभाग ने एनीमिया मुक्त भारत निर्माण योजना के तहत छह आयु वर्ग की महिलाओं और बच्चों को लक्षित किया है। एनीमिया से बचाव के लिए आयरनयुक्त आहार और जीवनशैली में बदलाव आवश्यक है। डॉक्टर की सलाह से दवा और खानपान लेने से एनीमिया की चपेट में आने से बचा जा सकता है।

    Hero Image
    प्रस्तुति के लिए इस्तेमाल की गई तस्वीर

    अरुण प्रसाद, आरा। आरा जिले में 06 से 59 माह के 69.5 प्रतिशत बच्चे एवं 58.3 प्रतिशत गर्भवती महिलाओं समेत प्रजनन आयु वर्ग की 63.6 प्रतिशत महिलाएं एनीमिया से ग्रसित हैं। इस बीमारी से बचाव के लिए स्वास्थ विभाग के एक अभियान के तहत छह विभिन्न आयु वर्ग की महिलाओं व बच्चों को लक्षित किया गया है।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य एनीमिया जैसे गंभीर रोगों से उनका बचाव करना है। इस कार्यक्रम के तहत एनीमिया में प्रतिवर्ष तीन प्रतिशत की कमी लाने का लक्ष्य रखा गया है।

    कुपोषण के खिलाफ जारी लड़ाई में एनीमिया बनी गंभीर बाधा

    कुपोषण से लड़ने की राह में एनीमिया एक गंभीर बीमारी व बाधा के रूप में उभरी है। खासकर महिलाएं और प्रसूताओं को इस बीमारी से ज्यादा परेशानी हो रही है। थोड़ी सी भी लापरवाही जान को जोखिम में डाल सकती है। इसलिए लोगों को इसे गंभीरता से लेने की जरूरत है।

    व्यक्ति के शरीर में आयरन की कमी के कारण जब हीमोग्लोबिन का बनना सामान्य से कम हो जाता है, तब शरीर में खून की कमी होने लगती है। इस स्थिति को ही एनीमिया कहा जाता है।

    इस बीमारी से बचाव के लिए लोगों को जीवनशैली में बदलाव और आयरनयुक्त आहार का सेवन करने की जरूरत है। जिले में स्वास्थ्य विभाग केंद्र सरकार द्वारा संचालित एनीमिया मुक्त भारत निर्माण योजना को प्रभावी बनाने के प्रयासों में जुट गया है।

    डॉक्टर की सलाह से लें दवा और खानपान

    एसीएमओ डॉ. केएन सिन्हा ने बताया कि एनीमिया का शुरुआती लक्षण थकान, कमजोरी, त्वचा का पीला होना, दिल की धड़कन में बदलाव, सांस लेने में तकलीफ, चक्कर आना, सीने में दर्द होना, हाथों और पैरों का ठंडा होना, सिरदर्द आदि हैं।

    ऐसे लक्षण अगर आपको दिखाई दें तो तत्काल अपनी जीवनशैली में बदलाव करें और डाक्टर के पास जाकर इलाज करवाएं। डाक्टर की सलाह के मुताबिक दवा और खानपान लें।

    एनीमिया के दौरान प्रोटीनयुक्त भोजन जैसे- पालक, सोयाबीन, चुकंदर, लाल मांस, मूंगफली, मक्खन, अंडे, टमाटर, अनार, शहद, सेब, खजूर आदि का सेवन करें, जो आपके शरीर में खून की कमी को पूरा करता है। इन चीजों का सेवन करते रहने से आप एनीमिया की चपेट में आने से बच सकते हैं।

    लकवा वाले मरीजों की 60 दिनों तक निगरानी होगी

    उधर, देश पोलियो के रोग से पूरी तरह मुक्त हो चुका है और अब इसके प्रमाणीकरण के लिए कई स्तरों पर काम किया जा रहा है। इसी को लेकर मंगलवार को विश्व स्वास्थ्य संगठन ने शेखपुरा में एक दिन की कार्यशाला आयोजित की।

    सिविल सर्जन डॉ. संजय कुमार द्वारा उद्घाटित कार्यशाला में जिला प्रतिरक्षण पदाधिकारी डॉ. संजय कुमार शर्मा, एसीएमओ डॉ. अशोक कुमार सिंह, डॉ. रामाश्रय प्रसाद सिंह, यूनिसेफ के जिला समन्वयक डॉ. प्रतिभा झा सहित जिला के सभी प्रखंडों के चिकित्सा पदाधिकारी व अन्य चिकित्सक भी शामिल हुए।

    कार्यशाला में विश्व स्वास्थ्य संगठन के प्रतिनिधि डॉ. बासवराज कटारकी ने कहा पोलियो मुक्त होने के बाद अब भारत सहित पूरे विश्व में लकवा, खसरा, गलघोटू, काली खांसी, नवजात टेटनस पर काम किया जा रहा है।

    छोटे बच्चों में अचानक शरीर का लुंजपुंज हो जाना अनजाने में बड़ी बीमारी हो सकती है। ऐसे मरीज की इलाज के साथ 60 दिनों तक विशेष निगरानी के साथ 60 दिन के भीतर दो बार स्टूल जांच करानी जरूरी है।

    यह भी पढ़ें-

    Train Seat Availability: अब चार्ट बनने के बाद भी मिल जाएगी खाली बर्थ की जानकारी, रेलवे ने निकाला गजब का उपाय

    अमृतसर-कोलकाता औद्योगिक कोरिडोर निर्माण की गति में आई तेजी, नेशनल हाईवे-2 से होगा कनेक्ट

    comedy show banner
    comedy show banner