विश्व पर्यटन दिवस : गंगा, कर्ण, महर्षि मेंहीं, जैन मंदिर, अजगवीनाथ, बटेश्वरस्थान, विक्रमशिला विवि, सिल्क... बहुत कुछ है भागलपुर में
विश्व पर्यटन दिवस अंग प्रदेश में पर्यटन की आपार संभावना बस सार्थक पहल किए जाने की दरकार। अंग क्षेत्र में धार्मिक प्राकृतिक लोककला व सांस्कृतिक धरोहर की भरमार। बौद्ध जैव व शैव सर्किंट से जोड़ने का कई बार सरकार दे चुकी है आश्वासन।

जागरण संवाददाता, भागलपुर। विश्व पर्यटन दिवस : गंगा के तट पर बसा यह एक अत्यंत प्राचीन शहर है। पुराणों और महाभारत में इस क्षेत्र को अंग प्रदेश का हिस्सा माना गया है। भागलपुर के निकट स्थित चंपानगर महान पराक्रमी शूरवीर कर्ण की राजधानी मानी जाती रही है। भागलपुर में कई ऐसे पर्यटन केंद्र हैं, जहां संभावनाएं हैं, मगर वह किन्हीं कारणों से लोकप्रियता के मानक पर पिछड़े हुए हैं।
जिलों में पर्यटन को बढ़ावा देने की जरूरत है। गत माह पर्यटन सचिव ने शाहजंगी मजार के टील्हे को विकसित कर पर्यटन से जेाड़ने का आश्वासन दिया था। जैन व बौद्ध सर्किंट के साथ शैव सर्किंट से जोड़ने की कई बार मांग हुई, आश्वासन भी मिला पर इसके बाद कारगर प्रयास नहीं हो पाया। जबकि इतिहास में झांकें तो हम पाते हैं बीते समय में भागलपुर भारत के दस बेहतरीन शहरों में से एक था। इसका इतिहास काफी पुराना है।
- ईसापूर्व 5वीं सदी में चंपावती के नाम से जाना जाता था यह नगर
- गंगा जल और गैंग्स आफ वासेपुर समेत कई बालीवुड फिल्मों की हो चुकी है शूटिंग
- तसर सिल्क के बड़े उत्पादन क्षेत्र के रूप में है पहचान
भागलपुर को (ईसापूर्व 5वीं सदी) चंपावती के नाम से जाना जाता था। सुंदरता और ऐतिहासिक धरोहरों के साथ-साथ गंगा नदी के शानदार परिदृश्य के कारण यहां कई बालीवुड फिल्मों की शूटिंग हो चुकी है। इसमें जिसमे गंगाजल, गैंग्स आफ बासेपुर जैसी लोकप्रिय फिल्में शामिल हैं।
भागलपुर की पहचान तसर सिल्क कपड़े के उत्पादन के लिए भी है। शाहकुंड में खेड़ी पहाड़ी, कहलगांव का बटेश्वर स्थान व सुल्तानगंज में अजगैबी नाथ मंदिर यहां के प्रसिद्ध् धार्मिक स्थल हैं। इन स्थलों के चारों और प्रकृति का मनोरम नजारा देखने को मिलेगा। बटेश्वर स्थान में गंगा और कोसी नदी संगम है। यहां शैलानियों को मंत्रमुग्ध कर देने वाला तीन आइलैंड मौजूद हैं। अजगवी नाथ मंदिर भी गंगा से सटे पहाड़ी पर है।
यहीं है मेंही की तपोभूमि, वासुपूज्य की पंचकल्याणक भूमि
कहलगांव में विक्रमशिला व नाथनगर में जैन मंदिर है। जैन मंदिर भगवान वासुपूज्य की पंच कल्याणक भूमि है। जैन धर्म के 12वें तीर्थकर भगवान वासुपूज्य का जन्म से लेकर मोक्ष तक चंपानगर की धरती पर हुआ। महर्षि मेंहीं की तपोभूमि भी यहीं कुप्पाघाट में है। यहां देश भर से लोग दर्शन के लिए पहुंचते हैं। इस आश्रम को भागलपुर के प्रमुख पर्यटन स्थल के रूप में विकसित किया गया है। इसके आस पास का वातावरण शुद्ध् तो है ही, यहां के पार्क को भी बड़े सुन्दर तरीके से सुसज्जित किया गया है। बूढ़ानाथ व मनसा मंदिर भी दार्शनिक स्थल हैं। यहां की मंजूषा कला और बाला बिहुला की लोकगाथा काफी प्रसिद्ध् है।
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