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    भारतीय स्‍वतंत्रता आंदोलन में RSS की क्‍या और कैसी थी भूमिका? प्रज्ञा प्रवाह के क्षेत्रीय संयोजक ने खोले राज

    By Dilip Kumar ShuklaEdited By:
    Updated: Tue, 29 Mar 2022 02:53 PM (IST)

    भारतीय स्‍वतंत्रता आंदोलन में राष्‍ट्रीय स्‍वयंसेवक संघ (RSS) की क्‍या और कैसी भूमिका थी इस विषय की कई महत्‍वपूर्ण जानकारी प्रज्ञा प्रवाह के क्षेत्रीय संयोजक रामाशीष सिंह ने दी। उन्‍होंने कहा कि डा हेडगेवार ने स्‍वतंंत्रता आंदोलन के अग्रदूत थे।

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    भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में आरएसएस की भूमिका पर प्रज्ञा प्रवाह क्षेत्रीय संयोजक रामाशीष सिंह ने बताए कई जानकारी।

    ऑनलाइन डेस्‍क, भागलपुर। राष्‍ट्रीय स्‍वयंसेवक संघ के वर‍िष्‍ठ प्रचारक प्रज्ञा प्रवाह (पूर्वी उत्‍तरप्रदेश, बिहार व झारखंड) के क्षेत्रीय संयोजक रामाशीष सिंह भागलपुर आए हुए हैं। उन्‍होंने कहा स्‍वतंत्रता आंदोलन में राष्‍ट्रीय स्‍वयंसेवक संघ (आरएसएस) की महत्‍वपूर्ण भूमिका रही है। आरएसएस संस्‍थापक डॉ केशव बलिराम हेडगेवार वर्ष 1921 में छह माह तक जेल में रहे। न्‍यायाधीश ने सुनवाई के दौरान कहा था कि हेडगेवार ने जो बचाव के लिए दलील दी है वह अंग्रेजों के खिलाफ है। जब दलील वे इस तरह दे सकते हैं तो स्‍वतंत्रता आंदोलन में उनकी भूमिका अंग्रेजों के खिलाफ कितना खतरनाक होता होगा? इसलिए इन्‍हें छह माह स‍श्रम कारावास दिया जाय। छह माह जेल में रहकर जब वे वहां से निकले, उनके स्‍वागत और सम्‍मान का भव्‍य आयोजन लोगों ने किया। काफी संख्‍या में लोग उमड़़े। स्‍वतंत्रता सेनानी हेडगेवार के नारे लगाए गए। इस आयोजन में मोती लाल नेहरू सहित कई बड़े-बड़े लोग भी उपस्थित थे।

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    रामाशीष सिंह ने कहा कि 1925 में डॉ हेडगेवार ने विजयादशमी के दिन आरएसएस की स्‍थापना की। वे पहले सरसंघचालक बने। डॉ हेडगेवार ने 1930 में आरएसएस के सरसंघचालक का पद छोड़कर महात्‍मा गांधी के साथ सत्‍याग्रह आंदोलन में भाग लिया। इसके बाद अंग्रेजों ने 1934 में प्रतिबंध लगा दिया था। रामाशीष सिंह ने कहा 1967 में आरएसएस की प्रतिज्ञा में भी इसका उल्‍लेख है कि आरएसएस की स्‍थापना स्‍वतंत्रता प्राप्ति के लिए किया गया था।

    डा हेडगेवार महान क्रांतिकारी राजगुरु के बहुत करीबी थी। कई बार अंग्रेजों के खिलाफ आंदोलन की योजना बनाने वे हेडगेवार से मिले। जब अंग्रेजों ने राजगुरु को खोजना प्रारंभ किया तो राजगुरु हेडगेवार के ही घर में छिपे थे। क्रांतिकारी चंद्रशेखर आजाद का संदेश वहां पहुंचता था। लाला लाजपत राय और भगत सिंह जैसे क्रांतिकारियों के संपर्क में डॉ हेडगेवार रहे। उन्‍होंने कहा कि स्‍वतंत्रता आंदोलन के नायक सुभाष चंद्र बोस भी डाॅ. हेडगेवार के लगातार संपर्क में रहे। हेडगेवार जब काफी बीमार पड़ गए तो सुभाष चंद्र बोस उनसे मिलने आए थे। उस समय उनकी भेंट माधवराव सदाश‍िवराव गोलवलकर 'गुरुजी' से भी हुई थी। डाॅ. केशव बलिराम हेडगेवार के निधन के बाद माधवराव सदाश‍िवराव गोलवलकर 'गुरुजी' आरएसएस के सरसंघचालक बने। 

    रामाशीष सिंह ने कहा कि आरएसएस के संस्‍थापक केशव बलिराम हेडगेवार ने देश की स्‍वतंत्रता में महत्‍वपूर्ण भूमिका निभाई है। वे अनुशीलन समिति से जुड़े रहे। स्‍वतंत्रता सेनानी के रूप में वे कांग्रेस में भी काफी समय तक रहे। क्रांतिकारियों की हर प्रकार की सहायता की। भगिनी निवेदिता ने अनुशीलन समिति के लिए धन इकट्ठा किया। क्रांतिकारियों का मार्गदर्शन किया। डाॅ. हेडगेवार के संपर्क में रहीं। कांग्रेस के अधिवेशन में हेडगेवार ने तीन प्रास्‍ताव रखे। हालांकि कांग्रेस ने उसे पारित नहीं किया। इसके बाद वे महर्षि अरविंद से मिलने पहुंचे। उन्‍होंने उनसे आग्रह किया सन्‍यास छोड़कर आप स्‍वतंत्रता आंदोलन में सक्रिय रूप से योगदान दें। हालांकि वे तैयार नहीं हुए, उन्‍होंने कहा कि मैं भारत की आराधना करूंगा। देश की उन्‍नति और स्‍व को जगाता रहूंगा।

    रामाशीष सिंह भागलपुर में तीन दिनों तक रहेंगे। उनका केंद्र काशी (उत्‍तरप्रदेश) है। वहीं से वे भागलपुर अमृत महोत्‍सव समारोह की शुरुआत करने पहुंचे। जिले का पहला और उद्घाटन कार्यक्रम तिमांविवि के बहुउद्देश्‍यीय प्रशाल में श्रीशिवशक्ति योगपीठ नवगछिया के पीठाधीश्‍वर परमहंस स्‍वामी आगमानंद जी महाराज की अध्‍यक्षता में हुई।

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