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    भागलपुर के जीरो माइल चौक पर ट्रैफिक सिस्टम फेल, 15 सेकंड में ही ग्रीन सिग्नल हो जाती रेड

    Updated: Thu, 25 Dec 2025 05:02 AM (IST)

    भागलपुर के जीरो माइल चौक पर ट्रैफिक सिस्टम फेल हो गया है, जिससे यातायात बाधित हो रहा है। यहाँ 15 सेकंड में ही ग्रीन सिग्नल रेड हो जाता है, जिससे चालको ...और पढ़ें

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    जीरोमाइल चौक पर लगा हुआ ट्राफिक सिग्नल 15 सकेंड का एवं बगल से जाते लोग। फोटो जागरण

    जागरण संवाददाता, भागलपुर। शहर में प्रवेश का मुख्य द्वार माना जाने वाला जीरो माइल चौक पिछले एक साल से प्रशासनिक लापरवाही का जीता-जागता उदाहरण बना हुआ है। यहां ट्रैफिक सिस्टम पूरी तरह फेल है। ग्रीन लाइट महज 15 सेकंड के लिए जलती है, जबकि रेड लाइट 60 सेकंड तक रहती है।

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    नतीजा, यहां हर दिन इसकी वजह से लोग परेशान होते हैं। यदि सामने कोई बड़ी गाड़ी होती है, तो कभी-कभी पीछे के वाहन को दो बार में निकलना पड़ता है। हैरानी की बात यह है कि इस अव्यवस्था के बावजूद यातायात विभाग ने अब तक सिग्नल टाइमिंग में कोई बदलाव नहीं किया है।

    नया नियम कागजों तक ही सीमित

    नए नियम के अनुसार, चौक के चारों ओर 100 मीटर के दायरे में वाहन खड़ा करने पर 500 रुपये का जुर्माना है, लेकिन यह नियम केवल कागजों तक सीमित है। हकीकत में ई-रिक्शा, आटो और बसें सिग्नल से सटकर खड़ी रहती हैं, जिससे जाम की स्थिति और बढ़ जाती है।

    खासकर विक्रमशिला सेतु से आने वाले रास्ते में और शहर से विक्रमशिला सेतु की ओर जाने वाले रास्ते में यह समस्या आम है। वहीं, रेड लाइट के दौरान बाईं ओर जाने के लिए अलग सिग्नल दिया गया है, लेकिन वहां भी बस और ई-रिक्शा की अवैध कतार रास्ते को अवरुद्ध कर दे रही है। इससे बाईं ओर जाने वाले लोगों को भी ग्रीन सिग्नल का इंतजार करना पड़ता है।

    Zero Mile Chauk

    (जीरोमाइल चौक पर लगा हुआ ट्राफिक सिग्नल 15 सकेंण्ड का एवं बगल से जाते वाहन व लोग। जागरण)

    नहीं सुधर रहे हालात

    जाम से निपटने के लिए रेड लाइट में ट्रैफिक पुलिस हाथों से सिग्नल चलाती है, जो समस्या का अस्थायी और दिखावटी समाधान मात्र है। बुधवार को ट्रैफिक पुलिस ने कुछ देर के लिए आटो-ई-रिक्शा को 100 मीटर बाहर हटाया, लेकिन पुलिस के हटते ही हालात फिर जस के तस हो गए।

    यह व्यवस्था जरूरी

    शहर में जीरो माइल चौक के साथ-साथ व्यस्ततम चौक चौराहों पर वाहन-आधारित सिग्नल नियंत्रण व्यवस्था होनी चाहिए थी, ताकि सड़कों पर वाहनों के दबाव के अनुसार ट्रैफिक सिग्नल अपने-आप बदल सके। सेंसर युक्त प्रणाली से यह पता चलता कि किस दिशा में कितने वाहन खड़े हैं और उसी हिसाब से हरी, पीली या लाल बत्ती का समय तय होता। लेकिन शहर में स्मार्ट ट्रैफिक व्यवस्था के नाम पर करोड़ों रुपये खर्च होने के बावजूद यह प्रणाली कहीं लागू नहीं की गई।
    अपने ही बनाए नियम का पालन नहीं करवा पा रहा विभाग

    जिला प्रशासन अपने ही तय किए गए नियमों का सही पालन नहीं करवा पा रहा है। जीरो माइल से बस स्टैंड बाईपास पर जीरो माइल थाना के पास शिफ्ट किया गया था। उस दौरान यह नियम बना था कि कोई भी बस नीचे से नहीं जाएगी, सभी बसें ओवर ब्रिज के रास्ते अपने गंतव्य स्थान को जाएंगी।

    लेकिन यह स्थिति एक से डेढ़ महीने तक चली, फिर किसी वरीय पदाधिकारी के मौखिक अनुमति से बसें नीचे से जाने लगीं। बसों के जमावड़े को लेकर नेशनल हाईवे कार्यालय के पदाधिकारी द्वारा इसकी सूचना भी डीएम को भेजी गई थी, लेकिन अब तक नीचे से बस के परिचालन पर रोक नहीं लगी है।