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यहां संसाधनों के अभाव के बीच शिक्षा व्यवस्था को पटरी पर लाने की कवायद, शिक्षकों की कमी बन रही बाधक

सभी पंचायतों में एक उच्च विद्यालय की स्थापना को लेकर मध्य विद्यालय को उत्क्रमित किया जा रहा है। उत्क्रमित स्कूलों में सृजित पद के अनुरूप शिक्षकों की पदस्थापना नहीं होने से मध्य विद्यालय के शिक्षक के भरोसे ही माध्यमिक विद्यालय में पठन पाठन का काम किया जा रहा है।

By Dilip ShuklaEdited By: Published: Fri, 25 Sep 2020 10:29 PM (IST)Updated: Fri, 25 Sep 2020 10:29 PM (IST)
कटिहार में इस तरह जर्जर है स्कूल का भवन

कटिहार, जेएनएन। संसाधनों के अभाव के बीच सरकारी स्कूलों में पाठन-पाठन व्यवस्था को पटरी पर लाने की कोशिश की जा रही है। यद्यपि विद्यालयों में अब भी नामांकित छात्रों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा नहीं मिल पा रही है। सभी पंचायतों में एक उच्च विद्यालय की स्थापना को लेकर मध्य विद्यालय को उत्क्रमित किया जा रहा है। उत्क्रमित स्कूलों में सृजित पद के अनुरूप शिक्षकों की पदस्थापना नहीं होने से मध्य विद्यालय के शिक्षक के भरोसे ही माध्यमिक विद्यालय में पठन पाठन का काम किया जा रहा है।

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उच्चतर माध्यमिक विद्यालयों में विषयवार शिक्षक नहीं हैं। विद्यालय के भवन निर्माण का काम जरूर किया गया है लेकिन चकाचक विद्यालय भवन में शिक्षकों का अभाव है। मध्य व माध्यमिक विद्यालय में शिक्षकों की कमी के कारण एक ही विषय के शिक्षक कई विषयों की घंटी लेते हैंं। पिछले पांच वर्षों में मैट्रिक परीक्षा परिणाम में आशातीत सुधार हुआ है।

शिक्षकों के अभाव में विद्यार्थी निजी कोङ्क्षचग संस्थान से परीक्षा तैयारी करने को विवश होते हैं। नीति आयोग द्वारा कटिहार को आकांक्षी जिले की श्रेणी में शामिल करने के बाद शिक्षा के सूचकांक की रैङ्क्षकग में सुधार की कोशिश शुरू की गई। संसाधन विहीन विद्यालयों में उपस्कर, कंप्यूटर आदि की व्यवस्था की गई। अब भी 193 नवसृजित विद्यालय को अपनी जमीन नहीं है। इन विद्यालयों का संचालन कहीं बरामदे पर तो कहीं पेड़ के नीचे संचालित किया जा रहा है।

जिले में 1114 प्राथमिक व 717 मध्य विद्यालय

जिले में 1114 प्राथमिक विद्यालय, 717 मध्य विद्यालय, 166 माध्यमिक विद्यालय तथा 46 उच्चता माध्यमिक विद्यालय हैं। प्राथमिक विद्यालय में शिक्षण व्यवस्था का हाल सबसे खास्ता है। प्रत्येक दो किमी की दूरी पर प्राथमिक एवं मध्य विद्यालय है। माध्यमिक व उच्चतर माध्यमिक स्तर तक की पढ़ाई के लिए विद्यारथियों को अब भी पांच से छह किमी तक की दूरी तय करनी पड़ती है। पिछले एक वरष के दौरान 16 मध्य विद्यालय को उच्च विद्यालय में उत्क्रमित किया गया है।

251 स्कूलों को बनाया जा रहा प्रदर्श विद्यालय

पिछले दो वरषों के दौरान सरकारी स्कूलों की शिक्षा व्यवस्था में कुछ हद तक सुधार हुआ है। स्कूलों के आधारभूत संरचना के विकास को लेकर 1.96 करोड़ का डीपीआर तैयार कर नीति आयोग को भेजा गया है। 251 प्राथमिक व मध्य विद्यालय को प्रदर्श स्कूल के रूप में बनाया जा रहा है। माध्यमिक विद्यालयों में स्मार्ट क्लास की शुरूआत भी की गई है। कस्तूरबा गांधी विद्यालय को कम्प्यूटर भी उपलब्ध कराए जाने की योजना है।


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