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'सनातन संस्कृति के प्रतीक थे केशव और माधव', छात्र समागम कार्यक्रम में बोले स्वामी आगमानंद

Bhagalpur News भागलपुर में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के तत्वावधान में छात्र समागम कार्यक्रम का आयोजन हुआ। इस मौके पर 10वीं और 12वीं परीक्षा में पास छात्र-छात्राएं शामिल हुए। इसके अलावा भारी संख्या में अन्य लोग की भी मौजूदगी रही। छात्र समागम कार्यक्रम को संबोधित करते हुए स्वामी आगमानंद जी महाराज ने सनातन संस्कृति के लिए सभी को समर्पित होने का आह्वान किया।

By Dilip Kumar Shukla Edited By: Shashank Shekhar Mon, 13 May 2024 03:23 PM (IST)
'सनातन संस्कृति के प्रतीक थे केशव और माधव', छात्र समागम कार्यक्रम में बोले स्वामी आगमानंद
'सनातन संस्कृति के प्रतीक थे केशव और माधव', छात्र समागम कार्यक्रम में बोले स्वामी आगमानंद (फोटो- जागरण)

जागरण संवाददाता, भागलपुर। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के तत्वावधान में अंबे रोड स्थित राधाकृष्ण ठाकुरबाड़ी में छात्र समागम कार्यक्रम आयोजित किया गया। कार्यक्रम में वर्ष 2024 में 10वीं व 12वीं परीक्षा में उत्तीर्ण छात्र-छात्राओं के अलावा काफी संख्या में अन्य लोग शामिल हुए।

इस दौरान श्री शिवशक्ति योगपीठ नवगछिया के पीठाधीश्वर व श्री उत्तरतोताद्रि मठ विभीषणकुंड अयोध्या के उत्तराधिकारी श्री रामचंद्राचार्य परमहंस स्वामी आगमानंद जी महाराज ने लोगों से भारतीय सनातन हिंदू संस्कृति के लिए सभी को समर्पित होने का आह्वान किया।

स्वामी आगमानंद जी ने कहा कि सारस्वत, सत्य और सनातन हिंदू धर्म का उद्गम स्थल भारत है। यहां के ज्ञान, विज्ञान व प्रज्ञा की ख्याति विश्व में फैली हुई है।

विवेकानंद ने अमेरिका में सनातन संस्कृति का बिगूल फूंका- स्वामी 

उन्होंने कहा कि विवेकानंद ने अमेरिका में सनातन संस्कृति का बिगूल फूंकते हुए कहा था- गर्व से कहो हम हिंदू हैं। इसी उद्घोष से प्रेरित होकर डॉ. केशव बलिराम हेडगेवार ने आरएसएस की स्थापना 1925 में की। इसके बाद माधव राव सदाशिवराव गोलवलकर गुरुजी ने आरएसएस को समृद्ध बना दिया। भारत के गांव-गांव में शाखा लगने लगी। सनातन धर्म का जयघोष होने लगा।

उन्होंने कहा- केशव और माधव ने अपना संपूर्ण जीवन सनातन और हिंदू धर्म व संस्कृति की रक्षार्थ समर्पित कर दिया था।

स्वामी आगमानंद ने कहा कि मुगलों और अंग्रेजों ने हमारी संस्कृति को नष्ट करने का बहुत प्रयास किया। हमारे अंदर विकृति के भरने का प्रयास किया। भारतीय शिक्षा जो धर्म पर आधारित थी, जीवन जीने के लिए थी, उसे नष्ट करने का प्रयास किया गया। इसके बावजूद हमारी संस्कृति आज तक अक्षुण्ण है। क्योंकि इसके मूल में यहां के संत हैं, जिन्होंने इस देश को हर प्रकार से संवार था, समय-समय पर देश को मार्गदर्शन किया है।

मनुष्य का जीवन काफी दुर्लभ है- आगमानंद

आगमानंद ने कहा कि आरएसएस का उद्देश्य हिंदू समाज, हिंदू धर्म व हिंदू संस्कृति के लिए समर्पित है। स्वामी आगमानंद ने कहा कि मनुष्य का जीवन काफी दुर्लभ है। जो देवतुल्य है।

उन्होंने कहा कि भोजन करना, मस्ती करना, खूब घूमना, आधुनिक संसाधन का उपयोग करना, यही जीवन नहीं है। मनुष्य का जीवन राष्ट्र के लिए होना चाहिए। क्योंकि अपना देश भारत जागृत मातृ शक्ति है। उत्तर में हिमालय है, दक्षिण में हिंद महासागर है। यहां यहां के लोग भारती कहलाते हैं। कश्मीर हमारे हमारे देश का मस्तक है, जिसकी रक्षा करना हमारा कर्तव्य है। स्वामी आगमानंद ने सभी से भारत को फिर अखंड बनाने का आह्वान किया।

स्वामी आगमानंद ने कहा कि इस दिशा में कार्य भी हो रहे हैं। उन्होंने देश के बलियादिनों, स्वतंत्रता सेनानियों और संतों को भी याद किया। स्वामी आगमानंद ने कहा कि आरएसएस अर्थात भारत माता की जय। कुप्पाघाट के संत पंकज बाबा ने भी बच्चों को नैतिक शिक्षा के संदेश दिए। अध्यक्षता प्रो. डा. गौरव कुमार ने की। स्वामी आगमानंद ने आदिगुरु शंकरचार्य, रमानुजाचार्य और सुरदास की जयंती पर उन्हें याद किया। इस अवसर पर अंग क्षेत्र के महान संत महर्षि मेंहीं परमहंस जी महाराज को भी उन्होंने याद किया।

कार्यक्रम में ये लोग भी रहे मौजूद

इस अवसर पर आरएसएस के दक्षिण बिहार प्रांत के सह प्रांत कार्यवाह बालमुकुंद गुप्त, भागलपुर विभाग बौद्धिक शिक्षण प्रमुख हरविंद नारायण भारती, माधव उपनगर कार्यवाह पंकज कुमार, पवन कुमार गुप्त, उत्तम कुमार, ध्रुव गुप्ता, जय गोपाल वर्मा, प्रभुदयाल गुप्ता, कुंदन बाबा, दिलीप शास्त्री आदि मौजूद थे।

आज की शिक्षा पद्धति की आलोचना करते हुए स्वामी आगमानंद ने कहा कि शिक्षा में नैतिकता नहीं है। हससे हमारी पहचान नष्ट होती है। इस अवसर पर हरविंद नारायण भारती ने सामुहिक गीत गाया- करबट बदल रहा है देखो भारत का इतिहास, जाग उठा है हिंदू हृदय में विश्व विजय विश्वास गीत। कार्यक्रम का समापन वन्दे मातरम के साथ हुआ।

नगर प्रचारक ऋषभ राज सिंह ने कहा कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के कार्यकर्ता शिक्षण संस्थानों में लगातार प्रवास कर रहे हैं और छात्रों में राष्ट्रभक्ति का भाव भर रहे हैं। इसी क्रम में कुछ दिन पूर्व आरएसएस के वरिष्ठ प्रचारक रामाशीष सिंह भागलपुर आए थे। उन्होंने टीएनबी कॉलेज, इंजनीयरिंग कॉलेज, ट्रिपल आईटी में जाकर छात्रों व शिक्षकों से संपर्क किया था और उनके बीच कार्यक्रम किए थे।

भारतीय शिक्षा के प्रतीक एवं प्रतिमान को करना होगा ठीक- रामाशीष

भारतीय शिक्षा के प्रतीक एवं प्रतिमान को ठीक करना होगा।यह बातें टीएनबी महाविद्यालय में प्रज्ञा प्रवाह के राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सदस्य प्रसिद्ध विचारक एवं राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के वरिष्ठ प्रचारक रामाशीष सिंह ने अर्थशास्त्र विभाग द्वारा आयोजित एकदिवसीय संगोष्ठी में कही। रामाशीष सिंह ने विद्यार्थियों एवं शिक्षकों को बताया कि भारत में भारत के मन की शिक्षा देनी होगी। भारतीय अर्थशास्त्र भारत को समृद्धि की ओर ले जाता है। भारतीय अर्थव्यवस्था पुरुषार्थ चतुष्टय पर आधारित है।

उन्होंने कौटिल्य के अर्थशास्त्र, बृहस्पति नीति, शुक्र नीति आदि पर चर्चा करते हुए बताया कि प्रामाणिकता से अर्थ का अर्जन करना ही अर्थशास्त्र है। भारत में सोने के सिक्के अर्थात हिरण्य पिंड से विनिमय होता था। उन्होंने बताया कि उपभोक्ता की चिंता करना ही अर्थशास्त्र का प्राथमिक कार्य है। अर्थ का अधिष्ठान धर्म होता है। अध्यक्षता टीएनबी कालेज के प्राचार्य प्रो. सच्चिदानंद पांडेय ने की। विषय प्रवेश प्रो. संजय कुमार झा व संचालन डा. सुमन कुमार ने किया।

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