RO और बोतलबंद पानी से कैंसर का खतरा, भागलपुर में वाटर एड अभियान के प्रशिक्षण में दी गई चेतावनी
भागलपुर में वाटर एड अभियान के प्रशिक्षण में आरओ और बोतलबंद पानी से कैंसर के खतरे की चेतावनी दी गई। विशेषज्ञों ने पानी में मौजूद हानिकारक तत्वों और उनक ...और पढ़ें
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नगर निगम में सुरक्षित पेयजल व जल प्रबंधन पर प्रशिक्षण शिविर आयोजित। फोटो जागरण
जागरण संवाददाता, भागलपुर। नगर निगम परिसर से सुरक्षित पेयजल और जल प्रबंधन पर केंद्रित जिला स्तरीय जागरूकता अभियान के तहत वाटर एड प्रचार वाहन को मेयर डॉ. बसुंधरा लाल ने हरी झंडी दिखाकर रवाना किया। इस अभियान का मुख्य उद्देश्य आम नागरिकों को स्वच्छ जल के महत्व और जल संरक्षण के प्रति जागरूक करना है।
वहीं निगम सभागार में वाटर एड संस्था द्वारा सभी निकायों को प्रशिक्षण दिया गया। संस्था के रिसोर्स पर्सन डॉ. शशिधर ने बताया कि बोतल का पानी सेवन करने वाले को कैंसर हो सकता है। हालांकि प्रशिक्षण में मौजूद लोगों के बीच प्लास्टिक का बोतल बंद पानी ही वितरित किया गया। इससे कुछ लोगों को वहां कथनी व करनी में बरता गया फर्क खटका।
साफ पानी नहीं मिलने से हर वर्ष 3.5 लाख बच्चों की मौत
डॉ. शशिधर ने आरओ के पानी के भी सुरक्षित नहीं होने की बात कही। उन्होंने चापाकल के जल को सेहत के लिए सुरक्षित बताया। उनके अनुसार बोतल का पानी सेवन कर रहे तो आने वाले दिनों में कैंसर एक्सप्रेस चलेगा। बोतल का ढक्कन खोलते ही कई हानिकारक वैक्टेरिया प्रवेश कर जाएंगे। प्लास्टिक का बोतल गर्म होने से उसके कुछ अंश पानी में घुल जाते हैं।
प्लास्टिक व फाइबर से बनी आरओ मशीन का पानी शुद्ध होने के बजाय कैंसर का कारक होता है। पहले लोग पानी रखने के लिए स्टील व कांस्य के बर्तन उपयोग करते थे। लेकिन हाल के समय में प्लास्टिक का उपयोग बढ़ा है। उसका पानी पीने से पहले पाचन की समस्या और फिर नींद नहीं आने की समस्या होती है।
न्यूट्रिशन के नाम पर पेयजल कंपनियां अधिक पैसे वसूल रही हैं। उन्होंने कहा कि पृथ्वी पर 97 प्रतिशत पानी है उसमें से दो से तीन प्रतिशत ही पेयजल के उपयुक्त है। आज 4.5 मिलियन लोगों को साफ पानी नहीं मिल रहा है। हर वर्ष 3.5 लाख बच्चों की साफ पानी नहीं मिलने से मौत हो जाती है।
पानी के संरक्षण की है दरकार
आज पानी के संरक्षण की सख्त जरूरत है। अगर हम अपनी जीवनशैली में सुधार नहीं करेंगे तो 2050 तक धरती पर पेयजल नहीं बचेगा। धरती जैसे नौ ग्रहों की फिर जरूरत पड़ेगी। भूगर्भ से पानी का दोहन हो रहा है। इससे ग्लेशियर तक तेजी से पिघल रहे हैं। 1931 में जहां बर्फ की चादर थी वहां अब घास की परत है। प्रति वर्ष 34 मीटर ऊंची बर्फ की पर्त पिघल रही है।
बिहार में बीते 40 साल में 50 प्रतिशत तालाब खत्म हो गए। वहां कालोनियां व खेत बन गए। जल संचयन की व्यवस्था नहीं हुई। हर घर नल का जल योजना से चल रहे नलों के खुले रहने से भी पानी की बर्बादी हो रही है। घरों की टंकी से 20 से 40 मिनट तक पानी की बर्बादी हो रही है। आज जल का स्तर पाताल जा रहा है। समरसेबुल से आज 350 फीट की गहराई पर भी पानी नहीं मिल रहा।
भागलपुर भी डेंजर जोन में है। यहां 450 फीट की गहराई तक बोरवेल किया जा रहा है। पानी निकाल लेंगे और रिचार्ज नहीं करेंगे तो बिना भूकंप के भी जमीन धंस जाएगी। पानी का 80 प्रतिशत हिस्सा कृषि व 20 प्रतिशत घरों में उपयोग हो रहा है। कृषि क्षेत्र में पानी का कम उपयोग करना होगा। पानी अमूल्य है जितना उपयोग हो उतना ही करें।
कैमिकल के उपयोग से गंगा में प्रदूषण बढ़ रहा है। गंगा किनारे आर्सेनिक की मात्रा बढ़ गई है। आर्सेनिक अब हमारे फूड चैन में शामिल हो चुका है।प्रचार वाहन के माध्यम से शहर और जिले के विभिन्न क्षेत्रों में लोगों को जल प्रबंधन के आधुनिक तरीकों और दूषित पानी से होने वाली बीमारियों के बचाव के प्रति शिक्षित किया जाएगा।

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