भागलपुर में 2 महीने पहले हुई थी ब्रेन सर्जरी, फिर हुई परेशानी तो डॉक्टर से पूछा सवाल; जवाब में जमकर चले लाठी-डंडे
भागलपुर के एक निजी अस्पताल में मरीज की दोबारा सर्जरी की बात पर विवाद हो गया। परिजनों का आरोप है कि पहली सर्जरी के बाद भी समस्या होने पर अस्पताल ने लापरवाही बरती और विरोध करने पर मारपीट की। घटना में एक परिजन का सिर फट गया। पुलिस ने मामला शांत कराया और मरीज को दूसरे अस्पताल भेजा गया।

जागरण संवाददाता, भागलपुर। शहर के जीरोमाइल चौक के निकट स्थित एक निजी अस्पताल में दो माह पूर्व एक मरीज की ब्रेन सर्जरी की गई थी। अचानक बुधवार को मरीज को फिर से सिर में तेज दर्द होने लगा।
अचेत अवस्था में परिजन मरीज को लेकर उसी निजी अस्पताल पहुंचे। यहां चिकित्सकों ने बताया कि मरीज को फिर से सर्जरी की आवश्यकता है, जिसे सुनकर परिजन चिंतित हो गए।
परिजनों ने अस्पताल के प्रबंधक से मामले की जानकारी लेने का प्रयास किया, लेकिन बातचीत के दौरान विवाद उत्पन्न हो गया। इस विवाद ने मारपीट का रूप ले लिया, जिसमें मरीज के परिजन का सिर फट गया।
पुलिस ने शांत कराया मामला
घटना की सूचना मिलने पर पुलिस मौके पर पहुंची और परिजनों को शांत कराया। इसके बाद मरीज को जवाहर लाल नेहरू मेडिकल कॉलेज अस्पताल ले जाया गया, जहां उसके सिर का उचित इलाज संभव नहीं था।
मोजाहिदपुर निवासी तौसिफ खान ने बताया कि दो माह पहले उनके रिश्तेदार मो. सिराज को अचानक सिर में दर्द हुआ था। उन्हें लेकर वे निजी अस्पताल पहुंचे, जहां जांच के बाद बताया गया कि सिर के कई हिस्सों में खून का थक्का जमा हो गया है।
चिकित्सकों ने तत्काल सर्जरी की सलाह दी, जिसके लिए परिजनों ने कर्ज लेकर अस्पताल में पैसे जमा किए।
सर्जरी के कुछ दिन बाद मरीज को घर भेज दिया गया, लेकिन पांच दिन पहले फिर से परेशानी होने पर वे उसी अस्पताल में लौटे। यहां बताया गया कि अब सिर के दूसरे हिस्से में भी खून जमा हो गया है और सर्जरी आवश्यक है।
परिजनों ने सवाल उठाया कि पहले की सर्जरी के बाद यह समस्या क्यों उत्पन्न हुई, लेकिन उनकी बात को अनसुना कर दिया गया।
लाठी से किया गया हमला
जब परिजनों ने विरोध किया, तो अस्पताल के कर्मचारियों ने उन पर लाठी से हमला कर दिया, जिससे उनके दोस्त अमीन अहमद का सिर फट गया। इस घटना की जानकारी पुलिस को दी गई। पुलिस ने समझा-बुझाकर मरीज को जवाहर लाल नेहरू मेडिकल कॉलेज अस्पताल ले जाने का प्रयास किया, लेकिन वहां भी उचित इलाज नहीं मिला।
अब तक परिजनों ने मरीज के इलाज में पांच लाख रुपये से अधिक खर्च किए हैं और अस्पताल प्रबंधन ने इलाज करने से मना कर दिया है। परिजनों का कहना है कि यदि उन्हें पहले से सारी जानकारी दी जाती, तो यह स्थिति उत्पन्न नहीं होती।
अब वे इस मामले की शिकायत डीएम और सीएस को आवेदन देकर करेंगे। निजी अस्पताल प्रबंधन ने इस मामले में कोई प्रतिक्रिया देने से इनकार कर दिया है।
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