प्याज-गेहूं की घास के अर्क से काबू में आई शुगर, टीएमबीयू के शोध में चौंकाने वाले नतीजे
भागलपुर में टीएमबीयू के शोध से पता चला है कि प्याज और गेहूं की घास के अर्क से शुगर को काबू में किया जा सकता है। इस शोध के नतीजे चौंकाने वाले हैं, जो म ...और पढ़ें

परिमल सिंह, भागलपुर। मधुमेह से जूझ रहे लोगों के लिए राहत की उम्मीद जगाने वाली खबर तिलकामांझी भागलपुर विश्वविद्यालय (टीएमबीयू) से आई है। विश्वविद्यालय के जंतु विज्ञान विभाग में हुए एक वैज्ञानिक अध्ययन में यह सामने आया है कि प्याज और गेहूं की घास का अर्क शुगर और कोलेस्ट्राल दोनों को नियंत्रित करने में असरदार साबित हो सकता है।
यह शोध कुल 60 एलबिनो चूहों पर किया गया। पहले चरण में सभी चूहों को एक विशेष दवा एलाक्सन देकर मधुमेहग्रस्त बनाया गया। इसके बाद उन्हें छह अलग-अलग समूहों में बांटकर 28 दिनों तक विभिन्न उपचार दिए गए। कुछ समूहों को कोई उपचार नहीं दिया गया, जबकि अन्य को प्याज का अर्क, गेहूं घास का अर्क और दोनों का मिश्रण निर्धारित मात्रा में रोजाना दिया गया।
शोधकर्ता डॉ. अतुल समीरण के अनुसार, प्याज के अर्क की मात्रा 0.6 ग्राम प्रति 100 ग्राम शरीर भार और गेहूं घास के अर्क की मात्रा 500 मिलीग्राम प्रति किलो शरीर भार रखी गई। प्रयोग पूरा होने के बाद चूहों की विस्तृत रक्त जांच की गई, जिसमें शुगर लेवल, कोलेस्ट्राल, प्लाज्मा प्रोटीन, हीमोग्लोबिन और लाल रक्त कोशिकाओं की स्थिति शामिल थी।
नतीजे चौंकाने वाले रहे। जिन चूहों को प्याज और गेहूं घास का अर्क दिया गया था, उनकी बढ़ी हुई शुगर में उल्लेखनीय कमी दर्ज की गई। साथ ही कोलेस्ट्राल का स्तर भी नीचे आया। मधुमेह के कारण खून में आई कमजोरी, जैसे हीमोग्लोबिन और लाल रक्त कोशिकाओं की कमी, में भी स्पष्ट सुधार देखा गया।
शोध के मुताबिक, इस हर्बल उपचार से शरीर में ऐसे प्रोटीन सक्रिय हुए, जो रक्त में बढ़ी शुगर को नियंत्रित करने में मददगार साबित हुए। इससे शरीर की मेटाबालिक स्थिति धीरे-धीरे सामान्य होने लगी। यह शोध प्रो. अशोक कुमार ठाकुर के निर्देशन में जंतु विज्ञान विभाग में पूरा किया गया।
मानव स्तर पर भी दिखे सकारात्मक प्रभाव
शोध के उत्साहजनक नतीजों के बाद दर्जन भर से अधिक मधुमेह रोगियों ने भी इस अर्क का प्रयोग किया। डॉ. अतुल के अनुसार, टीएमबीयू के पूर्व कुलपति प्रो. जवाहर लाल, प्रो. अशोक कुमार ठाकुर और बीएन कालेज के अंग्रेजी विभागाध्यक्ष डॉ. मो. फिरोज आलम समेत कई शिक्षकों और कर्मियों ने इस अर्क का उपयोग किया है। सभी ने इसके सकारात्मक प्रभाव की बात कही है।

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