आर्थिक मदद के लिए अफ्रीका की सबसे ऊंची चोटी का फतह कर चुकीं मिताली VC से मिली Bhagalpur News
मिताली ने बताया कि उसका सपना माउंट एवरेस्ट की ऊंचाई को नापना है। तीसरी कक्षा से लेकर किलिमंजारों के सफर तक इस साहसी पर्वतारोही की राह में आर्थिक संकट रोड़ा बनती रही है।
भागलपुर [जेएनएन]। अफ्रीका की सबसे ऊंची चोटी किलिमंजारो फतह कर चुकी बिहार की बेटी मिताली प्रसाद को अधूरे सपनों को पूरा करने के लिए आर्थिक मदद की जरूरत है। नालंदा की रहने वाली पटना विवि की छात्रा मिताली सोमवार को आर्थिक मदद के लिए तिलकामांझी भागलपुर विवि के कुलपति डॉ. विभाष चंद्र झा से मिली है। उन्होंने कुलपति को बताया कि वह सभी महाद्वीपों की सर्वाधिक ऊंची चोटियों की चढ़ाई करना चाहती हैं। इसके लिए उन्हें सहयोग चाहिए। कुलपति ने मिताली की बात को सुना और कहा कि विवि में इस तरह के कार्य के लिए कोई फंड नहीं होता है। उन्होंने मिताली को व्यक्तिगत आर्थिक सहयोग करने का भरोसा दिया है।
इस वर्ष मार्च में किलिमंजारो की चढ़ाई की थी
मिताली ने बताया कि किलिमंजारों की चढ़ाई इस वर्ष 31 मार्च को की थी। इस पर 3 लाख 30 हजार रुपये खर्च हुआ था। इसमें पटना विवि, नजदीकी मित्रों और दूसरी संस्थाओं ने आर्थिक मदद की थी। अब एकांकागुआ की चढ़ाई का लक्ष्य है। इस पर लगभग छह लाख रुपये खर्च आने का अनुमान है। पटना विवि ने 50 हजार रुपये की मदद दी है। मगध विवि ने भी सहयोग किया है। कहा कि वह राज्य के दूसरे विवि भी आर्थिक मदद के लिए जा रही हैं।
आर्थिक संकट से नहीं हो रहा सपना पूरा
मिताली ने बताया कि उसका सपना माउंट एवरेस्ट की ऊंचाई को नापना है। तीसरी कक्षा से लेकर किलिमंजारों के सफर तक इस साहसी पर्वतारोही की राह में आर्थिक संकट रोड़ा बनती रही है। अब जब उसका लक्ष्य दक्षिण अमेरिका की सबसे ऊंची चोटी एकांकागुआ की चढ़ाई करना है तो आर्थिक संकट फिर सामने आ खड़ी हुई है। मिताली को छात्र संगठन सीवाईएसएस के प्रदेश उपाध्यक्ष आसिफ अली भी सहयोग कर रहे हैं।
एसएसवी कॉलेज आई मिताली प्रसाद
विश्व के कई ऊंचे पर्वतों पर चढ़कर सफलता प्राप्त कर चुकी नालन्दा जिला के मिताली प्रसाद अब दक्षिणी अमेरिका के सबसे ऊंचे पर्वत अकंकागुआ पर चढऩे के लिए तैयारी कर रही हैं। इस पर्वतारोहण के लिए करीब सात लाख रुपये खर्च होगा। आर्थिक मदद के लिए शंकर साह विक्रमशिला महाविद्यालय कहलगांव आई थीं। यहां छात्रों, शिक्षकों व शिक्षकेत्तर कर्मचारियों से मिलकर सहायता की गुहार लगाई। उन्हें कुछ आर्थिक सहायत प्रदान करने का आश्वासन दिया गया।