Bhagalpur News: अब दक्षिण बिहार के खेतों में उपजेगा 'सुपर फूड' मखाना, भागलपुर में प्रयोग सफल
ललन तिवारी भागलपुर से खबर है कि सुपर फूड मखाना अब मिथिलांचल से सीमांचल और पूर्वांचल तक पहुँच चुका है। बिहार कृषि विश्वविद्यालय (BAU) के प्रयासों से मखाना को GI टैग मिला है। BAU ने मखाना में कैंसररोधी तत्व खोजा है। मखाना तालाब की जगह अब खेतों में उगेगा। भागलपुर के कृषि विज्ञान केंद्र सबौर में जैविक मखाने का उत्पादन हुआ।

ललन तिवारी, भागलपुर। सुपर फूड मखाना मिथिलांचल से सीमांचल व पूर्वांचल तक पहुंच चुका है। अब बिहार के दक्षिणी क्षेत्र में इसके विस्तार की पहल शुरू कर दी गई है। बिहार कृषि विश्वविद्यालय (बीएयू) के प्रयास से मखाना को जीआइ टैग प्राप्त हुआ। मखाना में बीएयू ने शोध के दौरान विश्व में पहली बार प्राकृतिक रूप से कैंसररोधी तत्व की खोज की।
पूर्वोदय की नोडल एजेंसी बीएयू ने नीति आयोग और केंद्र सरकार से मखाना का सेंटर ऑफ एक्सीलेंस खोलने की मांग की। अब मखाना तालाब की जगह निचली जमीन के खेतों में उत्पादित होगा। भागलपुर के कृषि विज्ञान केंद्र, सबौर में सफलतापूर्वक जैविक मखाने का उत्पादन किया गया।
विश्वविद्यालय पूरे प्रदेश में मखाना उत्पादन पर काम कर रहा है। इसके तहत राज्य की डिजिटल मैपिंग कराई गई है। बीएयू मुख्यालय स्थित कृषि विज्ञान केंद्र, सबौर के प्रमुख डॉ. राजेश कुमार बताते हैं कि मखाना बिहार की धरोहर है। इसे कभी जलजमाव वाले क्षेत्रों में जंगली फसल के रूप में देखा जाता था।
इसे अब महज डेढ़ फीट गहरे खेत में आसानी से उपजाया जा सकता है। गंगा किनारे बाढ़ आती है और जब बाढ़ का पानी लौट जाता है तो कई जगह जलजमाव रहता है। ऐसी जमीन पर अब आसानी से मखाना उत्पादन किया जा सकता है। भागलपुर में पिछले वर्ष कृषि विज्ञान केंद्र में 600 वर्ग मीटर खेत में मखाने का उत्पादन किया गया था। दो क्विंटल से अधिक बीज प्राप्त हुआ।
उपयुक्त जलवायु को देखते हुए इस बार यहां दो एकड़ खेत में इसका प्रत्यक्षण किया जा रहा है। दक्षिण बिहार में भी इसकी खेती के लिए सही जलवायु है। कृषि विज्ञान केंद्र के विज्ञानी डा. जेड होदा बताते हैं कि वर्मी कंपोस्ट, नीम की खल्ली और नीम के तेल का उपयोग कर मखाना का जैविक उत्पादन किया जाता है।
इससे उत्पादन व गुणवत्ता दोनों बेहतर रहते हैं। मखाना को बिहार कृषि निवेश प्रोत्साहन नीति योजना में शामिल किया गया है। जल जीवन हरियाली योजना में भी यह शामिल है।
सुपर फूड मखाना स्वास्थ्य व समृद्धि के साथ ग्लोबल पहचान देने वाली फसल है। पूरे प्रदेश में इसके विस्तार पर बहुआयामी प्रयास किया जा रहा है। डिजिटल मैपिंग व कृषि विज्ञान केंद्र में उत्पादन का प्रयोग इसकी कड़ी है। बेहतर परिणाम मिल रहे हैं। - डॉ. दुनियाराम सिंह, कुलपति, बीएयू सबौर, भागलपुर
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