Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    Holika Dahan Kab Hai: होलिका दहन 13 या 14 मार्च को? जानिए मिथिला और काशी पंचांग के पंडितों की राय

    Updated: Tue, 11 Mar 2025 08:13 AM (IST)

    होलिका दहन को लेकर अभी भी भ्रम की स्थिति बनी हुई है। कोई गुरुवार (13 मार्च) तो कोई 14 मार्च (शुक्रवार) को होलिका दहन बता रहा है। लेकिन आज दैनिक जागरण ने पंडितों की सटीक राय जानी है और बताया है कि वास्तव में होलिक दहन कब है? इस दुविधा को दूर करते हुए आचार्य पंडित कौशल किशोर ने इसकी जानकारी दी।

    Hero Image
    होलिका दहन 13 मार्च को मनाया जाएगा (जागरण)

    संवाद सहयोगी, भागलपुर। Holika Dahan Date 2025: रंगों का त्योहार होली में अब मात्र तीन दिन बचे हैं। शहर से गांव तक होली के रंगों में रंग गया है। बाजारों में होली की चमक दमक दिखने लगी है। गांवों से बाहर रहने वाले लोगों के आने का सिलसिला शुरू हो गया है। प्रेम स्नेह का प्रतीक होली मनाने के प्रति घर घर में उत्साह दिख रहा है। कई ऐसे परिवार हैं जिनके यहां होली पर कुलपूज्य देवता की पूजा करने की परंपरा है।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    मिथिला और काशी पंचांग में होलिका दहन कब?

    दो दिन बाद 13 मार्च की रात में होलिका दहन होगा। बूढ़ानाथ मंदिर के पंडित ऋषिकेश पांडे और तिलकामांझी महावीर मंदिर के पंडित आनंद झा संयुक्त रूप से कहते हैं कि इस बार होलिका दहन का शुभ मुहूर्त 13 मार्च को काशी पंचांग के अनुसार 10.37 बजे रात्रि के बाद मध्य रात्रि को होलिका दहन होगा। जबकि मिथिला पंचांग के अनुसार 10.47 बजे रात्रि के बाद होलिका दहन बताया गया है। सर्वत्र होली 14 और 15 मार्च को मनाया जाएगा।

    क्या है होलिका का महत्व

    पंडित ऋषिकेश पांडे कहते हैं कि सनातन धर्म में होली पर्व बहुत ही हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। भविष्य पुराण में भगवान कृष्ण ने युधिष्ठिर से होलिका का कथा कहते हुए बताया कि एक समय ढूंढा नाम की राक्षसी पूरे पृथ्वी पर राज कर रही थी। उस ढूंढा नाम की राक्षसी का बध फाल्गुन मास के भद्रा रहित प्रदोष युक्त पूर्णिमा तिथि को हुआ था।

    उसी दिन भक्त प्रह्लाद को भी होलिका से भगवान नारायण ने बचाया था। तब से इसे होलिका दहन के नाम से जाना जाता है। नारद जी एवं दुर्वाषा ऋषि के कथानुसार भद्रा रहित प्रदोष युक्त पूर्णिमा के मध्य रात्रि में होलिका दहन करने से रोग और दुष्टों का नाश होता है। शांति प्राप्ति होती है।

    क्या है होलिका दहन की कथा?

    होलिका दहन की कथा के अनुसार, हिरण्यकश्यप नामक एक शक्तिशाली राक्षस राजा था, जो अपने पुत्र प्रहलाद को भगवान विष्णु की पूजा करने से रोकना चाहता था। हिरण्यकश्यप की बहन होलिका थी, जो आग में नहीं जलती थी। हिरण्यकश्यप ने होलिका को प्रहलाद को आग में जलाने के लिए कहा।

    होलिका प्रहलाद को अपनी गोद में लेकर आग में बैठ गई, लेकिन भगवान विष्णु की कृपा से प्रहलाद बच गया और होलिका आग में जल गई। इस घटना को होलिका दहन के रूप में मनाया जाता है, जो बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है।

    ये भी पढ़ें

    Holi Bhai Dooj 2025: 15 या 16 मार्च कब है होली भाई दूज? तिलक के दौरान इन बातों का रखें ध्यान

    Holi 2025 Date: 14 या 15 मार्च, कब खेली जाएगी होली? एक क्लिक में नोट करें सही डेट और शुभ मुहूर्त