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    'गंगा में काट के बहा दीजिए...', भागलपुर में हवाई अड्डा खाली कराने पहुंचे प्रशासन से भिड़े बाढ़ पीड़ित

    Updated: Fri, 08 Aug 2025 01:31 PM (IST)

    भागलपुर हवाई अड्डा मैदान प्रशासन और बाढ़ पीड़ितों के बीच संघर्ष का केंद्र बन गया। प्रशासन पीड़ितों को हटाने गया तो उन्हें भारी विरोध का सामना करना पड़ा। पीड़ितों ने सड़क जाम कर प्रदर्शन किया। प्रशासन ने राष्ट्रपति के दौरे को देखते हुए सुरक्षा का हवाला दिया है और पीड़ितों को 24 घंटे का अल्टीमेटम दिया है।

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    हवाई अड्डा के पास सड़क बैठकर हंगामा करते बाढ़ पीड़ित व अन्य। (जागरण)

    जागरण संवाददाता, भागलपुर। हवाई अड्डा मैदान प्रशासन और बाढ़ पीड़ितों के बीच संघर्ष का अखाड़ा बन गया। गुरुवार को बाढ़ पीड़ितों को हटाने पहुंची प्रशासनिक टीम के सामने विरोध की दीवार ऐसी खड़ी हुई कि करीब पांच घंटे की मशक्कत के बावजूद भी उन्हें मैदान खाली नहीं करवाया जा सका।

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    बाढ़ पीड़ितों ने प्रशासन की सख्ती के जवाब में जबरदस्त विरोध प्रदर्शन किया। वहीं, जब बात नहीं बनी तो प्रशासन ने शाम में मुख्य गेट के बंद होने के बाद कई बाढ़ पीड़ित अंदर नहीं जा सके और काफी देर बाद वे लोग ट्रैक्टर पर रखे सामानों के साथ अन्यत्र वापस हो गए।

    फिर शाम में बाढ़ पीड़ित और छात्र गाय-भैंसों को जीरोमाइल-तिलकामांझी मुख्य सड़क पर खड़ा कर जाम लगा दिया, जिससे शहर की प्रमुख सड़कें ठप हो गईं।

    पूरा इलाका घंटों तक बाढ़ पीड़ितों के नारों और प्रशासन की चेतावनियों से गूंजता रहा। इस दौरान जमकर नारेबाजी हुई, हंगामा रात आठ बजे तक जारी रहा। आक्रोश इतना बढ़ गया कि आखिरकार प्रशासन को हवाई अड्डा का मुख्य गेट खोलना पड़ा।

    वहीं, इसी दौरान प्रदर्शन में शामिल छात्र आलोक कुमार को पुलिस ने हिरासत में ले लिया और तिलकामांझी थाना भेज दिया। इस बीच जदयू विधायक गोपाल मंडल के पुत्र आशीष मंडल मौके पर पहुंचे और बाढ़ पीड़ितों से मिलकर उनकी समस्याएं सुनीं।

    उन्होंने प्रशासन से मांग की कि जब तक वैकल्पिक व्यवस्था नहीं हो जाती, तब तक लोगों को न हटाया जाए।

    प्रशासन ने 24 घंटे का दिया अल्टीमेटम

    डीएम के निर्देश के बाद एसडीओ के साथ कार्यपालक दंडाधिकारी चंदन कुमार, डीएसपी साइबर कनिष्क श्रीवास्तव, सबौर के सीओ के अलावा भारी संख्या में पुलिस, जेसीबी और ट्रैक्टर के साथ कर्मी पहुंचे थे। इनके बाढ़ पीड़ितों को 24 घंटे का अल्टीमेटम जारी किया है।

    गंगा में काट के बहा दीजिए, पर यहां से नहीं हटेंगे

    हवाई अड्डा में हुए हंगामा के बाद बाढ़ पीड़िताओं का दर्द खूब छलका। शंकरपुर दियारा, अमरी विशनपुर, रत्तीपुर बैरिया, नारायणपुर दियारा, शहजादपुर पंचायत से आए बाढ़ पीड़ितों ने आरोप लगाया कि हटाने आई पुलिसों ने प्लास्टिक के तंबू को फाड़ दिया।

    साथ ही एक घंटे के अंदर कैंपस खाली करने का निर्देश के साथ-साथ जेल भेजने की चेतावनी भी दी नारायणपुर व अमरी विशनपुर से आए मोहन मंडल, श्रवण कुमार उमा चरण दास ने कहा कि प्रशासन राष्ट्रपति के संभावित दौरे का हवाला देकर जबरन हटा रहा है। अगर पहले से कोई वैकल्पिक व्यवस्था की गई होती, तो हम खुद चले जाते।

    नाथनगर की बाढ़ पीड़िता सुरती देवी शेखर कुमार, प्रभु दयाल ने कहा मेरा पूरा घर डूब गया है। हम हर साल यहीं आकर रहते हैं। अगर बुलडोजर आएगा, तो हम तंबू के सामने खड़े हो जाएंगे या उसी पर बैठ जाएंगे। हमें गंगा में फेंक दो लेकिन यहां से नहीं हटेंगे।

    प्रशासन का तर्क : सुरक्षा जरूरी

    मौके पर मौजूद एसडीओ विकास कुमार ने बताया कि राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू का संभावित दौरा 17 से 22 अगस्त के बीच प्रस्तावित है। इस दौरान वह तिलकामांझी विश्वविद्यालय और विक्रमशिला विश्वविद्यालय का दौरा कर सकती हैं।

    राष्ट्रपति के आगमन को देखते हुए एयरपोर्ट की सुरक्षा व्यवस्था बनाए रखना अनिवार्य है। उन्होंने बताया कि बाढ़ पीड़ितों के लिए मारवाड़ी कालेज के पीछे बाल निकेतन में ठहराव की व्यवस्था की जा रही है। हम पहले समझाने का प्रयास कर रहे हैं, लेकिन जरूरत पड़ी तो सख्ती बरती जाएगी।

    आखिर हवाई अड्डा का बंद गेट किसने और क्यों खोला

    प्रधानमंत्री के कार्यक्रम के बाद से महीनों से बंद पड़ा भागलपुर हवाई अड्डा का मुख्य गेट अचानक कैसे खुल गया, यह सवाल अब प्रशासन को घेरने लगा है।

    जिस गेट को सुरक्षा कारणों से बंद रखा गया था, वहां अचानक पानी बढ़ते ही ताले टूट जाते हैं और हजारों बाढ़ पीड़ित भीतर तंबू गाड़ लेते हैं, यह क्या महज संयोग है या सोची-समझी अनुमति।

    वहीं, पिछले एक सप्ताह तक सुबह-सुबह टहलने वाले लोग भी इस गेट के बाहर गाड़ियां लगाकर अंदर पैदल ही जाया करते थे, लेकिन उन्हें भी कभी गेट खोलने की छूट नहीं मिली।

    अब जब प्रशासन राष्ट्रपति के आगमन का हवाला देकर बाढ़ पीड़ितों को हटाने बुलडोजर लेकर पहुंच रहा है, तब यह जानना और भी जरूरी हो गया है कि आखिर इस गेट को खुलवाने की मंजूरी किसने दी?