English learning is fun: अब ए फार एप्पल भी सीखेंगे सरकारी स्कूलों के बच्चे, विद्यालय भी चकाचक
बिहार के सरकारी विद्यालयों को बेहतर किया जा रहा है। इंगलिस लर्निंग इज फन कार्यक्रम के तहत बच्चों में विकसित की जाएगी अंग्रेजी भाषा की समझ। यहां के बच्चे अब शुरू से ही अंग्रेजी सीखेंगे। विद्यलय भवन को बेहतर बनाया जाएगा।

जागरण संवाददाता, भागलपुर। फर्राटेदार अंग्रेजी बोलते बच्चों को देख लोग यह सहज ही अंदाजा लगा लेते हैं कि बच्चा किसी अंग्रेजी माध्यम वाले स्कूल का छात्र है। लोगों की यह धारणा अब बदल जाएगी। अब सरकारी स्कूल के बच्चे ककहरा के साथ ही ए फार एप्पल, बी फर बाल पढ़ते-बोलते दिख जाएंगे। सरकारी स्कूलों में पढऩे वाले बच्चों में अंग्रेजी भाषा की समझ विकसित करने के लिए शिक्षा विभाग ने पहल शुरू कर दी है। इंगलिस लर्निंग इज फन कार्यक्रम के तहत सरकारी स्कूलों में बच्चों को आरंभिक कक्षा से ही अंग्रेजी की शिक्षा दी जाएगी। इंगलिस लर्निंग इज फन कार्यक्रम के प्रथम चरण में सभी सरकारी स्कूलों में रेडियो उपलब्ध कराया गया था। रेडियो पर खेल-खेल में अंग्रेजी सिखाने की पद्धति के आधार पर तैयार पाठ्यक्रम की प्रस्तुति की जाती थी। यह प्रयोग बहुत हद तक सफल नहीं रहा था।
ऐसे में अब द्वितीय चरण में शिक्षा विभाग के अधिकारियों को इंगलिस लर्निंग इज फन कार्यक्रम का प्रशिक्षण दिया गया। अब सभी शिक्षकों को आनलाइन प्रशिक्षण दिलाने की तैयारी की जा रही है। जिसमें शिक्षकों को बच्चों को खेल-खेल में अंग्रेजी सिखाने के गुर सिखाए जाएंगे। जिला कार्यक्रम पदाधिकारी सर्व शिक्षा अभियान देवनारायण पंडित ने कहा कि शिक्षा विभाग के सभी अधिकारियों को प्रशिक्षण दिया जा चुका है। शिक्षकों को प्रशिक्षण देने के लिए आनलाइन निबंधन कराने को कहा गया है। अंग्रेजी की बेहतर समझ होने से सरकारी विद्यालयों के छात्रों को काफी लाभ होगा।
अब चकाचक होंगे विद्यालय भवन
अब विद्यालय भवन के रंग-रोगन, परिसर की साफ-सफाई, बुनियादी सुविधाओं को सु²ढ़ करने में राशि की कमी नहीं होगी। प्रधानाध्यापक अब विद्यालय कोष की राशि से विद्यालय भवन के रंग-रोगन से लेकर मरम्मत तक का कार्य करा सकेंगे। शिक्षा विभाग के विशेष सचिव ने जिला शिक्षा पदाधिकारी को लिखे पत्र में कहा है कि राजकीय, राजकीय कृत, मान्यता प्राप्त अल्पसंख्यक विद्यालयों के प्रधानाध्यापक विद्यालय विकास कोष की राशि से भवन का निर्माण व मरम्मत करा सकेंगे।
प्राचार्य और प्रधानाचार्य को अब विद्यालय कोष की राशि खर्च करने का प्राविधान किया गया है। पांच सौ छात्रों वाले विद्यालय के प्रधानाध्यापक को 1.5 लाख, 501 से 750 छात्र वाले विद्यालय के प्रधानाध्यापक दो लाख, 750 से अधिक छात्र वाले विद्यालयों के प्रधानाध्यापक प्रत्येक वर्ष ढाई लाख रुपये खर्च कर सकते हैं। विद्यालयों के प्रधानाध्यापक इस राशि का उपयोग विद्यालय भवन के खिड़की दरवाजे की मरम्मत, उपस्कर की मरम्मत, पेयजल आदि के लिए कर सकेंगे।
500 छात्र वाले विद्यालय के प्रधानाध्यापक 12 हजार 500, 501 से 750 छात्र वाले विद्यालय के प्रधानाध्यापक 16 हजार 666 और 750 से अधिक छात्र वाले प्रधानाध्यापक 20 हजार 833 रुपये प्रतिमाह खर्च कर सकते हैं। प्रधानाध्यापकों को यह अधिकार दिया गया है कि वे किसी माह अधिक राशि भी खर्च कर सकते हैं। वहीं, विद्यालय प्रबंध समिति को अब पांच लाख रुपये प्रतिमाह खर्च करने का अधिकार दिया गया है।
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