Durga Puja: स्वामी आगमानंद कृत श्रीदुर्गाचरितमानस को भजन सम्राट ने किया स्वरबद्ध, अद्भुत ग्रंथ है अवधी में रूपांतरित दुर्गा सप्तशती
Durga Puja 2021 Special श्रीदुर्गाचरितमानस की अब आडियो-वीडियो सीडी का लोकार्पण किया गया। संत परमहंस स्वामी आगमानंद जी महाराज ने श्री दुर्गा सप्तशती को अवधी भाषा में रूपांतरित किया है। श्रीदुर्गाचरितमानस ने एक अद्भुत ग्रंथ है। यह रामचरितमानस के जैसा है।
आनलाइन डेस्क, भागलपुर। नवरात्रि का पावन पर्व आने को है। मां दुर्गा के विभिन्न रूपों की पूजा भक्तगण नौ दिनों तक करेंगे। ऐसे में श्रद्धालु मां दुर्गा सप्तशती का पाठ भी करते हैं। श्रीशिवशक्ति योगपीठ के पीठाधीश्वर परमहंस स्वामी आगमानंद जी महाराज ने दुर्गा के भक्तों के लिए श्रीदुर्गाचरितमानस की सरल और बोधगम्य भाषा अवधी में दुर्गा सप्तशती का रामचरित मानस की तरह दोहे, छंद, सोरठा और चौपाई की तरह सरल अनुवाद करके पहले ही अनूठा उपहार दिया है। इसी को जन-जन तक पहुंचाने के लिए स्वामी आगमानंद महाराज ने श्रीदुर्गाचरितमानस का आडियो-वीडियो संस्करण तैयार करवा करवा जनहित में एक बड़ा काम किया है। इसका औपचारिक लोकार्पण शहर के आत्मा प्रशिक्षण हॉल, कृषि कार्यालय परिसर तिलकामांझी में किया गया। बता दें कि इसका सस्वर गायन भजन सम्राट डॉ. हिमांशु मोहन मिश्र 'दीपक' ने काफी मधुर एवं मोहक अंदाज में किया है।
लोकार्पण कार्यक्रम का आयोजन स्वामी आगमानंद के सानिध्य में किया गया। इसका उद्घाटन कोशी क्षेत्र के विधान पार्षद डॉ. सजीव कुमार सिंह एवं अध्यक्षता डॉ. नृपेंद्र वर्मा ने की। इस मौके पर जाने-माने साहित्यकार डॉ. तपेश्वर नाथ भी मौजूद रहे। डॉ. तपेश्वर नाथ का सम्मान स्वामी आगमानंद ने स्वयं किया। विशिष्ट अतिथि के रूप में पुलिस अधीक्षक लोकायुक्त, निगरानी पटना अभय कुमार लाल, शिक्षाविद राजीवकांत मिश्र, जिला कृषि पदाधिकारी कृष्णकांत झा, टीएमबीयू के कुलगीतकार विद्यावाचस्पति आमोद मिश्र, वरिष्ठ पत्रकार बृजेंद्र दुबे समेत सैकड़ों साहित्यजीवी एवं स्वामी आगमानंद परिवार के लोग मौजूद थे।
स्वामी आगमानंद ने श्रीदुर्गाचरित मानस के लोकार्पण के मौके पर अपने आशीर्वचन के दौरान कहा कि इसकी रचना तो मैंने करीब 20 वर्ष पहले ही कर दी थी। लेकिन इंटरनेट मीडिया के दौर में इसको सीडी एवं पेन ड्राइव में समाहित करने का भी समय आ गया है। इसी लिए भजन सम्राट डॉ. हिमांशु मोहन मिश्र दीपक की मधुर वाणी में पूरा श्रीदुर्गाचरित मानस की सीडी लाई गई है। वेदों में श्रवण की महत्ता सर्वोपरि है। अब लोग दुर्गासप्तशती का श्रवण करके भी लोग पुण्य लाभ ले सकते हैं। इस कार्यक्रम का संचालन स्वामी आगमानंद जी महाराज के अलावा आमोद मिश्र व दिलीप कुमार शुक्ला ने किया।
मुख्य अतिथि डॉ. तपेश्वर नाथ समेत सभी वक्ताओं ने स्वामी आगमानंद के इस महत्वपूर्ण कार्य के लिए उन्हें साधुवाद दिया और कहा कि जिस तरह से गोस्वामी तुलसीदास ने संस्कृत से रामायण को रामचरितमानस के रूप में सरल रूप देकर जन-जन तक पहुंचाया, ठीक उसी तरह श्रीदुर्गाचरितमानस भी जन-जन तक पहुंचेगा। देर शाम तक चले कार्यक्रम में वक्ताओं ने श्रोताओं को अपनी वाणी से भाव-विभोर किया।
इस दौरान दूर-दूर से आए श्रद्धालु स्वामी आगमानंद महाराज का आशीर्वाद पाने को भी लाइन में लगे रहे। कार्यक्रम को सफल बनाने में आत्मा के उपनिदेशक प्रभात कुमार सिंह, सुमन सौरभ 'सोनू', डॉ. मृत्युंजय सिंह गंगा, सुमन सिंह, रोशन सिंह, शिव प्रेमानंद, मनोरंजन भारती, प्रेम शंकर भारती, कुंदन सिंह, जिला कृषि पदाधिकारी कृष्णकांत झा, अमरेश कुमार, अक्षय कुमार, विकास कुमार, कारू समेत कई युवाओं का योगदान रहा।
विवेकानंद केंद्र कन्याकुमारी के बिहार प्रांत संपर्क प्रमुख डा विजय कुमार वर्मा ने कहा कि स्वामी विवेकानंद के मार्ग पर चलने वाले स्वामी आगमानंद जी महाराज की यह रचना अद्भुत है। यह कृति प्रत्येक घरों में माता के स्वरूप के रूप में विराजित होंगी।
स्वामी आगमानंद जी महाराज ने कहा कि ग्रंथ ईश्वर का वांग्मय रूप है। ग्रंथ की पूजा होती है। दुर्गा सप्तशती संस्कृत भाषा में है। इसी कारण उन्होंने इस ग्रंथ को अवधी भाषा में अनुवाद किया है। श्रीदुर्गाचरितमानस का अब आडियो-वीडियो भी उपलब्ध है। अवधी भाषा में होने के कारण यह पढ़ने में बिल्कुल रामचरितमानस जैसा है। इस अवसर पर सभी वक्ताओं ने कहा कि कहा कि इसकी रचना और इसका गायन तभी संभव हुआ जब देवी दुर्गा की कृपा उनपर बनी।
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