ल्यूकोरिया को ना करें नजरअंदाज, हो सकता है कैंसर का लक्षण : डा. माधवी
ल्यूकोरिया या श्वेतप्रदर एक आम बीमारी है। पर इसे नजरअंदाज करने पर यह गंभीर बीमारी का रूप ले सकती है। शर्म की वजह से महिलाएं इसके बारे में जल्दी किसी को बताती नहीं हैं। लंबे समय बाद एक सामान्य बीमारी बच्चेदानी के कैंसर तक में बदल जाती है।

भागलपुर। ल्यूकोरिया या श्वेतप्रदर एक आम बीमारी है। पर इसे नजरअंदाज करने पर यह गंभीर बीमारी का रूप ले सकती है। शर्म की वजह से महिलाएं इसके बारे में जल्दी किसी को बताती नहीं हैं। लंबे समय बाद एक सामान्य बीमारी बच्चेदानी के कैंसर तक में बदल जाती है। ल्यूकोरिया सामान्यत: पांच प्रकार का होता है। पहला साधारण माहवारी के साथ आता है और चला जाता है। दूसरा संसर्ग से इंफेक्शन के कारण होता है। तीसरा बच्चेदानी के अंदर दाना होने से होता है। चौथा बच्चेदानी के कैंसर के कारण होता है। पांचवां बच्चेदानी के निकाले जाने पर, इसके मुंह में होने वाली लाली की वजह से होता है। ऐसी महिलाओं को चाहिए कि 30 वर्ष की उम्र पार करने के बाद हर पांच साल में एक बार जांच अवश्य कराएं।
ल्यूकोरिया से पीड़ित महिलाएं नियमित जांच कराती रहें, ताकि सामान्य सी यह बीमारी गंभीर रूप ना ले सके। ल्यूकोरिया से बच्चेदानी के आसपास का क्षेत्र प्रभावित होता है। इसकी जांच और इलाज दोनों ही आवश्यक है। जांच के बाद यदि बच्चेदानी के कैंसर का पता चलता है तो इलाज कराना चाहिए। बीमारी के बारे में शर्म करना अपनी जान को खतरे में डालना है। ल्यूकोरिया पोषण की कमी और ताकत से ज्यादा थकाने वाले कामों की वजह से होता है। यह दिमागी परेशानी के कारण भी हो सकता है। पोषण की कमी दूर कर और लाइफ स्टाइल में सुधार कर काफी हद तक इस बीमारी पर काबू पाया जा सकता है। बच्चेदानी के कैंसर का पता कोल्पोस्कोपी जांच से चल जाता है। इसका इलाज भी संभव है। अगर इसे प्रारंभिक अवस्था में पता लगा लिया जाए तो इलाज शत-प्रतिशत संभव है।
उक्त बातें जवाहर लाल नेहरू चिकित्सा महाविद्यालय अस्पताल की वरीय स्त्री रोग विशेषज्ञ डा. माधवी सिंह ने जागरण के प्रश्न पहर में महिलाओं द्वारा पूछे गए सवाल के जवाब में कही।
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लापरवाही से बढ़ रहा बच्चेदानी का कैंसर
महिलाओं में लापरवाही की वजह से बच्चेदानी का कैंसर बढ़ रहा है। इसे गर्भाशय, ग्रीवा या सर्वाइकल कैंसर भी कहा जाता है। एचपीवी संक्रमण के होने और इसके कैंसर में तब्दील होने में 20 वर्ष तक लग जाता है। समय पर इलाज होने मरीज पूरी तरह ठीक हो सकता है। दो माहवारी के बीच रक्तस्राव होना, गुलाबी रंग का बदबूदार पानी गिरना, शारीरिक संबंध के बाद रक्तस्राव होना, पीठ या पेट के निचले हिस्से में दर्द होना बच्चेदानी कैंसर के लक्षण हैं। प्रतिरोधक क्षमता में कमी होने, कुपोषण आदि कारणों से भी बच्चेदानी के कैंसर की संभावना रहती है। 35 से 50 साल तक की महिलाओं में बच्चेदानी के कैंसर होने की संभावना ज्यादा होती है।
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नौ से 25 साल की लड़कियां लगवाएं टीका
वैक्सीन बच्चेदानी के कैंसर से बचाव में 92 फीसद तक कारगर है। एक बार शारीरिक संबंध बन जाने पर वैक्सीन कारगर नहीं हो सकता है। नौ साल से लेकर 25 साल तक की लड़कियां वैक्सीन लगवा सकती हैं। दो तरह की वैक्सीन उपलब्ध है। वैक्सीन नियमित अंतराल पर तीन बार लगवानी पड़ती है।
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ल्यूकोरिया के लक्षण
- सफेद पानी अधिक गाढ़ा, मटमैला व लालिमा लिए हुए हो
-चिपचिपापन व बदबू आए
-हाथ-पैर, पिंडलियों व पैर की हड्डियों में दर्द होना
-हाथ-पैर में जलन, सिर दर्द, स्मरण शक्ति में कमी, चक्कर आना, शरीर में कमजोरी, पेडू में भारीपन, कमर दर्द, शरीर टूटना
-कैल्शियम की कमी, खून की कमी, चेहरे का पीला पड़ना, आंखों के नीचे काला होना, चेहरा धंस जाना, भूख नहीं लगना, चिड़चिड़ापन, किसी काम में मन नहीं लगना, सिर का बाल अधिक गिरना, आंखों की रोशनी कम होना, कब्ज रहना, बार-बार पेशाब आना, योनि का गीला रहना, खुजली व जलन होना।
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इन महिलाओं को करानी चाहिए जांच
- बदबूदार स्राव व अत्यधिक श्वेत प्रदर होने पर
- माहवारी के दौरान ज्यादा खून आने पर
- माहवारी बंद होने के बाद भी खून आने पर
- लंबे समय से गर्भनिरोधक गोलियों का सेवन करने वालों को
- विवाह व बच्चे कम उम्र में होने पर
- वजन तेजी से घटने व पेट के निचले हिस्से में दर्द होने पर
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अंतरा सूई गर्भनिरोधक में कारगर
अंतरा सूई गर्भनिरोधक में पूरी तरह कारगर है। इसका कोई साइड इफेक्ट नहीं है। बच्चे को दूध पिलाने वाली महिलाएं यह सूई लगवा सकती हैं। बच्चा होने के डेढ़ माह बाद यह सूई लगाई जा सकती है। तीन-तीन माह पर सूई लेने पर बच्चा नहीं होगा। यह सरकारी अस्पतालों में मुफ्त दिया जाता है।
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इन्होंने पूछे सवाल
प्रभा सिंह उर्दू बाजार, बाबी कुमारी रजौन, फूलो देवी बांका, शबनम कुमारी मुरारपुर, झावो देवी रजौन, मीरा अमरपुर, लक्ष्मी मौलानाचक, रंजू देवी कहलगांव, बबीता रानी कहलगांव, अंजू देवी जवारीपुर, सोनी भीखनपुर, कविता रजौन, कलावती देवी तारापुर, रेखा देवी सुल्तानगंज, बबीता देवी नवगछिया।
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