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    महंगा पड़ा आंदोलन; पुलिस ने दौड़ा-दौड़ा कर पीटा, लात मारी, महिलाओं के कपड़े फाड़े

    By Amit AlokEdited By:
    Updated: Fri, 09 Dec 2016 10:48 PM (IST)

    भागलपुर में आंदोलनकारियों को नियंत्रित करने के दौरान पुलिस ने बर्बर लाठीचार्ज किया। इस दौरान महिलाओं व वृद्धों को भी नहीं छोड़ा गया। इतना ही नहीं, पुलिस ने लोगों को लातों भी मारा।

    भागलपुर [जेएनएन]। बिहार में पुलिस का बर्बर चेहरा फिर सामने आया। भागलपुर कलेक्ट्रियेट पर डीएम से न्याय मांगने पहुंचे सुल्तानगंज के भूमिहीनों पर पुलिस ने जमकर कहर बरपाया। पुरुष तो पुरुष, वृद्धों व महिलाओं को भी दौड़ा-दौड़ाकर पीटा। महिलाओं के कपड़े फाड़ दिए तथा लोगों को लात से भी मारा। घटनाक्रम में दो दर्जन से अधिक लोग जख्मी हो गए। पुलिस ने छह आंदोलनकारियों को हिरासत में लिया।

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    घटनाक्रम, एक नजर

    पांच दिसंबर से जन संसद के बैनर तले कलेट्रियेट के निकट आमरण अनशन पर बैठे 500 से अधिक भूमिहीन गुरुवार को जिलाधिकारी से मिलने का प्रयास कर रहे थे। आक्रोशित लोग उत्तरी गेट को तोड़कर अंदर प्रवेश कर गए। उन्हें रोकने के लिए सुरक्षाकर्मी पहुंचे पर भीड़ ने उन्हें खदेड़ दिया।

    सूचना पर कई थानों की पुलिस मौके पर पहुंची और आंदोलनकारियों को दौड़ा-दौड़ाकर पीटना शुरू कर दिया। दोनों ओर से जमकर रोड़ेबाजी भी हुई। इसमें कई आंदोलनकारियों समेत एडीएम, एसडीओ, आइसीडीएस, डीपीओ, तिलकामांझी थानाध्यक्ष सहित दो दर्जन सुरक्षाकर्मी भी घायल हो गए। तकरीबन एक घंटे तक पूरा इलाका रणक्षेत्र में तब्दील रहा।

    हालात बेकाबू होने पर एक दर्जन थानों की पुलिस को मोर्चा संभालना पड़ा। तब जाकर स्थिति नियंत्रित हुई। घटना की प्राथमिकी प्रतिनियुक्त दंडाधिकारी सिंचाई विभाग के कनीय अभियंता जय प्रकाश चौधरी ने दर्ज कराई है।

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    इस कारण आई नौबत

    - जन संसद के बैनर तले कलेट्रियेट परिसर में पांच दिसंबर से चल रहा था आमरण अनशन

    - संज्ञान नहीं लेने पर गुरुवार को डीएम से मिलने जाने लगे आंदोलनकारी

    - उत्तर दिशा की गेट को तोड़कर कलेक्ट्रियेट में कर गए प्रवेश

    - रोकने पर पुलिस व आंदोलनकारियों में हुई झड़प

    - जवानों ने जमकर चटकाई लाठियां

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    आरोप : कुंभकर्णी नींद में सोया है प्रशासन

    जन संसद की ओर से कहा गया कि भूमिहीन किसानों एवं बेघर लोगों के अधिकारों के लिए पिछले दो वर्षों से अभियान एवं आंदोलन चल रहा है पर प्रशासन कुंभकर्णी नींद में सोया है। इसी के विरोध में संस्थापक व संरक्षक अजीत कुमार ने पांच दिसंबर से आमरण अनशन किया था। जन संसद ने पुलिस प्रशासन पर बर्बरता का आरोप लगाया है।

    डीएम-एसएसपी ने कहा

    घटना की बाबत डीएम आदेश तितरमारे ने कहा कि जनसंसद का धरना सह आमरण अनशन चल रहा था। उनसे मिलने एडीएम गए थे। जन संसद जमीन बंदोबस्त करने व पर्चा देने की मांग कर रहा था। उनसे सूची मांगी गई थी। धरना की अनुमति रामानंद पासवान ने ली थी। एसएसपी मनोज कुमार के अनुसार आंदोलनकारियों ने महिलाओं को आगे कर प्रदर्शन किया और पत्थरबाजी की।

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