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    Bishari Puja 2025: बिहुला विषहरी पूजा आज... गाजे-बाजे के साथ निकलेगी बाला लखेंदर की बरात और शोभायात्रा

    Updated: Sun, 17 Aug 2025 04:10 AM (IST)

    Bishari Puja 2025 देर रात मंत्रोच्चार के बीच 91 जगहों पर मां विषहरी की प्रतिमाएं वेदी पर स्थापित की गई हैं। आज सुबह से ही गंगाजल भरकर मंदिरों में भक्त पहुंच रहे हैं। वे मां मनसा का आह्वान कर डलिया अर्पित कर रहे हैं। शाम में गाजे-बाजे के साथ बाला लखेन्द्र की बारात निकलेगी देर रात विवाह की रस्में पूरी होंगी।

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    Bishari Puja 2025: देर रात मंत्रोच्चार के बीच 91 जगहों पर मां विषहरी की प्रतिमाएं वेदी पर स्थापित की गई।

    संवाद सहयोगी, भागलपुर। Bishari Puja 2025 अंगक्षेत्र की लोक आस्था और अध्यात्म का अनोखा संगम बिहुला-विषहरी पूजा इस वर्ष भी पूरे वैभव के साथ आरंभ हो चुका है। शनिवार की देर रात चंपानगर स्थित प्राचीन विषहरी मंदिर सहित शहर के 91 से अधिक स्थानों पर भक्तिभाव से मां विषहरी की प्रतिमा वेदी पर स्थापित की गई। धूप-दीप, मंत्रोच्चार और परंपरागत अनुष्ठानों के बीच हुए इस आयोजन ने पूरे क्षेत्र में भक्ति और उल्लास का वातावरण बना दिया।

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    रविवार की प्रातः काल से ही भक्त गंगाजल भरकर मंदिरों में पहुंचेंगे और मां विषहरी का आह्वान कर डलिया अर्पित करेंगे। मंदिरों में पहली डलिया चढ़ाने का पुण्य विशेष माना जाता है। इसी दिन संध्या में अंग संस्कृति की अनुपम परंपरा बाला लखेन्द्र की बारात गाजे-बाजे और शोभायात्रा के साथ निकाली जाएगी। देर रात विवाह की रस्में पूरी होंगी और भक्त विवाहोत्सव के साक्षी बनेंगे।

    चंपानगर मेले में उमड़ेंगे श्रद्धालु 

    प्राचीन विषहरी मंदिर, चंपानगर में दो दिवसीय भव्य मेला सजता है। जहां हजारों श्रद्धालु दर्शन-पूजन और कथा श्रवण के लिए दूर-दराज़ से आते हैं। प्रधान पुजारी संतोष झा ने बताया कि यहां की प्रतिमाएं मानसा की कथा पर आधारित होती हैं। मनसा देवी, उनकी बहनें मैना, बिहुला, पदमा देवी, भवानी, विषहरी सहित चांदो सौदागर, बासो सौदागर, नाग मणियार और अन्य चरित्रों की प्रतिमाएं विशेष रूप से बनाई जाती हैं। इन प्रतिमाओं के दर्शन से भक्तों को लोककथा और अध्यात्म का अद्भुत अनुभव मिलता है।

    भक्ति और आस्था का संगम

    पूजा के दौरान मां विषहरी की महिमा गाई जाती है कि वे नागों की अधिष्ठात्री देवी हैं और सुहागिनों की रक्षा करती हैं। भक्त आस्था रखते हैं कि उनकी कृपा से परिवार सुरक्षित रहता है, जीवन में सुख-शांति बनी रहती है और कष्टों का निवारण होता है। 18 अगस्त को सुहागिनें अपने सुहाग की दीर्घायु और मंगल के लिए धूप-दीप और डलिया अर्पित करेंगी। इसी दिन मंजूषा भगत परंपरा अनुसार देवी का विसर्जन आरंभ होगा।

    समर्पण और भक्ति का वातावरण

    पूरे शहर में जगह-जगह मंडपों और मंदिरों में भक्ति संगीत, कीर्तन और मंत्रोच्चार गूंज रहे हैं। केंद्रीय पूजा समिति के पदाधिकारी लगातार भ्रमण कर व्यवस्था की देखरेख कर रहे हैं। रविवार को प्रतिमाओं के दर्शन और डलिया अर्पण के लिए मंदिरों में भक्तों की अपार भीड़ उमड़ने की संभावना है। मां विषहरी के इस वार्षिक उत्सव में भक्ति, अध्यात्म और लोकसंस्कृति का अद्भुत संगम देखने को मिल रहा है, जो अंगभूमि की विशिष्ट पहचान है।