Bihar: वक्फ से पार्टियों को उम्मीद, सीमांचल में ठोस होगी राजनीतिक जमीन; 4 जिलों की 24 सीटों का खेल
वक्फ बिल पर सीमांचल में राजनीतिक हलचल तेज हो गई है। किशनगंज अररिया कटिहार और पूर्णिया जैसे मुस्लिम बहुल जिलों में पार्टियां इस मुद्दे को आगामी विधानसभा चुनाव में भुनाने की कोशिश कर रही हैं। राजद भाजपा और एआईएमआईएम ने वक्फ कानून के विभिन्न पहलुओं पर अपनी-अपनी स्थिति व्यक्त की है जबकि जदयू इसका विरोध कर रही है। विधेयक के विरोध में मुस्लिम समुदाय में असंतोष बढ़ने की संभावना है।

माधबेन्द्र, भागलपुर। वक्फ संशोधन विधेयक (Waqf Amendment Bill) पर मुस्लिम बहुल सीमांचल में राजनीतिक गोलबंदी शुरू हो गई है। पार्टियों को उम्मीद है कि वक्फ प्रकरण आगामी विधानसभा चुनाव में उनकी झोली वोटों से भर देगा। सीमांचल के चार जिले किशनगंज, अररिया, कटिहार और पूर्णिया मुस्लिम बहुल हैं।
किशनगंज में कुल जनसंख्या में 67.98 प्रतिशत मुस्लिम हैं, जबकि अररिया में 42.94 प्रतिशत, कटिहार में 44.46 प्रतिशत और पूर्णिया में 38.46 प्रतिशत मुस्लिम भागीदारी हैं। इन जिलों में कुल 24 विधानसभा सीटें हैं। इनमें से 12 सीटें मुस्लिम बहुल हैं।
2020 में कौन कितनी सीटें जीता?
यहां 2020 के विधानसभा चुनाव में एनडीए को 11, महागठबंधन को आठ और ओवैसी की पार्टी पांच सीटों पर जीत मिली थी। हालांकि, बाद में ओवैसी के चार विधायक राजद में मिल गए थे। वर्तमान में ओवैसी की पार्टी से यहां एकमात्र विधायक अख्तरुल ईमान (अमौर) रह गए हैं। अख्तरुल ईमान एआइएमआइएम के प्रदेश अध्यक्ष भी हैं।
इनका कहना है कि पार्टी ने वक्फ संशोधन विधेयक का पुरजोर विरोध किया है। अल्पसंख्यक हितों को लेकर पार्टी संघर्षशील रही है। जबकि खुद को सेकुलर कहने वाली पार्टियां मुस्लिम हितों के लिए नहीं लड़ रही, उन्हें बस वोट से मतलब है। ऐसे में इस कानून से जिसको भी नुकसान पहुंचेगा वो हमारा साथ देंगे।
राजद के पास भी अपना गुणा-गणित
इधर, राजद के पास अपना गुणा-गणित है। किशनगंज के राजद जिला अध्यक्ष कमरुल हुदा कहते हैं कि सीमांचल में एआईएमआईएम अब कोई फैक्टर नहीं है। यहां की जनता ने एक बार इन्हें पांच सीटों पर जीत दिलाई, लेकिन ये कुछ कर नहीं पाए। सीट बेचने लगे। मुसलमानों का प्रतिनिधित्व इकलौता राजद करता है। वक्फ संशोधन विधेयक से मुसलमान में उपजा असंतोष उन्हें राजद के पाले में गोलबंद करेगा।
राजद के राज्य परिषद के सदस्य डॉ. आनंद आजाद कहते हैं कि वक्फ के मुद्दे पर सेकुलर जमात भी महागठबंधन का साथ देगी। इस कारण पहले के मुकाबले में और अधिक सीटों पर महागठबंधन की जीत होगी। इधर, भाजपा भी पिछले विधानसभा चुनाव के मुकाबले इस बार अधिक सीट जीतने का दावा कर रही है।
अररिया से पार्टी के जिला अध्यक्ष आदित्य नारायण झा कहते हैं कि वक्फ बोर्ड काला कानून था, अब इसे लोकतांत्रिक बनाया गया है। इससे सनातनियों और गरीब मुसलमानों का सरकार पर विश्वास बढ़ा है। वक्फ के नाम पर गरीब मुसलमानों की जमीन छीन ली जाती थी। भूमाफिया मौज कर रहे थे। भाजपा जल्द ही वक्फ कानून से प्रताड़ित लोगों का सर्वे कराएगी। आंकड़ों के साथ जनता के पास जाएगी।
किशनगंज से जदयू के पूर्व लोकसभा प्रत्याशी मास्टर मुजाहिद आलम का कहना है कि विधेयक में कुछ प्रविधान खासकर वक्फ परिषद में गैर-मुस्लिम सदस्यों को रखना गलत है। हम लोगों ने पार्टी के अंदर और सरकार से भी इसका विरोध जताया था। इसे हटाने का आश्वासन भी मिला है। हमारे मुख्यमंत्री ने अल्पसंख्यकों के लिए बहुत काम किया है, लेकिन इनके कुछ लोगों ने ऐसी भाषा का प्रयोग किया जिससे नुकसान उठाना पड़ेगा।

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