मम्मी कहती हैं, स्कूल मंदिर होता है, मगर यहां तो प्लास्टर और छत गिरती है... आप भी जानिए कितने सुरक्षित हैं Bihar Govt School
School Abhiyan Dainik Jagran दैनिक जागरण ने नौनिहालों की सुरक्षा को प्राथमिकता देते हुए देशभर में कितने सुरक्षित हमारे स्कूल अभियान शुरू किया है। इस दौरान बिहार के सरकारी स्कूलों की पड़ताल में चौंकाने वाले तथ्य सामने आ रहे हैं। भागलपुर में शिक्षा विभाग के इंजीनियरों ने आठ साल पहले एक सरकारी स्कूल भवन को तोड़ने का फरमान दिया लेकिन जर्जर भवन में वर्षों से दो स्कूल चल रहे हैं।

जागरण संवाददाता, भागलपुर। School Abhiyan Dainik Jagran जिला शिक्षा विभाग हादसा होने का इंतजार कर रहा है। ऐसा हम नहीं कह रहे हैं, ऐसा जिला शिक्षा विभाग की गैर जिम्मेदाराना रवैया बता रहा है। जी हां, बीते दिनों राजस्थान के बांसवाड़ा जिले के गांगड़तलाई ब्लाक की मोना डूंगर ग्राम पंचायत में एक राजकीय उच्च प्राथमिक विद्यालय भवन के बरामदे की छत गिर गई थी।
इस हादसे के बाद भी जिला शिक्षा विभाग का ध्यान जर्जर भवन की मरम्मत की ओर नहीं है। जिला मुख्यालय से लेकर सुदूर गांव देहात तक कई विद्यालयों के भवन जर्जर हैं। कई विद्यालयों के जर्जर भवन की छत का प्लास्टर टूट कर नीचे गिरता है तो कई जगहों पर शौचालय और पेयजल जैसी मूलभूत सुविधाओं का भी अभाव है।
इंजीनियर ने आठ साल पहले कहा तोड़ दें
तिलकामांझी स्थित मुक्ति विद्यालय परिसर में एक दो मंजिला भवन है, जिसे जिला शिक्षा विभाग के इंजीनियरों ने ही आठ साल पूर्व ही जर्जर घोषित कर तोड़ने का निर्देश दिया था। इसके बावजूद आज भी जर्जर भवन में कक्षाएं संचालित हो रही है। ताजुब की बात यह है कि 1969 में स्थापित विद्यालय भवन में एक स्कूल नहीं, दो-दो स्कूल संचालित हो रहे हैं।
भवन एक, चल रहा दो-दो विद्यालय
मार्निंग में स्कूल के इसी बिल्डिंग में मदनलाल कन्या प्लस टू विद्यालय की 200 लड़कियां रोजाना पढ़ती हैं। फिर डे शिफ्ट में मध्य विद्यालय का संचालन होता है। भवन का निरीक्षण करने के बाद यह पता चला कि भवन की दीवारें दरक चुकी है। बारिश की वजह से उसमें सीलन है। खिड़की टूटे हुए हैं और दरवाजे भी सही नहीं है।
वायरिंग की स्थिति खराब है, हालांकि इसी परिसर में अन्य भवन भी है, जिसमें भी बच्चे पढ़ते हैं, लेकिन कमरे की कमी के कारण मजबूरन जर्जर भवन में भी बच्चों को बैठाया जाता है। जर्जर भवन का फर्श भी पूरी तरह से क्षतिग्रस्त हो गया है। छात्र-छात्राओं के लिए अलग अलग शौचालय हैं, लेकिन छात्र-छात्राओं की संख्या के अनुपात में शौचालय की कमी है।
डे शिफ्ट में भी रोजाना 240 बच्चों की उपस्थिति होती है। स्कूल के स्तर से कई बार भवन निर्माण के लिए जिला शिक्षा विभाग को पत्र लिखा गया है, लेकिन अब तक निर्माण नहीं हो पाया है। साथ ही साथ इस स्कूल में मैट्रिक इंटर के परीक्षा के भी सेंटर दे दिए जाते हैं।
स्कूल की स्थिति के बारे में जानकारी मिली है। इंजीनियरों को भेज कर उसकी वस्तु स्थिति का पता लगाकर आगे की कार्रवाई होगी। जल्द ही भवन की मरम्मत कराने की प्रक्रिया शुरू की जाएगी। शिवकुमार वर्मा, डीपीओ, एसएसए
जर्जर भवन का प्लास्टर गिरता है नीचे
अकबरनगर नगर पंचायत क्षेत्र के वार्ड संख्या 11 में स्थित कन्या मध्य विद्यालय श्रीरामपुर अकबरनगर की स्थापना 1971 में हुई। विद्यालय के भवन जर्जर हो गए हैं। छत से प्लास्टर टूट कर नीचे गिरता है। इस कारण छात्र-छात्राओं को यह डर सताते रहता है कि कहीं प्लास्टर टूट कर उनके उपर न गिर जाए। भवन की छत में लगा लोहे का छड़ (सरिया) भी दिखाई देने लगा है। दीवारों में दरारें भी दिखने लगी है। फर्श भी क्षतिग्रस्त हो गया है।
शौचालय है, लेकिन उपयोग करने लायक नहीं
इस विद्यालय में शौचालय है, लेकिन साफ-सफाई के अभाव में यह उपयोग करने लायक नहीं है। विद्यालय में प्राथमिक उपचार किट भी उपलब्ध नहीं है। विद्यालय में अग्निशमन यंत्र का भी अभाव है। बुधवार को विद्यालय में 397 बच्चे उपस्थित थे। प्रधानाध्यापिका ममता कुमारी ने कहा कि हमने कई बार भवन की मरम्मत और नए भवन का निर्माण कराने मांग की है, लेकिन अब तक समाधान नहीं हो पाया है। बच्चे और शिक्षक में भय का माहौल रहता है।
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