मुखिया जी मांग रहे पिस्टल, राइफल, बंदूक और रिवाल्वर, सता रहा जान का डर; भागलपुर में हर हफ्ते लाइसेंसी हथियार के 100 आवेदन
Bihar Mukhiya News बिहार में मुखिया सरपंच व पंचायत जनप्रतिनिधियों को हथियार लाइसेंस दिए जाने के आदेश के बाद भागलपुर में प्रशासन को हर हफ्ते 100 आवेदन मिल रहे हैं। जनप्रतिनिधियों के लिए हथियार के लाइसेंस के लिए आ रहे हैं सैकड़ों आवेदन की जांच की जा रही है। मुखिया और सरपंच की प्राथमिकता पिस्टल उसके बाद राइफल और बंदूक है।

नवनीत मिश्र, भागलपुर। Bihar Mukhiya News मुखिया, सरपंच और अन्य जनप्रतिनिधियों के बीच सुरक्षा का डर बढ़ता जा रहा है। इसी कारण, वे हथियार के लाइसेंस के लिए तेजी से आवेदन कर रहे हैं। वर्तमान में हर हफ्ते सौ से अधिक आवेदन आ रहे हैं, जबकि पिछले साल यह संख्या 45 से 50 के बीच थी। जनप्रतिनिधियों की पहली पसंद पिस्टल है, इसके बाद राइफल, बंदूक और रिवाल्वर का नंबर आता है। इन आवेदनों को संबंधित थानों को भेजा जा रहा है।
सदर अनुमंडल में जुलाई से जुलाई तक एक साल में केवल 45 आवेदन डीएसपी के पास आए थे, जबकि इस साल अब तक 24 आवेदन प्राप्त हुए हैं। कहलगांव अनुमंडल में पिछले साल 76 आवेदन आए थे, जबकि इस साल केवल 16 आवेदन आए हैं। नवगछिया अनुमंडल की स्थिति भी इसी तरह की है। सामान्य शाखा में एसएसपी के पास हर साल 50 से 60 आवेदन आते हैं, लेकिन इस साल जुलाई में जिलाधिकारी के कार्यालय में प्रतिदिन 15 से 20 आवेदन आ रहे हैं।
पंचायती राज से जुड़े जनप्रतिनिधियों को विधानसभा चुनाव से पहले शस्त्र लाइसेंस जारी करने की तैयारी की जा रही है। गृह विभाग के अवर सचिव मनोज कुमार सिन्हा ने जिलाधिकारी और एसएसपी को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की घोषणा का हवाला देते हुए निर्देश दिया है कि पंचायत प्रतिनिधियों के शस्त्र लाइसेंस के आवेदन को समय-सीमा के भीतर निष्पादित किया जाए। जिले में 238 मुखिया, 238 सरपंच, 31 जिला परिषद सदस्य, 200 से अधिक पंचायत समिति सदस्य और 500 से अधिक वार्ड सदस्य हैं।
पंचायत और ग्राम कचहरी के प्रतिनिधि लंबे समय से सुरक्षा के लिए शस्त्र लाइसेंस की मांग कर रहे हैं। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने पिछले महीने इस दिशा में कार्रवाई का निर्देश दिया था। पंचायती राज विभाग ने 18 जून को गृह विभाग के अपर मुख्य सचिव को पत्र लिखकर इस संबंध में कार्रवाई की मांग की थी। गृह विभाग ने डीएम-एसपी को निर्देश दिया है कि वे शस्त्र लाइसेंस के प्राप्त आवेदनों को आयुध नियम, 2016 के तहत समय-सीमा के भीतर निष्पादित करें।
हालांकि, आर्म्स लाइसेंस के लिए किए गए अधिकांश आवेदन थाने के स्तर पर ही रुक जाते हैं। आवेदन बढ़ने के बाद ही वे डीएसपी, एसडीओ, एसपी और डीएम तक पहुंचते हैं। सामान्य लोगों के लिए आर्म्स लाइसेंस प्राप्त करना कठिन हो रहा है। अब यह देखना होगा कि कितने जनप्रतिनिधियों को आर्म्स लाइसेंस मिल पाता है, लेकिन आवेदन की संख्या में तेजी से वृद्धि हो रही है।
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