Bihar Flood: गंगा और बूढ़ी गंडक ने बरपाया कहर, खगड़िया से कटिहार तक हाहाकार
भागलपुर में बाढ़ ने विकराल रूप ले लिया है जिससे शहर और गांव दोनों प्रभावित हैं। गंगा और बूढ़ी गंडक का जलस्तर बढ़ रहा है कोसी और सीमांचल के लोग भी डरे हुए हैं। भागलपुर में गंगा खतरे के निशान से ऊपर बह रही है। यातायात बाधित है शिक्षण संस्थान प्रभावित हैं। जिला प्रशासन राहत शिविरों में भोजन और पानी मुहैया करा रहा है।

जागरण टीम, भागलपुर। बाढ़ ने विकराल रूप धारण कर लिया है। गांव से शहर तक पानी फैल जाने से हालात बिगड़ने लगे हैं। पशुपालकों की परेशानी बढ़ गई है, उन्हें चारा के लिए मवेशियों के साथ दर-दर भटकना पड़ रहा है। बाढ़ के पानी के साथ आए घड़ियाल, सांप और अन्य जलीय जीवों का डर भी सता रहा है। गंगा और बूढ़ी गंडक के जलस्तर में वृद्धि जारी है। वहीं, पिछले कुछ दिनों से स्थिर कोसी और कनकई नदियों में भी उतार-चढ़ाव हो रहा है, जिससे कोसी और सीमांचल के लोग सहम गए हैं।
भागलपुर में गंगा खतरे के निशान से भागलपुर में 94 सेंटीमीटर ऊपर बह रही है। कहलगांव में खतरे के निशान से डेढ़ मीटर ऊपर बह रही गंगा ने पिछले 16 वर्षों का रिकार्ड तोड़ दिया है। नए इलाकों में पानी तेजी से फैल रहा है। तिलकमांझी भागलपुर विश्वविद्यालय परिसर समेत किलाघाट, बूढ़ानाथ घाट, मानिक सरकार घाट, खिरनी घाट व बरारी के सभी घाटों पर पानी और ऊपर चढ़ गया है।
नेशनल हाइवे पर आवाजाही ठप
पानी के दबाव के कारण भागलपुर-कहलगांव एनएच -80 पर बड़े वाहनों का परिचालन रोक दिया है, जबकि भागलपुर-अकबरनगर मार्ग पर पानी चढ़ जाने से आवागमन बंद है। बाढ़ की वजह से शहर के शिक्षण संस्थान बुरी तरह प्रभावित हैं। तिलकामांझी भागलपुर विश्वविद्यालय में नाव के सहारे व्यवस्था चल रही है। इंजीनियरिंग कॉलेज गंगा नदी बन गया है। हॉस्टल खाली करा दिए गए हैं। कार्यालय का काम भी ठप है। बिहार कृषि विश्वविद्यालय के अनुसंधान प्रक्षेत्र में लगाई गई शोध फसलें डूब गई हैं, जिससे विज्ञानिकों के लंबे समय की मेहनत पर पानी फिर गया है।
भागलपुर जिला प्रशासन ने 13 राहत शिविरों में कम्युनिटी किचन स्थापित की हैं, जहां लगभग 1,500 परिवारों को भोजन, पीने का पानी, पॉलीथिन शीट और पशुओं के चारे आदि मुहैया कराए जा रहे हैं। नाथनगर में बाढ़ के पानी के साथ आए घड़ियालों के हमले से चार से पांच लोग घायल हो गए हैं।
भागलपुर के नाथनगर में घड़ियाल के हमले से घायल व्यक्ति। जागरण
जलीय जीवों का बढ़ा खतरा
कटिहार में भी बाढ़ पीड़ितों को जलीय जीवों का डर सता रहा है। पिछले 24 घंटों में यहां 20 से अधिक पंचायतें बाढ़ से प्रभावित हो गई हैं। बाघामारा पंचायत के बैद्यनाथपुर दियारा में मचान पर ही पीड़ितों का रहना-खाना बनाना हो रहा है। प्रशासन की पहल अब तक रिपोर्ट लेने में ही सीमित है।
कटिहार में बाढ़ ग्रस्त क्षेत्र में मचान पर खाना बनाती महिला। जागरण
कुरसेला में NH31 व स्टेट हाइवे 77 को छोड़ सभी मार्ग जलमग्न हो गए हैं। आवागमन का एकमात्र साधन नाव है। लोगों का पलायन हो रहा है। बाढ़ पीड़ित कुरसेला रेलवे स्टेशन के माल गोदाम, मजदिया रेल समपार फाटक के दोनों ओर डेरा डाल रहे हैं। तटबंध पर भी पानी का दबाव बढ़ा है।
कटिहार में ऊंचे स्थान पर तंबू गाड़ रह रहे बाढ़ पीड़ित। जागरण
सरदार नगर भंडारतल के पास सीपेज की स्थिति में विभाग द्वारा युद्ध स्तर पर कार्य चलाकर रोका गया है। अमदाबाद में गंगा एवं महानंदा नदी के जलस्तर में वृद्धि दर्ज की गई है। यहां गंगा खतरे के निशान से 1.2 मीटर और महानंदा 84 सेमी ऊपर बह रही है। खगड़िया में गंगा और बूढ़ी गंडक उफान पर है।
हालांकि पिछले 12 घंटे में गंगा के जलस्तर में मात्र तीन और बूढ़ी गंडक के जलस्तर में चार सेंटीमीटर की वृद्धि हुई है। यहां भी बाढ़ प्रवण क्षेत्रों में स्थिति विकराल है। प्रभावित पंचायतों की संख्या पिछले 24 घंटों में 17 से 20 हो गई है। मुंगेर में गंगा शांत है। हालांकि अब भी खतरे के निशान से 45 सेंटीमीटर ऊपर है।
रेस्क्यू में जुटा प्रशासन
केंद्रीय जल आयोग का मानना है कि पानी धीरे-धीरे कम होगा। जिले के लगभग तीन दर्जन गांवों में गंगा का पानी फैला हुआ है। शहर का निचला इलाका लाल दरवाजा चंडिका स्थान में पानी जमा है। प्रशासन की ओर से बबुआ घाट और केसी सुरेंद्र पार्क में अस्थायी बसेरा बनाया गया है। प्रभावित लोगों के लिए जिले के 14 स्थानों पर सामुदायिक किचन चल रहा है।
लखीसराय में गंगा और हरुहर नदी से घिरे बड़हिया प्रखंड और नगर की 50 हजार से अधिक आबादी बाढ़ से प्रभावित है। यहां सड़क संपर्क पूरी तरह टूट चुका है और जिला या प्रखंड मुख्यालय तक पहुंचने के लिए नाव ही एकमात्र साधन बचा है। पूर्णिया के रूपौली प्रखंड की 11 पंचायतों में बाढ़ का कहर जारी है।
यहां भी 50 हजार की आबादी प्रभावित हो गई है, जबकि प्रशासन उदासीन बना हुआ है। किशनगंज में महानंदा, कनकई और रतवा नदियों के जलस्तर में उतार चढ़ाव हो रहा है। कनकई नदी के जलस्तर में उतार चढ़ाव से दो जगहों पर कटाव शुरू हो गया है।
छह डूबे, दो की मौत, तीन लापता
बांका, मधेपुरा और कटिहार में रविवार को चार बच्चों सहित छह लोग डूब गए। इनमें से दो की मृत्यु हो गई। बांका के रजौन प्रखंड के सिंहनान स्थित चांदन नदी में तैराकी के दौरान चार बच्चे डूब गए। इनमें से तीन बच्चे लापता हैं। एक को ग्रामीणों ने बचा लिया है। मधेपुरा में तालाब की सफाई के दौरान डूबने से एक मजदूर की मौत हो गई। कटिहार में भी डूबने से एक वृद्ध की मौत हो गई।
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