Bihar: आखिर भागलपुर में देखते-देखते क्यों खाली हो गया पूरा Girls Hostel? बोरिया-बिस्तर समेट कर अपनी जान बचाने भागीं छात्राएं; जानें पूरी कहानी
Bihar Flood News भागलपुर में गंगा ने विकराल रूप धारण कर लिया है। गंगा के किनारे के मोहल्लों में बाढ़ का पानी प्रवेश करने से मुसीबतें बढ़ गई हैं। टीएमबीयू के महिला छात्रावास सीनेट हाल और शिक्षकों के क्वार्टर में बाढ़ का पानी घुसने के बाद छात्राओं ने छात्रावास खाली कर दिया।

संवाद सहयोगी, नाथनगर (भागलपुर)। Bihar Flood News गंगा के बढ़ते जलस्तर के कारण बाढ़ ने विकराल रूप ले लिया है। इसका प्रतिकूल असर तिलकामांझी भागलपुर विश्वविद्यालय पर भी पड़ा है। लालबाग स्थित गर्ल्स हास्टल और शिक्षकों का क्वार्टर पूरी तरह जलमग्न हो गया है। छात्राएं हास्टल छोड़ अपने घर की तरफ कूच कर गई हैं। शिक्षक अभी अपने क्वाटर में जमे हुए हैं, लेकिन जलस्तर जिस रफ्तार से बढ़ रहा है। उन लोगों को भी एक दो दिन के अंदर कहीं दूसरे जगह शिफ्ट होना पड़ेगा।
लालबाग स्थित पीजी हास्टल में रहने वाली छात्रा ब्यूटी कुमारी ने बताया कि बाढ़ के समय हर वर्ष छात्राओं को छात्रावास खाली करना पड़ता है। लगभग एक माह तक पानी का घटना और बढ़ना लगा रहता है। जिसके कारण एक माह तक पढ़ाई ठप हो जाती है। बताते चलें कि बीते वर्ष बाढ़ के दौरान विश्वविद्यालय प्रशासन द्वारा महिला छात्रावास में रहने वाली छात्राओं को एसएम कालेज में शिफ्ट किया गया था, लेकिन इस बार कोई व्यवस्था नहीं की गई। इसलिए हम लोग अपने अपने घर जा रहे हैं।
इसके अलावा पानी के साथ सांप भी कमरे में प्रवेश कर रहे हैं। इस स्थिति में जान को जोखिम में डालकर हमलोग छात्रावास में नहीं रह सकते हैं। दो दिनों से हास्टल में पानी प्रवेश कर रहा था। हास्टल एक से लेकर चार तक में रहने वाली अधिकांश छात्राओं ने हास्टल खाली कर दिया है। जो शेष बची है, वह भी गुरुवार तक खाली कर देगी। इधर विश्वविद्यालय के प्रशासनिक भवन स्थित सीनेट हाल तक बाढ़ का पानी प्रवेश कर गया है।
पीजी पुरुष छात्रावास मार्ग भी हुआ जलमग्न
बीते तीन सालों से लगभग नौ छात्रावास में रहने वाले लगभग एक हजार छात्रों को बरसात के दिनों में काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है। तीन साल बीतने को है, लेकिन न तो विश्वविद्यालय प्रशासन ने और न ही नगर निगम द्वारा अब तक इस समस्या का निदान निकाला गया है। स्थिति ऐसी है कि हल्की बारिश में भी पीजी पुरुष मार्ग में दो फीट पानी जमा हो जाता है और तेज बारिश होने पर छात्र अपने कमरे में ही कैद हो जाते हैं।
बुधवार की सुबह हुई तेज बारिश के कारण लगभग चार फीट पानी लगभग आधा किलोमीटर तक फैला हुआ है। पीजी वन से लेकर चार और रिसर्च, यूजीसी एवं वेलफेयर टू के छात्रावास में रहने वाले छात्रों को मुख्य मार्ग है। इसके अलावा मारवाड़ी और वेलफेयर छात्रावास के छात्रों को इसी तरह की समस्या से जूझना पड़ता है ।
बाढ़ पीड़ितों ने टीएमबीयू परिसर में बना लिया आशियाना
नाथनगर प्रखंड के बैरिया पंचायत के दिलदारपुर, बिंद टोली, दारापुर सहित आधा दर्जन गांव के लोग बाढ़ से पूरी तरह प्रभावित हो चुके हैं। बाढ़ पीड़ित फिलहाल विश्वविद्यालय परिसर स्थित टील्हा कोठी में शरण लिए हुए हैं, लेकिन उन्हें दूसरी जगह शिफ्ट किया जाएगा, ऐसा विश्वविद्यालय प्रशासन का कहना है। बुधवार को भी दर्जनों बाढ़ पीड़ित अपना आशियाना बनाने में जुटे थे।
बता दें कि मंगलवार को बाढ़ पीड़ित को रोकने पर वे लोग ताला तोड़कर जबरन प्रवेश कर गए थे। इस दौरान उन लोगों का कुलानुशासक से नोंकझोंक भी हुआ था। टीएमबीयू के पीआरओ डा.दीपक कुमार दिनकर ने बताया कि डीएम ने बाढ़ पीड़ितों को ऊंचे स्थान पर शिफ्ट करने को कहा है। विश्वविद्यालय प्रशासन द्वारा विश्वविद्यालय बाल निकेतन का प्रस्ताव दिया गया है। इधर नाथनगर के सीटीएस चर्च मैदान में सैकड़ों परिवार अपना बाल बच्चों और मवेशी के साथ आशियाना बनाते नजर आए। अभी तक उन लोगों को जिला प्रशासन की तरफ से कोई मदद नहीं मिला है।
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