Bhagalpur Police के दामन पर हेराफेरी के दाग... यूं ही नहीं लगी खाकी के आंगन में आग; आर्थिक अपराध इकाई ने खोला कच्चा चिट्ठा
Bihar Police Latest News बिहार पुलिस एक बार फिर से शक के दायरे में है। भागलपुर पुलिस लाइन में डेढ़ वर्ष पूर्व लगी आग और सार्जेंट अभिषेक का शव फंदे से लटकते मिलने के मामले में आर्थिक अपराध इकाई की जांच में चौंकाने वाले तथ्य सामने आए हैं। पुलिस केंद्र की परिवहन शाखा में तब यूं ही आग नहीं लगी थी वहां बड़ी हेराफेरी हुई थी।

कौशल किशोर मिश्र, भागलपुर। Bihar Police Latest News पुलिस केंद्र की परिवहन शाखा में बड़े पैमाने पर तेल की हेराफेरी, वाहनों के रख-रखा और फर्जी बिल पर लाखों डकारने का खेल सामने आने लगा है। पुलिस महानिदेशक विनय कुमार के निर्देश पर हुई जांच बाद आर्थिक अपराध इकाई ने मामले में केस दर्ज कर जो अनुसंधान आरंभ किया है उसमें भागलपुर पुलिस केंद्र में मौजूद परिवहन शाखा में खेले गए भ्रष्टाचार की गढ़ी गई कहानी की परत खुलने लगी है।
अब यह बात भी जांच में सामने आने लगी है कि परिवहन शाखा में तब यूं ही आग नहीं लगी थी, बल्कि तब लगी आग की आड़ में भ्रष्टाचार के साक्ष्य जलाए गए थे। 28 नवंबर 2023 को एमटी सार्जेंट अभिषेक कुमार का रहस्यमय तरीके से फंदे पर लटकते हाल में तब शव बरामदगी बाद परिवहन शाखा में खेले जा रहे खेल में शामिल पुलिस पदाधिकारियों और कर्मियों को छोड़ सारे पुलिस पदाधिकारी और कर्मियों में आक्रोश गहरा गया था।
उस दौरान पुलिस केंद्र में सार्जेंट अभिषेक की रहस्यमय परिस्थिति में मौत, परिवहन शाखा में अचानक आग लग जाना, दस्तावेजों का जल जाने जैसी घटना का सच जानने के लिए पुलिस महानिदेशक विनय कुमार ने जांच बैठा दी थी। तब 14 जनवरी 2025 को सीआइडी की जांच टीम के अध्यक्ष एसपी मुहम्मद कासिम समेत जांच दल में शामिल डीएसपी सुश्री दीक्षा, राम निवास और इंस्पेक्टर सुनील कुमार द्विवेदी की टीम पहुंच कर कई बिंदुओं पर जांच की थी। तत्कालीन लाइन डीएसपी संजीव कुमार से भी पूछताछ की गई थी। जांच के क्रम में परिवहन शाखा में बिल की भारी गड़बड़ी और तेल की हेराफेरी की बात सामने आई। टीम की जांच रिपोर्ट बाद आर्थिक अपराध इकाई ने केस दर्ज कर लिया है।
बिलों के फर्जी भुगतान की बात आई सामने
केस दर्ज करने के बाद शुरू हुई जांच में आर्थिक अपराध इकाई की टीम ने यह पाया कि परिवहन शाखा में एक वाहन के नाम पर दो-दो बिल बनाए गए। उस फर्जी बिल पर भुगतान लिया गया। ऐसे करीब दो दर्जन वाहनों के मरम्मत और कल-पुर्जे बदलने के नाम पर भी फर्जीवाड़ा कर बिल का भुगतान लिया गया। जांच में यह बात भी सामने आई है कि वाहनों में कॉशन लाइट और अन्य ऐसेसरीज लगाने के लिए पटना के शोरूम को भुगतान किया गया। जिन वाहनों को कंडम घोषित कर दिया गया उन वाहनों के मरम्मत के नाम पर भी बड़ी रकम खर्च करने की भी बात जांच में सामने आई है।
पुलिस केंद्र में लगी आग की खास बातें
- 28 नवंबर 2023 को एमटी सार्जेंट अभिषेक कुमार का रहस्यमय तरीके से फंदे पर लटकते हाल में बरामद किया गया था शव
- एमटी शाखा में तेल-वाहन के रख-रखाव में बिल की भारी गड़बड़ी की बात भी तब जांच में आई थी सामने
- अभिषेक के परिजनों ने एमटी शाखा के मुंशी, सिपाही पर गंभीर आरोप लगा उन्हें नामजद आरोपित भी बनाया था। लेकिन सब मामले रहस्यमय तरीके से दबते चले गए।
- आर्थिक अपराध इकाई ने परिवहन शाखा में हुई बड़ी हेराफेरी मामले में केस दर्ज कर शुरू की जांच
- जांच में खुलने लगी अधिकारियों और कर्मियों की सांठगांठ में होने वाली भ्रष्टाचार की कहानी की परत
जांच में कई आरोप सच पाए गए
सार्जेट अभिषेक के परिजनों ने परिवहन शाखा में होने वाली हेराफेरी और शाखा में तैनात मुंशी समेत अन्य पुलिसकर्मियों और एक वरीय पदाधिकारी पर जो आरोप अभिषेक की रहस्यमय तरीके से हुई मौत बाद लगाए गए उनमें सीआइडी और आर्थिक अपराध इकाई की जांच में अधिकांश सच पाए गए हैं। वर्ष 2024 और 2025 में जिन वाहनों की नीलामी हुई थी उसमें अधिकांश की पंजी ही गायब पाई गई है।
जिससे परिवहन शाखा में इस मद में की गई हेराफेरी का पूरा सच सामने नहीं आ पा रहा है। परिवहन शाखा में तब पुलिस केंद्र में तैनात एक पुलिस पदाधिकारी की रहस्यमय भूमिका भी टीम ने जांच की थी। उक्त पदाधिकारी ने सार्जेट अभिषेक कुमार पर बिलों में दस्तखत का तब भारी दबाव बनाया था।
सार्जेंट अभिषेक के परिजनों को कमरे से रखा गया था दूर
एमटी सार्जेंट अभिषेक कुमार की रहस्यमय परिस्थिति में हुई मौत बाद तत्कालीन डीआइजी विवेकानंद, एसएसपी आनंद कुमार, लाइन डीएसपी संजीव कुमार ने घटनास्थल से तब सार्जेट अभिषेक के परिजनों को भी घटनास्थल से दूर रखा था। पुलिसकर्मियों में भी उस घटना की जानकारी पर आक्रोश व्याप्त हो गया था। दरअसल तब एक बात जंगल में आग की तरह फैल गई थी कि एमटी शाखा में तेल-वाहनों के रख-रखाव के नाम पर भारी अनियमितता बरती गई है।
इसके लिए एक बड़ा सिंडिकेट तब काम कर रहा था जिसकी जानकारी सार्जेंट रहते हुए भी आरंभ में ईमानदार अभिषेक कुमार को नहीं लग सकी थी। लेकिन रिकार्ड अवलोकन और बिल पर दस्तखत करने के दौरान अभिषेक को इस बात की जानकारी हो गई थी कि उनके पीछे वहां के स्टाफ और उन्हें संरक्षण देने वाले एक पदाधिकारी भ्रष्टाचार का बड़ा खेल खेल रहे हैं।
उसके बाद से अभिषेक बेचैन हो गए थे। तब उन्होंने अपने मन में उठने वाले द्वंद की जानकारी अपने भाई को दी थी। लेकिन तब तक देर हो चुकी थी। 28 नवंबर 2023 को अभिषेक कुमार का शव रहस्यमय तरीके से उनके कमरे से बरामद किया गया था। परिवहन शाखा में हुई हेराफेरी और सार्जेँट की मौत मामले में तब एसएसपी ने जांच बैठाई थी लेकिन तब रिपोर्ट फाइल में दब गई थी।
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