भागलपुर: साल्वर गैंग को मिला अकूत संपत्ति अर्जित करने वाले कई अधिकारियों का संरक्षण, इस प्रकार किया जाता था परीक्षा में धांधली
भागलपुर में हाईटेक तरीके से परीक्षा में धांधली करने वाले साल्वर गैंग को बिजली, शिक्षा, अर्धसैनिक बल और दिल्ली पुलिस के अधिकारियों का संरक्षण मिल रहा थ ...और पढ़ें

गिरफ्तार साल्वर गिरोह के शातिर।
जागरण संवाददाता, भागलपुर। पढने में कमजोर परीक्षार्थियों को हाईटेक तरीके से परीक्षा दिलाने वाला साल्वर गैंग को विभिन्न महकमों के अधिकारियों का भी संरक्षण मिल रहा था। हबीबपुर पुलिस ने साल्वर गैंग और उससे जुड़े अबतक आठ शातिर की गिरफ्तारी बाद जांच की गति तेज कर दी है। प्रारंभिक जांच में बिजली विभाग, शिक्षा विभाग, अर्ध सैनिक बल और दिल्ली पुलिस में मौजूद कई अधिकारियों की भूमिका सामने आ रही है। पटना से गिरफ्तार अनुपम सौरभ को भी ऑनलाइन इंस्टीट्यूट स्टार्ट करने में उसे एक मुश्त 30 लाख रुपये मिले थे। अनुपम मुकेश उर्फ अभिनंदन के साथ पार्टनरशिप में ऑनलाइन इंस्टीट्यूट खोल रखा था।
- किसने अनुपम सौरभ को ऑनलाइन इंस्टीट्यूट चलाने को दिया था 30 लाख रुपये
- पुलिस टीम बिजली विभाग, शिक्षा विभाग और अर्ध सैनिक बल और दिल्ली पुलिस में मौजूद उन अधिकारियों की हकीकत खंगालने में जुटी
- पुलिस की छानबीन और पूछताछ में ऐसे अधिकारियों की प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष तरीके से साल्वर गैंग संचालन में संरक्षक की भूमिका आ रही सामने
अनुपम को 30 लाख किस अधिकारी ने दी थी, पुलिस टीम की जांच की आंच उक्त अधिकारी तक बहुत जल्द पहुंच जाएगी। ऐसी फंडिंग केवल एक अधिकारी की नहीं है। ऐसी फंडिंग पुलिस गिरफ्त से दूर साल्वर गिरोह के सरगना मुकेश कुमार समेत अन्य को भी की गई है। जांच में यह बात सामने आ रही है कि बिजली विभाग से जुड़े दो पदाधिकारी के अलावा अलीगढ़ में तैनात शिक्षा महकमे के तीन पदाधिकारी के अलावा पंजाब में तैनात अर्ध सैनिक बल के दो अधिकारी और दिल्ली पुलिस में तैनात एक पदाधिकारियों की तरफ से भी फंडिंग की गई थी। उसके बाद साल्वर गैंग उन अधिकारियों को भी परीक्षा पास कराने को लेकर उन्हें रकम भेजा करता था। पुलिस टीम इस बात का पता लगा रही है कि आखिर इन महकमों में तैनात ऐसे अधिकारियों ने एक मुश्त इतनी बड़ी राशि की फंडिंग कैसे की। इतनी बड़ी राशि का गलत धंधे में निवेश किसी जायज कमाई से तो कदापि अर्जित नहीं हो सकता। पुलिस मुख्यालय ने भी इस मामले में संज्ञान ले लिया है। जांच में मिलने वाले अहम साक्ष्य बाद मामले में आर्थिक अपराध इकाई को भी टास्क दिये जाने की चर्चा है।
सेटिंग ऐसी कि कमजोर परीक्षार्थी के कंप्यूटर को हैक कर दूर बैठा शातिर लिख देता था आंसर
ऑनलाइन एग्जाम सेंटर का संचालन करने वाले इन शातिरों ने ऐसी सेटिंग कर रखी थी कि एग्जाम सेंटर पर बैठा कमजोर परीक्षार्थी कंप्यूटर री-स्टार्ट कर माउस से खेलते हुए एग्जाम हाल में मौजूद उनकी गतिविधियों पर नजर रखने वाले धोखे में रहते थे, उधर कंप्यूटर के री-स्टार्ट होते ही दिल्ली-अलीगढ़-पटना में बैठ झटके में उन्हें पूछे गए प्रश्नों का उत्तर बना देते थे। इसके लिए वे चैट जीपीटी- मेटा-गूगल सर्च इंजन का इस्तेमाल करते थे। इस तरह कमजोर परीक्षार्थियों को उनसे लाखों की वसूली कर पास कराने का काम करते थे।
केवल अंग ऑनलाइन सेंटर से ही 40 से अधिक लड़के सेटिंग से कर चुके हैं पास
नालंदा जिले के मुस्तफापुर निवासी सुमित कुमार जो हबीबपुर के दाउद वाट के लाजपत नगर स्थित अंग इंस्टीट्यूट का संचालक था, उसने पुलिस की सख्त पूछताछ में स्वीकार किया है कि उसके इंस्टीट्यूट में अंकित कुमार, शिवम कुमार उर्फ भूषण, नीतीश कुमार, गौतम कुमार, बंटी कुमार काम किया करते थे। सुमित ने पूछताछ में स्वीकार किया है कि उसे अनुपम सौरभ और मुकेश कुमार उर्फ अभिनंदन से परिचय हुआ तो दोनों ने सेटिंग वाले परीक्षार्थियों को उसे भेजा करते थे। उन परीक्षार्थियों की सेटिंग कर परीक्षा के क्रम में कंप्यूटर को री-स्टार्ट कर फर्जी तरीके से रिजल्ट की गारंटी देते थे। उन परीक्षार्थियों से अवैध तरीके से लाखों रुपये वसूलते थे।
मिलने वाली उन रकम का आपस में बंटवारा होता था। मुकेश और अनुपम ही परीक्षार्थियों से पैसे के लेन-देन का सौदा तय करते थे। सुमित समेत इंस्टीट्यूट में काम करने वाले उपरोक्त आरोपितों को भी शेयर मिला करता था। अबतक केवल अंग इंस्टीट्यूट से ऐसी सेटिंग में 40 से अधिक परीक्षार्थियों को परीक्षा दिलाया जा चुका था। जबकि साल्वर गैंग की सेटिंग दर्जनों ऑनलाइन एग्जाम सेंटर में थी। गिरफ्तार आठों आरोपितों से पूछताछ में मिले तथ्यों के आधार पर उन दर्जनों ऑनलाइन एग्जाम सेंटर संचालकों की कुंडली खंगाली जा रही है।

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