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    भागलपुर वालों के लिए खुशखबरी, 39 करोड़ की लागत से बनेगा बाइपास; जाम से मिलेगी राहत

    भागलपुर-रणगांव रोड में बाइपास निर्माण को प्रशासनिक स्वीकृति मिल गई है। इसके निर्माण पर 38 करोड़ 96 लाख रुपये खर्च होंगे। पथ निर्माण विभाग द्वारा बाइपास निर्माण को प्रशासनिक स्वीकृति दी है। इसके साथ ही लक्ष्य भी निर्धारित कर दिया गया है। निर्माण के पहले साल 2023-24 में एक करोड़ 90 लाख रुपये से पांच प्रतिशत कार्य पूर्ण करना अनिवार्य है।

    By Alok Kumar Mishra Edited By: Divya Agnihotri Updated: Sun, 23 Mar 2025 08:57 AM (IST)
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    भागलपुर-रणगांव रोड में जल्द बनेगा बाइपास (सांकेतिक तस्वीर)

    जागरण संवाददाता, भागलपुर। प्रशासनिक स्वीकृति मिलने के साथ ही मुंगेर के रणगांव-अजगैवीनाथ पथ से धौनी वाया विसय गांव में बाइपास सड़क बनने का रास्ता साफ हो गया है। इसके निर्माण पर 38 करोड़ 96 लाख रुपये खर्च होंगे। पथ निर्माण विभाग (आरसीडी) ने इस बाइपास के निर्माण को प्रशासनिक स्वीकृति दी है।

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    लक्ष्य भी किया गया निर्धारित 

    निर्माण को प्रशासनिक स्वीकृति मिलने के साथ ही कार्यों को पूरा करने के लिए लक्ष्य निर्धारित किया गया है। वर्ष 2023-24 में एक करोड़ 90 लाख रुपये से पांच प्रतिशत कार्य पूर्ण करना अनिवार्य बताया है।

    वहीं, वर्ष 2024-25 में 37 करोड़ छह लाख रुपये से कार्य पूरा करना होगा। बाइपास के बनने से लोगों को आवागमन की सहूलियत होगी। जाम की समस्या का समाधान होगा। इससे यातायात सुलभ होगा।

    जमुई : सड़क के लिए तरस रहे जमुई के तीन गांव के लोग

    एक तरफ प्रदेश की नीतीश सरकार द्वारा लगातार सड़क, बाइपास, पुल आदि बनाने की घोषणा की जा रही है। वहीं दूसरी ओर आज भी प्रदेश के कई इलाके ऐसे हैं, जहां लोग विकास की राह देख रहे हैं।

    विकास को लेकर लंबे-चौड़े वादों के बीच चकाई प्रखंड के कई गांव आज भी पक्की सड़क से नहीं जुड़ पाए हैं। ऐसे गांव के लोग आज भी पक्की सड़क के लिए तरस रहे हैं।

    चकाई प्रखंड के आदिवासी बहुल बामदह पंचायत के कुड़वा, फिटकोरिया, बरमसिया गांव में पक्की सड़क नहीं पहुंच पाई है।

    ग्रामीण अशोक हांसदा, सुनील बास्के, विनोद हांसदा, चुड़की हेम्ब्रम, हड़मा हांसदा ने बताया कि चकाई-जमुई मुख्य मार्ग नेशनल हाईवे 333 से होते हुए फिटकोरिया, बरमसिया, दोमुहान तक जाने वाली कच्ची सड़क आज भी पक्की सड़क बनने का इंतजार कर रही है।

    पक्की सड़क को तरस रहे लोग

    आजादी के बाद से ही इलाके के लोग पक्की सड़क के लिए तरस रहे हैं। भले ही जनप्रतिनिधि और अधिकारी ग्रामीण इलाकों में विकास का ढोल पीट रहे हैं, लेकिन यहां के लोग सड़क के लिए तरस रहे हैं।

    इलाके के ग्रामीणों का कहना है कि बरसात में लोग घरों में कैद हो जाते हैं, क्योंकि पहाड़ी इलाका होने के कारण पहाड़ का पानी कच्ची सड़क पर बहता रहता है। इसकी वजह से पैदल चलना भी मुश्किल हो जाता है। कच्चा रास्ता काफी पथरीला है।

    तीन गांव की आबादी लगभग चार हजार से अधिक है। इसके बाद भी आज तक यहां पक्की सड़क नहीं बन पाई है। बारिश के दिनों में लोगों की मुश्किल और ज्यादा बढ़ जाती है।

    बारिश के समय बढ़ती है परेशानी

    ग्रामीणों ने बताया की उन लोगों को लंबी दूरी तय कर दोमुहान के रास्ते चकाई या फिर बामदह होते झाझा जाना पड़ता है। बरसात के दिनों में जब कोई बीमार पड़ जाता है तो उसे अस्पताल पहुंचाने में काफी दिक्कत होती है। खटिया पर टांगकर एक किलो मीटर बामदह चौक ले जाना पड़ता है।

    हम लोग लंबे समय से गांव में सड़क बनाने की मांग करते रहे हैं, लेकिन नेता या जनप्रतिनिधि सिर्फ आश्वासन हीं देते हैं।

    सुनील बास्के, ग्रामीण।

    इस इलाके में दो सरकारी विद्यालय भी हैं। पक्की सड़क नहीं रहने से बच्चों और शिक्षकों को भी विद्यालय जाने में दिक्कत होती है।

    विनोद हांसदा, ग्रामीण।

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