Bhagalpur News: अब नहीं बच सकेंगे अपराधी, ई-साक्ष्य एप से सीधे अपराध स्थल पर सबूत जुटाएगी पुलिस
भागलपुर पुलिस अब ई-साक्ष्य एप का उपयोग करके अपराध स्थल से सीधे सबूत जुटाएगी। इस एप से पुलिस अधिकारी अपने मोबाइल में ही अपराधियों के खिलाफ सबूत रख सकेंगे और किसी भी समय अदालत को सौंप सकेंगे। डीएम की अध्यक्षता में गठित स्टीयरिंग कमेटी इस एप की निगरानी करेगी। स्टीयरिंग कमेटी ई-साक्ष्य एप नहीं रखने वाले पुलिस अधिकारियों पर कार्रवाई भी करेगी।
आलोक कुमार मिश्रा, भागलपुर। ई-साक्ष्य एप भागलपुर पुलिस के लिए मददगार साबित होगा। इस एप का उपयोग अब पुलिस घटनास्थल पर सबूत जुटाने और अपराधियों को सजा दिलाने में करेगी। बदमाशों के विरुद्ध जुटाए गए तमाम सबूत अब पुलिस अधिकारियों के मोबाइल में रहेंगे। इसके लिए सभी पुलिस अधिकारियों को मोबाइल में ई- साक्ष्य एप रखना होगा।
स्टीयरिंग कमेटी रखेगी नजर
जिलाधिकारी (डीएम) की अध्यक्षता में गठित जिला स्तरीय स्टीयरिंग कमेटी ई-साक्ष्य एप नहीं रखने वाले पुलिस अधिकारियों पर कार्रवाई करेगी। तीन नए आपराधिक कानून को जिलास्तर पर प्रभावी ढंग से लागू करने के लिए जिला स्तरीय स्टीयरिंग कमेटी बनाई जा रही है। यह कमेटी ई-साक्ष्य एप की निगरानी करेगी।
अदालत के किसी भी समय दे सकेंगे सबूत
नई व्यवस्था से पुलिस अधिकारी किसी भी समय अदालत को अपराधियों के खिलाफ सबूत सौंप सकेंगे। गृह विभाग के अपर सचिव सुधांशु कुमार चौबे ने कमेटी के सदस्य सचिव सह जिला अभियोजन अधिकारी को ई-साक्ष्य एप को प्रभावी बनाने का निर्देश दिया है।
इस एप से पुलिस अधिकारी अपने मोबाइल का उपयोग करके अपराध स्थल, तलाशी और जब्ती गतिविधियों को रिकॉर्ड सुरक्षित रख सकेंगे। प्रत्येक एफआइआर के लिए एक से अधिक रिकॉर्डिंग अपलोड की जा सकती हैं। रिकॉर्डिंग के बाद पुलिस अधिकारी को फाइल को क्लाउड-आधारित प्लेटफॉर्म पर अपलोड करना होगा।
सेल्फी अपलोड करनी होगी
प्रमाणिकता सुनिश्चित करने के लिए अधिकारी को प्रक्रिया पूरी करने के बाद एक सेल्फी अपलोड करनी होगी। नेटवर्क की समस्या होने पर अधिकारी अपने व्यक्तिगत डिवाइस पर अपराध स्थल को रिकॉर्ड कर सकते हैं।
इसे बाद में पुलिस स्टेशन से उक्त फाइल को अपलोड कर सकते हैं। अच्छी इंटरनेट स्पीड उपलब्ध होने पर पुलिस अधिकारी सीधे ई-सक्ष्य एप के माध्यम से रिकार्डिंग अपलोड कर सकते हैं।
अपराधियों को सजा दिलाने में प्रभावी बनेगा
यह एप बदमाशों को सजा दिलाने में अहम भूमिका निभा सकता है। इससे दोष सिद्धि दर में वृद्धि होने की उम्मीद जताई जा रही है। भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (बीएनएसएस) में प्रत्येक आपराधिक मामले में तलाशी और जब्ती की अनिवार्य दृश्य आदि रिकॉर्डिंग और उन मामलों में अनिवार्य फॉरेंसिक जांच का प्रावधान किया गया है।
अपराध के लिए सात वर्ष या उससे अधिक की सजा का प्रावधान है। इस मामले में रिकॉर्डिंग व फॉरेंसिक जांच अनिवार्य बनाया गया है। डीएम की अध्यक्षता में गठित जिला स्तरीय स्टीयरिंग कमेटी में सिविल सर्जन, एसएसपी, एसपी, लोक अभियोजक, जेल अधीक्षक व फारेंसिक विशेषज्ञ को शामिल किया गया है।
भागलपुर में ई-साक्ष्य एप का उपयोग शुरू कर दिया गया है। घटनास्थल पर सबूत जुटाकर आरोपितों को सजा दिलाने के लिए किसी भी समय अदालत को सौंपा जा सकता है। अपराधियों के विरुद्ध जुटाए गए तमाम सबूत अब पुलिस अधिकारियों के मोबाइल में रहेंगे। यह एप पुलिस के लिए मददगार साबित होगा।
शुभांक मिश्रा, एसपी सिटी
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