भागलपुर में ऑनलाइन ओपीडी व्यवस्था से बढ़ा इलाज का समय, मरीजों की लग रही लंबी कतारें
भागलपुर में ऑनलाइन ओपीडी व्यवस्था लागू होने के बाद इलाज का समय बढ़ गया है, जिससे मरीजों को लंबी कतारों में इंतजार करना पड़ रहा है। ऑनलाइन अपॉइंटमेंट क ...और पढ़ें

बुधवार को माडल सदर अस्पताल के दवाई काउंटर में मरीजों की भीड़। फोटो जागरण
मिहिर, भागलपुर। डाक्टर साहब, दांत में तेज दर्द है... सूजन भी है... समझ नहीं आ रहा क्या हो गया है? यह कहते हुए एक महिला मरीज बुधवार को सदर अस्पताल के दंत रोग ओपीडी में डाक्टर के सामने बैठ गई। डाक्टर ने जांच के बाद बताया कि दांत में कीड़ा लग गया है और पायरिया की समस्या है।
उन्होंने दवा लिखने की बात कहते हुए मरीज को जाने के लिए कहा। इस पर मरीज ने डाक्टर से पूछा- सर, पर्चा कहां है? बिना पर्चा के दवा कैसे मिलेगा और जांच कैसे होगी? तब डाक्टर ने उससे कहा कि काउंटर पर जाएं अपना टोकन दिखाएं सब जांच भी होगी और दवा भी मिल जाएगा।
यह नजारा बुधवार को मॉडर्न सदर अस्पताल के ओपीडी का था। अस्पताल में ओपीडी सेवाओं को पेपरलेस किए जाने के दूसरे दिन की स्थिति पहले दिन की तुलना में कुछ बेहतर नजर आई, पर नई प्रणाली के कारण मरीजों और चिकित्सकों को कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ा।
बनाए गए दो पंजीयन काउंटर
सदर अस्पताल के बाहर दो पंजीयन काउंटर बनाए गए हैं। एक काउंटर पर मरीजों का ऑनलाइन पंजीयन किया जा रहा है। दूसरे काउंटर पर ऑनलाइन पंजीकरण कराने वाले मरीजों को पर्चा उपलब्ध कराया जा रहा है। इसे अस्पताल की भाषा में टोकन कहा जा रहा है। इस टोकन पर मरीज की बीमारी, इलाज की प्रक्रिया, संबंधित विभाग, ओपीडी कक्ष संख्या और इलाज करने वाले डाक्टर का नाम दर्ज होता है। आवश्यक जांचों का विवरण भी इसमें अंकित रहता है। इसी को लेकर मरीज सीधे संबंधित ओपीडी में पहुंचना है।
मरीजों को लेनी पड़ी कर्मचारियों की मदद
ग्रामीण इलाकों से आने वाले कई मरीज टोकन में लिखी जानकारी को समझ नहीं पा रहे थे। ऐसे मरीज सहायता के लिए गार्ड और अस्पताल कर्मचारियों से पूछताछ करते नजर आए। मरीज यह जानना चाह रहे थे कि उन्हें किस कक्ष में जाकर इलाज कराना है। जानकारी मिलने के बाद वे सीधे डाक्टर के कक्ष में पहुंच रहे थे।
इलाज में लग रहा अधिक समय
अस्पताल में विशेषकर मेडिसिन विभाग के चिकित्सकों के पास मरीजों की संख्या अधिक रही। डॉक्टर प्रत्येक मरीज का इलाज शुरू करने से पहले उनका पूरा विवरण भाव्या एप में दर्ज कर रहे थे। इस प्रक्रिया में दो से तीन मिनट का समय लग रहा था। इसके बाद मरीज की समस्या और लक्षण भी एप में दर्ज किए जा रहे थे।
ऐसे में जहां पहले एक मरीज को देखने में दो से तीन मिनट लगते थे, अब पांच से सात मिनट का समय लग रहा है। तीन से चार मिनट केवल डाटा एंट्री में ही जा रहा है। इसका नतीजा यह हुआ कि डाक्टरों के कक्ष के बाहर मरीजों की लंबी कतार लग गई। इस समस्या का समाधान तब ही हो सकता है जब डाक्टर के पास डाटा आपरेटर को तैनात किया जाए।
एक समय में एक ही बीमारी की एंट्री
दंत रोग विभाग में यह समस्या और गंभीर रही। किसी मरीज को एक से अधिक बीमारी थी तो भाव्या एप में केवल एक ही बीमारी की एंट्री हो पा रही थी। दूसरी बीमारी का इलाज तो डाक्टर कर रहे थे लेकिन उसका रिकार्ड एप में दर्ज नहीं हो पा रहा था। इसी तरह दांत निकालने या अन्य दंत प्रक्रियाओं की एंट्री भी एप में संभव नहीं हो पा रही थी। इससे इलाज के आंकड़ों के सही मिलान को लेकर डाक्टरों में चिंता बनी हुई है।
दवा काउंटर पर लंबी कतार
इलाज के बाद मरीज दवा काउंटर पर पहुंच रहे थे। यहां लंबी कतार लगी रही। दवा काउंटर पर तैनात कर्मियों को पहले भाव्या एप से डाक्टर का पर्चा निकालना पड़ रहा था। इसके बाद पर्चा प्रिंट कर यह देखा जा रहा था कि मरीज को कौन-सी दवा लिखी गई है। इस पूरी प्रक्रिया में काफी समय लगने के कारण मरीजों को घंटों इंतजार करना पड़ा।
सर्वर फेल होने से बढ़ी परेशानी
बुधवार को कुछ समय के लिए भाव्या एप ने काम करना बंद कर दिया। इससे दवा काउंटर पर खड़े मरीजों की परेशानी और बढ़ गई। एप खुल तो रहा था, लेकिन इंटरनेट की खराबी के कारण पर्चा प्रिंट नहीं हो पा रहा था। दवा वितरण में देरी से मरीजों में नाराजगी बढ़ने लगी और हंगामे की स्थिति बन गई। बाद में पहले से दिए गए पर्चों के आधार पर एप में जानकारी देखकर मरीजों को दवा दी गई। अधिकतर मरीजों को उस दिन दवा काउंटर से प्रिंटेड पर्चा नहीं मिल सका।
क्या कहते हैं प्रभारी
सदर अस्पताल के प्रभारी डा. राजू ने बताया कि पहले दिन मरीजों को जो समस्याएं हुई थीं, उन्हें काफी हद तक दूर कर लिया गया है। डाटा आपरेटर और अन्य कर्मचारियों की कमी है, जिसे जल्द ही पूरा कर लिया जाएगा। आने वाले दिनों में व्यवस्था और बेहतर होगी।

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