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    Bihar School News: राज्य में मध्य विद्यालयों के बच्चे सबसे ज्यादा बीच में छोड़ रहे पढ़ाई, 10 प्रतिशत से अधिक की गिरावट

    बिहार में मध्य विद्यालयों में पढ़ने वाले बच्चों की संख्या में ड्रॉप आउट दर बढ़ रही है। यू डायस प्लस की रिपोर्ट के अनुसार 2023-24 में 25.9% बच्चों ने आठवीं के बाद पढ़ाई छोड़ दी जो 2022-23 में 15.8% थी। राज्य में यह दर राष्ट्रीय औसत से अधिक है। शिक्षा विभाग इस स्थिति में सुधार के लिए काम कर रहा है।

    By Abhishek Prakash Edited By: Sanjeev Kumar Updated: Wed, 07 May 2025 03:16 PM (IST)
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    बिहार के मध्य विद्यालयों में बच्चे तेजी से छोड़ रहे पढ़ाई (जागरण)

    जागरण संवाददाता, भागलपुर। Bhagalpur News: बिहार में मध्य विद्यालयों के बच्चे आठवीं पास करने के बाद ज्यादा स्कूल छोड़ रहे हैं। इसका खुलासा यू डायस प्लस के एनुअल एवरेज ड्राप आउट रेट रिपोर्ट से हुआ है। उसमें बिहार में छठी से आठवीं कक्षा की पढ़ाई के बाद ज्यादातर बच्चों के पढ़ाई छोड़कर दूसरे कार्यों में लग जाने की बात सामने आई है।

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    स्कूल का त्याग करने वाले बच्चों में एक दो प्रतिशत की नहीं 10.01 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है। शिक्षा विभाग के सूत्रों का मानना है कि ड्राप आउट बाक्स में बच्चों की संख्या अधिक होने के कारण यह स्थिति उत्पन्न हुई है। इस तथ्य के आधार पर 2024-25 के डाटा सुधारने का काम किया जा रहा है।

    2023-24 के एनुअल एवरेज ड्राप आउट रेट रिपोर्ट के मुताबिक उस सत्र में 25.9 प्रतिशत बच्चों ने आठवीं के बाद पढ़ाई छोड़ी। 2022-23 में यह आंकड़ा 15.8 प्रतिशत था। राष्ट्रीय ड्राप आउट रेट की बात करें तो उसमें छठी से आठवीं के बाद लगातार कमी आ रही है। लेकिन बिहार में यह बढ़ती दिख रही है।

    2023 में राष्ट्रीय स्तर पर ड्राप आउट की दर 5.2 प्रतिशत थी। 2022 में 8.1 प्रतिशत थी। वहीं बिहार में प्राइमरी स्कूलों में बच्चों के पढ़ाई छोड़ने की दर घट रही है। 2022-23 में इसकी दर 10.7 थी, जो 2023-24 में घटकर 8.9 पर आ गई है।

    वहीं सेकेंडरी यानी नवमी दशमी के बाद भी पढ़ाई छोड़ने की दर बिहार में कम है। 2022-23 में 29.5 प्रतिशत बच्चे पढ़ाई छोड़ रहे थे। लेकिन 2023-24 की रिपोर्ट के मुताबिक उसका ग्राफ घटकर 25.6 पर आ गया है।

     स्कूल तक नहीं पहुंच पाना ड्राप आउट के मुख्य कारण

    असर की रिपोर्ट के मुताबिक ड्राप आउट बढ़ने का सबसे बड़ा कारण बच्चों का स्कूल तक नहीं पहुंच पाना है। जबकि शिक्षा विभाग द्वारा बच्चों को स्कूल तक लाने के लिए कई तरह की कवायदें की जा रही हैं।

    असर की जिला बार रिपोर्ट बताती है कि छह से 14 साल की उम्र के बच्चों को स्कूल जाने में अब भी कहीं न कहीं परेशानी हो रही है या बच्चे आठवीं कक्षा के बाद पढ़ाई छोड़ दे रहे हैं। रिपोर्ट के मुताबिक अररिया जिले में इन कक्षाओं के 9 प्रतिशत बच्चे स्कूल नहीं जा रहे हैं।

    वहीं मधेपुरा जिले में 6.01 प्रतिशत बच्चे स्कूल में नामांकित नहीं हैं। भागलपुर और कटिहार जिले में 5 प्रतिशत बच्चे स्कूल जाने से वंचित हैं। वहीं बांका में 4.1 प्रतिशत, जमुई में 3.4, खगड़िया में 2.7, किशनगंज में 3.8, लखीसराय में 3.6, मुंगेर में 2.4, पूर्णिया में 3.1, सहरसा में 2.6 और सुपौल में 4.4 प्रतिशत बच्चे अभी भी स्कूल नहीं जा रहे हैं।

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