जितेंद्र तोमर की फर्जी ड्रिग्री मामले में कार्रवाई, 15 विवि कर्मियों पर चार्जशीट आज
जितेंद्र सिंह तोमर की लॉ की डिग्री मामले में दिल्ली पुलिस तिलकामांझी भागलपुर विश्वविद्यालय के 15 पूर्व व वर्तमान श्क्षिकों व कर्मियों पर चार्जशीट दाखिल करेगी।
भागलपुर [जेएनएन]। दिल्ली के पूर्व कानून मंत्री जितेंद्र सिंह तोमर की लॉ की डिग्री मामले में दिल्ली पुलिस तिलकामांझी भागलपुर विश्वविद्यालय के 15 पूर्व व वर्तमान शिक्षकों व कर्मियों के अलावा विश्वनाथ सिंह विधि महाविद्यालय के अधिकारियों पर मंगलवार को चार्जशीट दाखिल करेगी। दिल्ली की हौसखास थाने की पुलिस ने 15 लोगों के विरुद्ध मामला दर्ज कर चार्जशीट दाखिल करने की प्रक्रिया शुरू कर दी है।
एडवोकेट जनरल से सलाह लेने के बाद तिलकामांझी भागलपुर विश्वविद्यालय की सिंडिकेट ने दो फरवरी को दिल्ली पुलिस की मांग पर दोषी विश्वविद्यालय कर्मियों पर कार्रवाई करने की अनुशंसा की थी। इसके बाद दिल्ली पुलिस ने दोषी विवि कर्मियों पर कार्रवाई शुरू कर दी है। उधर, तोमर की डिग्री रद करने को लेकर विवि सीनेट की बैठक होली के बाद बुलाई जा रही है। बैठक की अनुमति को लेकर राजभवन पत्र भेजा गया है। कुलपति डॉ. क्षेमेंद्र कुमार सिंह ने कहा है कि कुलाधिपति की अनुमति मिलने के बाद सीनेट की बैठक बुलाई जाएगी। सीनेट की मुहर लगने के बाद तोमर की डिग्री रद हो जाएगी। राजभवन ने तिलकामांझी भागलपुर विश्वविद्यालय प्रशासन को अपने स्तर से तोमर की डिग्री रद करने का निर्देश दिया है।
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इन पर भी हो सकती है कार्रवाई
परीक्षा विभाग ‘सी’ में कार्यरत दिनेश श्रीवास्तव और पेंशन शाखा में कार्यरत निरंजन कुमार, विश्वनाथ सिंह लॉ कॉलेज के पूर्व प्राचार्य सुरेंद्र प्रसाद सिंह, कृष्णानंद, जनार्दन प्रसाद यादव, पीजी उर्दू के शिक्षक रजी अहमद, पूर्व परीक्षा नियंत्रक राजीव रंजन पोद्दार, अनिरुद्ध प्रसाद के अलावा सेवानिवृत्त बड़े नारायण सिंह, राजेंद्र प्रसाद सिंह, सदानंद राय, राम अवतार शर्मा, शंभूनाथ सिन्हा, भूदेव प्रसाद सिंह, एचके पांडेय पर कार्रवाई हो सकती है।
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ये है मामला
दिल्ली के पूर्व कानून मंत्री जितेंद्र सिंह तोमर ने दावा किया था कि उन्होंने सत्र 1994-97 के दौरान मुंगेर के विश्वनाथ सिंह लॉ कॉलेज से पढ़ाई की थी। मामला पकड़ में आने के बाद पता चला कि तिमांभाविवि के कर्मचारियों की मिलीभगत से फर्जी रजिस्ट्रेशन कराकर तोमर को कानून की डिग्री जारी कर दी गई थी। डिग्री लेते समय माइग्रेशन सर्टिफिकेट और अंकपत्र जमा करने पड़ते हैं। लेकिन तोमर द्वारा जमा किए गए दोनों सर्टिफिकेट अलग-अलग विश्वविद्यालयों के हैं। अवध विश्वविद्यालय, फैजाबाद का अंकपत्र और बुंदेलखंड विश्वविद्यालय, झांसी का माइग्रेशन सर्टिफिकेट जमा किया गया। दोनों विवि ने पूर्व में ही इन प्रमाणपत्रों की वैधता को खारिज कर दिया है।
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इस मामले में हौजखास के एसएचओ सत्येंदद्र सांगवान ने कहा है कि तोमर मामले में कार्रवाई शुरू कर दी गई है। 15 पूर्व व वर्तमान शिक्षकों व कर्मियों के विरूद्ध मामला दर्ज कर मंगलवार को चार्जसीट दाखिल की जायेगी।
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