Assembly elections ; यहां मुद्दों की भरमार, शिक्षा और स्वास्थ्य सुविधा बदहाल, सड़कें खास्ताहाल
सोनवर्षा विधानसभा में शामिल बनमाईटहरी प्रखंड में शिक्षा स्वास्थ्य और सड़क की बदहाली चर्चा विषय है। 26 वर्ष बाद भी प्रखंड कार्यालय को अपनी जमीन व अपना भवन नसीब नहीं हो पाया है।
सहरसा, जेएनएन। फिर चुनाव सिर पर है। चुनाव लडऩे के इच्छुक लोग जहां पटना में डेरा डाले हुए हैं। वहीं आम जनता भी बीते पांच साल में हुए कार्य का आकलन कर रहे हैं।
फिलहाल सोनवर्षा विधानसभा में शामिल बनमाईटहरी प्रखंड में शिक्षा, स्वास्थ्य और सड़क की बदहाली चर्चा विषय है। 26 वर्ष बाद भी प्रखंड कार्यालय को अपनी जमीन व अपना भवन नसीब नहीं हो पाया है।
बदहाल हैं कई सड़कें
प्रखंड मुख्यालय से लेकर ग्रामीण क्षेत्र की अधिकांश सड़कें जर्जर हो चुकी है। सहुरिया, जमालनगर, ईटहरी,अफजलपुर, परसाहा, मुंदीचक, सरबेला, महारस एवं घौरदौड़ आदि गांव के लोगों के लिए अच्छी सड़क नहीं है। कई ऐसी सड़कें हैं जो अन्य जगहों को जोड़ती तो है, परंतु उन सड़कों में बने गढ्डे विकास को मुंह चिढ़ा रहे हैं। तेलियाहाट बाजार से गुजरने वाली सड़क में सालों भर जलजमाव व कीचड़ भरा रहता है।
उच्च शिक्षा के लिए छोडऩा पड़ता है गांव
उच्च शिक्षा के लिए जाना पड़ता है सिमरी बख्तियारपुर प्रखंड क्षेत्र में करीब सभी पंचायतों में मध्य विद्यालय को उत्क्रमित कर उच्च स्तरीय विद्यालय का दर्जा तो दिया गया। लेकिन शिक्षकों के अभाव में प्रतिवर्ष लगभग डेढ़ से दो हजार लड़कियों को उच्च शिक्षा के लिए गांव छोड़कर सिमरी बख्तियारपुर या सहरसा जाना पड़ता है। प्रखंड क्षेत्र में लड़कियों के लिए न तो उच्च विद्यालय है न ही महिला कॉलेज है। इस कारण कई लड़कियां आगे की पढ़ाई छोड़ देती हैं।
तबीयत बिगड़ी तो जाइए सिमरी या सहरसा
प्रखंड क्षेत्र में करीब एक लाख जनसंख्या पर आधारित एक प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र वर्ष 1994 में बनाया गया। परंतु, महिलाओं के लिए प्रसव की सुविधा भी उपलब्ध नहीं हो पायी है। प्रखंड में चार उप स्वास्थ्य केंद्र सुगमा, प्रियनगर, शमशुद्धीनपुर, ईटहरी एवं पहलाम हैं। लेकिन मरीजों के इलाज करने के लिए चिकित्सक की प्रतिनियुक्ति नहीं हो पायी है। पीएचसी में डॉक्टर व कर्मियों की कमी है तो उपस्वास्थ्य व अतिरिक्त स्वास्थ्य केंद्र में ताला लटका रहता है। जिसके कारण लोगों को अनुमंडल मुख्यालय या फिर जिला मुख्यालय जाना पड़ता है।
शिक्षा व्यवस्था भी चरमरायी है
प्रखंड मुख्यालय में शिक्षा कार्यालय नहीं रहने से चलंत कार्यालय में ही संचालित है शिक्षा से जुड़ा काम काज। सर्वशिक्षा अभियान के तहत वर्ष 2008 में लाखों की लागत से बीआरसी भवन निर्माण शुरू कराया गया जो विभागीय उदासीनता के कारण आज तक पूरा नहीं हो पाया है। जिसके कारण बैठक या गुरु गोष्ठी के लिए भी दर-दर भटकना पड़ता है शिक्षकों को।