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    कल-कल, छल-छल बहने वाली चंद्रभागा नदी हुई मृतप्राय

    बेगूसराय। प्रखंड क्षेत्र होकर बहने वाली चंद्रभागा नदी मृतप्राय हो चुकी है। कई दशकों से यह न

    By Edited By: Updated: Mon, 19 Sep 2016 05:21 PM (IST)

    बेगूसराय। प्रखंड क्षेत्र होकर बहने वाली चंद्रभागा नदी मृतप्राय हो चुकी है। कई दशकों से यह नदी सूखी पड़ी है। अब वर्षा के पानी से थोड़ा-बहुत जलजमाव इसमें कहीं-कहीं दिख जाता है। इस नदी में पानी का बहाव बंद होने से लोगों ने पहले तो इसमें खेती शुरु की। इसके बाद धीरे-धीरे इस नदी में लोगों ने अट्टालिकाएं भी बनाने लगे है। परंतु, इस पर सरकारी स्तर से ध्यान नहीं दिया जा रहा है। यही कारण है कि चंद्रभागा नदी अब मृतप्राय ही नहीं विलुप्त होने के कगार पर पहुंच गई है। चंद्रभागा नदी की चर्चा वेद पुराणों में भी है। इसका उद्गम स्थल रोसरा अनुमंडल क्षेत्र के तीन मोहानी के समीप बूढ़ी गंडक से हुई है। अपने उद्गम स्थल से निकली चंद्रभागा रोसड़ा अनुमंडल क्षेत्र से गुजरते हुए बेगूसराय के छौड़ाही प्रखंड में प्रवेश करती है।इसके बाद गढ़पुरा, बखरी होते हुए खगड़िया जिला क्षेत्र में गंगा में विलीन हुई है। अब इस नदी में कल-कल छल-छल बहने वाला पानी तो दूर, बहुत से जगहों पर नदी की शक्ल भी बदल गई है। कई गांव की आबादी इसमें बस चुकी है। इसी चंद्रभागा नदी के तट पर पौराणिक काल का बाबा हरिगिरीधाम के रूप से बिख्यात शिव मंदिर स्थापित है। चंद्रभागा नदी के संबंध में पंडित दिनेश झा इंदू ने बताया कि इसकी चर्चा पुराणों में है। कालिका पुराण में उद्धृत है कि मिथिला एवं अंगदेश के सीमा पर चंद्रभागा नदी के तट पर स्थित शिव मंदिर है। जहां त्रिदंडी ऋषि का आश्रम है। यहीं पर चंद्रभागा नदी दक्षिणायन हुई है। उसी तट पर यह शिव मंदिर स्थित है। इससे स्पष्ट होता है कि चंद्रभागा नदी पौराणिक काल से बहती आ रही है। सरकार के द्वारा नदी से नदी को जोड़ने की योजना से चंद्रभागा को भी पुनर्जीवन मिलने की आशा जगी थी। परंतु, लोगों ने नदी के स्वरुप को बदलकर मकानों का निर्माण किए जाने से इसके जिर्णोद्धार पर भी अब संशय है। सरकार द्वारा इस नदी के प्रवाह को बदल कर इस नदी को पुनर्जीवित किया जा सकता है।

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