सभी टीचर हो गए रिटायर, सरकारी स्कूल में लटका ताला; शिक्षा विभाग के अधिकारी ने दिया चौंकाने वाला जवाब
Bihar Education News Hindi छौड़ाही प्रखंड क्षेत्र के श्री धनिक लाल संस्कृत मध्य विद्यालय छौड़ाही में शिक्षकों की कमी के कारण विद्यालय बंद हो गया है। यह विद्यालय 1977 में स्थापित किया गया था और यहां वर्ग एक से आठ तक के छात्र अध्ययन करते थे। लेकिन अब यह विद्यालय बंद होने से छात्रों का भविष्य अंधकारमय हो गया है।

बलबंत चौधरी, छौड़ाही (बेगूसराय)। संस्कृत सभी भाषा की जननी मानी जाती है, परंतु संस्कृत शिक्षा देने के लिए स्थापित संस्कृत विद्यालय शिक्षक एवं संसाधनों की कमी झेल रहे हैं। संस्कृत विद्यालयों की बदहाली देखनी हो तो छौड़ाही प्रखंड आ जाइए।
छौड़ाही प्रखंड क्षेत्र के श्री धनिक लाल संस्कृत मध्य विद्यालय छौड़ाही के सभी शिक्षक रिटायर्ड हो चुके हैं। इसके कारण विद्यालय बंद हो गया है। वर्ग एक से आठ तक के विद्यालय में नामांकित और पूर्व छात्रों का भविष्य विद्यालय बंद हो जाने से अंधकारमय हो गया है।
वहीं, एमडीएम नहीं मिलने एवं शिक्षक के नहीं रहने से छात्र दूसरे सरकारी विद्यालय एवं निजी विद्यालयों में नामांकन करा लिए। विद्यालय बंद रहने के कारण स्थानांतरण प्रमाण पत्र एवं अन्य कागजात भी छात्रों को नहीं मिल रहा है।
कारण बिना छात्र के विद्यालय का प्रभार 70 किलोमीटर दूर बछवाड़ा प्रखंड के मरांची संस्कृत विद्यालय के प्रधानाध्यापक को दिया गया है।
कभी छात्रों से गुलजार था विद्यालय
2020 में सेवानिवृत्त विद्यालय के अंतिम शिक्षक श्यामसुंदर महतो बताते हैं कि विद्यालय संचालन के लिए वर्ष 1977 में छौड़ाही के प्रतिष्ठित जमींदार धनिक लाल महतो ने सात कट्ठा जमीन दान देकर गणमान्य व्यक्तियों के सहयोग से श्रीधनिक लाल महतो संस्कृत मध्य विद्यालय स्थापित किए थे।
तब से प्रति वर्ष ढाई सौ से तीन सौ छात्र विद्यालय में अध्ययनरत रहे। स्थापना काल में प्रबंधन समिति द्वारा बैजनाथ महतो, बृजनंदन महतो, रमन सिन्हा, रामसखा महतो, श्याम सुंदर महतो एवं रामस्वरूप महतो यानी छह शिक्षकों की नियुक्ति की गई थी। 1978 तक आठ शिक्षक हो गए थे।
फिर वर्ष 2013 में संस्कृत शिक्षा बोर्ड बिहार द्वारा विद्यालय का अधिग्रहण किया गया एवं वर्ष 2015 में नया नियमावली लागू कर दिया गया। इसके बाद से विद्यालय में शिक्षकों की बहाली नहीं हो सकी। वहीं पहले से बहाल एक-एक कर सभी शिक्षक सेवानिवृत्त होते गए। सबसे अंत में सितंबर 2020 में वह भी रिटायर हो गए हैं।
और तालाबंद हो गया विद्यालय
- विद्यालय के सेवानिवृत्त शिक्षक बृजनंदन महतो, श्याम सुंदर महतो बताते हैं कि विद्यालय में शिक्षकों की नियुक्ति प्रबंध समिति द्वारा की जाती थी।
- नया नियमावली के बाद संस्कृत शिक्षा बोर्ड को भी इसमें शामिल किया गया। लेकिन तब से अब तक शिक्षक बहाली की वैकेंसी नहीं निकली।
- इस कारण विद्यालय के सभी शिक्षक सेवानिवृत्त हो गए।
- सेवानिवृत्ति के पश्चात संस्कृत शिक्षा बोर्ड बिहार एवं विद्यालय प्रबंधन समिति द्वारा श्याम सुंदर महतो को दो वर्ष के लिए विद्यालय संचालन का दायित्व दिया गया था।
- 65 छात्रों का नामांकन विद्यालय में करा चुके थे।
शिक्षक के अभाव में बच्चे धीरे-धीरे विद्यालय से विमुख हो गए
उन्होंने एक पंक्ति नन्हे मुन्ने राही हैं, देश के सिपाही हैं, बोलो बच्चों जय हिंद... गुनगुनाते हुए बताया कि छात्रों के भविष्य अंधकार में होते नहीं देख सकते हैं। काफी प्रयास के बाद विद्यालय संचालन का दायित्व मिला था। शिक्षक के अभाव में बच्चे धीरे-धीरे विद्यालय से विमुख हो गए हैं।
कहते हैं ग्रामीण
बछवाड़ा के संस्कृत विद्यालय के हेडमास्टर को प्रभार दिया गया यह किसी को पता भी नहीं है। उन्होंने बताया कि चार कमरे में दो कमरे ध्वस्त हो गए हैं। प्रशासन इसे ठीक करवा दे तो फिर यहां से दर्जनों छात्र भारतीय सेना शिक्षक आदि पदों पर सुशोभित हो विद्यालय का नाम रोशन करेंगे।
छौड़ाही बाजार के प्रणव कुमार, विनय कुमार, बबलू कुमार कुशवाहा, गौरव सिंहा, राकेश कुमार, संजीव कुमार, रामबहादुर महतो सुमन, नटवर लाल विद्यालय के रिटायर शिक्षक ब्रजनंदन महतो आदि दर्जनों ग्रामीणों ने उक्त बातें कहते हुए बताया कि हमारे गांव का यह गौरव विद्यालय था।
कहते हैं प्रभारी प्रधानाध्यापक
स्कृत विद्यालय मरांची बछवाड़ा के प्रधानाध्यापक अमृत साह ने बताया कि शिक्षकों के बकाया, पेंशन आदि कार्य के लिए वह अधिकृत हैं। सेवानिवृत्त शिक्षकों का सभी कार्य समय पर हो रहा है।
कहते हैं अधिकारी
शिक्षक की प्रतिनियुक्ति एवं विद्यालय के अन्य मामलों के संबंध में बीईओ नौशाद आलम का कहना है कि संस्कृत विद्यालय के संदर्भ में सभी रिपोर्ट मुख्यालय भेजी गई है।
कहते हैं छात्र
हम लोग इस विद्यालय से ज्ञान लेकर प्रतिष्ठित चिकित्सक तक बने। प्रारंभिक ज्ञान ही हमें इस जगह तक लाया है। विद्यालय का बंद होना दुखद है। आवाज उठाकर विद्यालय के प्रतिष्ठा को पुनः स्थापित किया जाएगा। डॉ. एके सिंह, चिकित्सक
विद्यालय से हमने आठवीं तक शिक्षा प्राप्त की। संस्कृत के साथ अन्य भाषाओं विषयों का ज्ञान मिलता था। आज हम शिक्षिका पद पर दूसरे विद्यालय में कार्यरत हैं। अपने प्रारंभिक शिक्षा वाले विद्यालय में ताला बंद हो जाना दुखद है।- किरण कुमारी, शिक्षिका
इस विद्यालय से सेवानिवृत्त हुए चार वर्ष हो गए। हम अंतिम शिक्षक थे। प्रबंध समिति द्वारा देखरेख का जिम्मा दिया गया है। परंतु स्थाई शिक्षक व छात्र के नहीं रहने से मन काफी व्यथित रहता है। विगत दो वर्ष में सरकार द्वारा सरकारी विद्यालय में हजारों शिक्षकों की बहाली की गई। परंतु संस्कृत विद्यालय में एक भी शिक्षक नहीं मिला। सरकार को इस विषय पर सोचना चाहिए।- श्याम सुंदर महतो, सेवानिवृत्त शिक्षक
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